अभिनव न्यूज
बीकानेर। महंत कालूराम जी महाराज ट्रस्ट शिवबाड़ी बीकानेर द्वारा ‘गुलाब कुंज’ में ‘लोक संत: हमारी सामाजिक धरोहर’ विषय परिचर्चा का आयोजन किया गया जिसमें बीकानेर के महर्षि नवल प्रकाश मेमोरियल ट्रस्ट, प्रकाश पुंज, द बुद्धा फाउंडेशन, बागेश्वरी साहित्यकला, सांस्कृतिक-विरासत संस्था सहयोगी बनीं।
इस परिचर्चा का शुभारंभ मुख्य अतिथि डॉ. गौरव बिस्सा, विशिष्ट अतिथियों के रूप में शिवलाल तेजी, पार्षद निर्मला बलवेश, गादीपति अजीत महाराज, आचार्य ओमप्रकाश घारू, आनंदमल चौहान ने महर्षि नवल साहेब के तेल चित्र पर दीप प्रज्वलित करके किया।
परिचर्चा में मुख्य वक्ता डॉ. गौरव बिस्सा ने संत शब्द की व्याख्या करते हुए महर्षि नवल, प्रकाश नाथ जी महाराज, संत कबीर साहेब, संत रैदास आदि की वाणियों व दोहों के माध्यम से लोक संतवाणी के महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि जिस दर्शन की बात पाश्चात्य विद्वान करते हैं वैसी ही बात वैसा ही दर्शन हमारे लोक संत अपनी वाणी और अपने उपदेशों में बहुत पहले हमें दे गये हैं। डॉ. बिस्सा ने युवा पीढ़ी को लोक संतों की जीवनी से सीख लेने हेतु विशेष प्रोत्साहित किया।
परिचर्चा के विषयगत वक्ताओं के रूप में शिक्षाविद् आनंदमल चौहान, महंत शिवलाल तेजी, अब्दुल शकूर सिसोदिया, साहित्यकार श्याम निर्मोही, पूनमचंद कंडारा, डॉ. चांदनी ने संतों में – सतगुरु नवल साहेब, संत कबीर साहेब,बाल योगी प्रकाश नाथ जी महाराज, संत रैदास, हणुत साहेब, कालूराम जी महाराज, स्वामी अछूतानंद जी के जीवन, कृतित्व और व्यक्तित्व पर विस्तृत प्रकाश डाला।
कार्यक्रम प्रभारी डॉ. सुभाष ‘प्रज्ञ’ ने परिचर्चा के उद्देश्य एवं महत्व के बारे में सदन को अवगत कराया ।
इस अवसर पर गायक सुजीत कुमार जावा ने सतगुरु नवल साहेब का बधावा- ‘शरणों सतगुरू जी रो सांचों ए’ गाकर के समा बांध दिया। वहीं
युवा गायक संजय झुंझ ने संत कबीर का भजन- ‘मौको कहाॅं ढूॅंढे बंदे, मैं तो तेरे पास में’ प्रस्तुत करके उपस्थित जनसमूह का मन मोह लिया।
परिचर्चा के समापन पर उपस्थित सत्संग समाज के आचार्यगण व महंतगण एवं संतों का सम्मान पत्र के द्वारा अभिनंदन किया गया। कार्यक्रम में डॉ. खुशबू घारू, अमित तेजी, मयूर बारासा, सुश्री मनजीत चांवरिया, कु.छवि जावा, विनोद धानका, अदिति जावा, विपुल चांगरा ने वक्ताओं के जीवन परिचय को प्रस्तुत किया। परिचर्चा में कई गणमान्य जनों ने शिरकत कीं। संचालन नेमीचंद बारासा ने किया ।