दिखा आज्ञा, अनुशासन का अनूठा नजारा, पंक्तिबद्ध साधु-साध्वियों ने दोहराई मर्यादाएं
- विविध विषयों पर आचार्यश्री ने किया साधु-साध्वियों की जिज्ञासाओं का समाधान
-अल्प लाभ के लिए अधिक गंवाना है मूढ़ता रू युगप्रधान आचार्य महाश्रमण
-साध्वीप्रमुखाजी व साध्वीवर्याजी ने भी लोगों को किया उत्प्रेरित
बीकानेर | मंगलवार को बीकानेर शहर के मध्य स्थित कोचरों के चौक में जैन श्वेताम्बर तेरापंथ धर्मसंघ के वर्तमान अनुशास्ता, युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमणजी की मंगल सन्निधि में आयोजित मुख्य प्रवचन कार्यक्रम में लोगों की विराट उपस्थिति के बीच चतुर्दशी तिथि होने के कारण तेरापंथ की हाजरी वाचन की प्रक्रिया इस तरह समायोजित हुई कि उपस्थित श्रद्धालुओं व जनता के मुख से निकल पड़ा कि आज तो बीकानेर में अनायास ही मर्यादा महोत्सव-सा दृश्य उत्पन्न हो गया।
बीकानेर प्रवास के दूसरे दिन आचार्यश्री का मुख्य प्रवचन कार्यक्रम कोचरों के चौक में आयोजित हुआ। उमड़े श्रद्धालुओं के अपार हुजूम के कारण चौक ही नहीं, उसके आसपास की गलियां और घरों के झरोखे आदि भी जनाकीर्ण बने हुए थे। साथ चतुर्दशी तिथि होने के कारण तेरापंथ की परंपरानुसार हाजरी वाचन के लिए गुरुकुलवासी चारित्रात्माओं की उपस्थिति प्रायः थी।
मुख्य मंगल प्रवचन कार्यक्रम में आचार्यश्री ने चतुर्विध धर्मसंघ को पावन पाथेय प्रदान करते हुए कहा कि अल्प लाभ के लिए ज्यादा गंवा देना मूढ़ता की बात होती है। साधु के पास पांच महाव्रत रूपी अमूल्य हीरे होते हैं और यदि कोई साधुपने को छोड़ने की बात सोच भी ले तो वह अल्प लाभ के लिए अधिक को गंवाने वाली बात हो जाती है। इसी प्रकार कोई गृहस्थ कुछ पैसों के लिए यदि ईमानदारी का त्याग कर ठगी, बेइमानी और झूठ का सहारा लेता है तो वह भी ईमानदारी रूपी अमूल्य निधि को मानों थोड़े से धन के लिए गंवा देता है। साधु को तो अपने संयम रूपी रत्न की सुरक्षा के प्रति जागरूक रहने का प्रयास करना चाहिए।
आचार्यश्री ने मर्यादा पत्र का वाचन करते हुए साधु-साध्वियों को अनेक प्रेरणाएं प्रदान कीं। आचार्यश्री की अनुज्ञा से मुनि दिनेशकुमारजी व मुनि ध्रुवकुमारजी ने लेखपत्र का वाचन किया। आचार्यश्री ने मुनि दिनेशकुमारजी को 31 कल्याणक और मुनि ध्रुवकुमारजी को ग्यारह कल्याणक बक्सीस किए। तदुपरान्त आचार्यश्री ने साधुओं को पंक्तिबद्ध खड़े होने और साध्वी व समणी समुदाय को अपने-अपने स्थान पर खड़े होकर लेखपत्र का उच्चारण करने का आदेश दिया तो सहज ही मर्यादा महोत्सव-सा दृश्य उत्पन्न हो गया।
आचार्यश्री ने प्रसंगवश कहा कि आज ज्येष्ठ शुक्ला चतुर्दशी है। आज से तीन महीने पूर्व फाल्गुन शुक्ला चतुर्दशी को शासनमाता साध्वीप्रमुखा कनकप्रभाजी का दिल्ली में महाप्रयाण हो गया था। गंगाशहर में ही वे साध्वीप्रमुखा मनोनीत हुई थी। आज उनकी मासिकी पुण्यतिथि भी है। मैं उनका सश्रद्धा स्मरण करता हूं। आज के ही दिन एक महीने पूर्व हमने साध्वी विश्रुतविभाजी को साध्वीप्रमुखा के रूप में स्थापित किया। ये भी स्वस्थ रहते हुए गण में खूब अच्छा कार्य करती रहें, मंगलकामना।
आचार्यश्री के मंगल प्रवचन के पश्चात साध्वीप्रमुखा विश्रुतविभाजी ने भी श्रद्धालुओं को प्रेरणा प्रदान की। आचार्यश्री के मुखारविंद के लुंचन के संदर्भ में चतुर्विध धर्मसंघ ने वंदन करते हुए निर्जरा में सहभागी बनाने की प्रार्थना की गई तो आचार्यश्री ने चारित्रात्माओं को आगम स्वाध्याय तथा श्रावक-श्राविकाओं को तीन-तीन अतिरिक्त सामायिक करने की प्रेरणा प्रदान की।
तत्पश्चात आचार्यश्री ने साधु-साध्वियों को जिज्ञासा-समाधान का अवसर प्रदान किया तो साधु, साध्वी और समणी समुदाय ने अपनी-अपनी जिज्ञासाएं प्रस्तुत कीं, जिसका समाधान आचार्यश्री द्वारा प्रदान किया गया। अपने आराध्य के मुख से अपनी जिज्ञासाओं का समाधान प्राप्त कर जहां चारित्रात्माओं के चेहरे पर आत्मतोष का भाव दिखाई दे रहा था वहीं उपस्थित बीकानेर की जनता अपने ज्ञान के विकास के साथ-साथ ऐसे अवसर को साक्षात निहार स्वयं को सौभाग्यशाली महसूस कर रही था।
इस अवसर पर तेरापंथी सभा बीकानेर के मंत्री श्री सुरेश बैद, तेरापंथ युवक परिषद की ओर से श्री भरत नौलखा, श्री सुरपत बोथरा, कोचर मोहल्ला की ओर से श्री जितेन्द्र कोचर, जन मंगल ट्रस्ट की ओर से श्री विजयचंद कोचर, रतन नेत्र ज्योति संस्थान की ओर से श्री बाबूलाल महात्मा ने अपनी भावाभिव्यक्ति दी। तेरापंथ महिला मण्डल, श्री संजय बैद, श्री प्रवीण सेठिया, श्रीमती सुमनजी और उनकी टीम ने पृथक्-पृथक् गीत के माध्यम से पूज्यचरणों में अपनी भावांजलि अर्पित की। श्री जसराज सेखाणी के 99वें जन्मदिन के अवसर पर आचार्यश्री ने उनके प्रति आध्यात्मिक मंगलकामना की।