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नई दिल्ली । वीर प्रसूता राजस्थान की भूमि में जन्मे, शिक्षित-दीक्षित विश्व शांतिदूत आचार्य डॉ लोकेशजी 27 जनवरी शुक्रवार को प्रातः पहली बार एक दिवसीय बीकानेर/गंगाशहर (राजस्थान) प्रवास हेतु पहुँचेंगे वे प्रात: सर्वप्रथम अपने दीक्षा गुरू आचार्य तुलसीजी की समाधि पर पहुँचकर देश की अमन, शांति व सद्भावना के लिए प्रार्थना करेंगे तथा अर्हम् इंगलिश अकादमी के रजत जयंती समारोह में भाग लेंगे। वे बीकानेर/गंगाशहर के ऐतिहासिक स्थलों का अवलोकन भी करेंगे।
प्रखर चिंतक, लेखक, विश्व विख्यात जैनाचार्य डॉ लोकेशजी का वाहन विहार स्वीकार करने के बाद अपनी जन्म, शिक्षा-दीक्षा भूमि राजस्थान बीकानेर में पहली बार आगमन हो रहा है। उल्लेखनीय है कि 1983 में आचार्य तुलसी जी के कर कमलों से दीक्षित आचार्य लोकेशजी ने सन् 2005 में वाहन विहार स्वीकार कर अहिंसा विश्व भारती संस्था की स्थापना की थी। मौजूदा समय में वे पूरी दुनिया में अहिंसा शांति सद्भावना तथा भारतीय संस्कृति व जैन धर्म का प्रचार करने वाले सबसे अधिक चर्चित संत है।
पिछले दिनों वे अमेरिका, कनाडा और कजाखिस्तान की विश्व शांति यात्रा सम्पन्न कर भारत लौटे थे, इस यात्रा के दौरान गन वायलेन्स से जूझ रहे अमेरिका देश के राष्ट्रपति जॉ बाइडेन को इस समस्या के समाधान के लिए वैल्यू बेस्ड “पीस एजुकेशन” को अमेरिकी स्कूलों में लागू करने की सलाह दी थी। आचार्य लोकेशजी द्वारा स्थापित संस्था अहिंसा विश्व भारती फ़ाउंडेशन यूएसए के द्वारा लॉस एंजिल्स में विश्व शांति सम्मेलन का आयोजन किया था जिसमे आर्ट ऑफ लिविंग के संस्थापक श्री श्री रविशंकर जी सहित अनेक धर्माचार्य, शिक्षाशास्त्री, समाजसेवी एवं बॉलीवुड-हॉलीवुड से कई अभिनताओं ने शिरकत की थी। आचार्य डॉ लोकेशजी ने कजाखिस्तान में आयोजित विश्व काँग्रेस में भी जैन धर्म का प्रतिनिधित्व किया था जिसमें सर्वोच्च ईसाई धर्म गुरु पोप फ्रांसिस सहित 50 देशों के 100 धर्माचार्यों ने भाग लिया था।
राजस्थान के लिए यह गौरव का विषय है कि संयुक्त राष्ट्रसंघ, अमेरिकी सीनेट, लंदन पार्लियामेंट, विश्व धर्म संसद सहित अनेक अंतर्राष्ट्रीय मंचों से विश्व समुदाय को संबोधित करे चुके आचार्य लोकेशजी द्वारा भारत का पहला ‘विश्व शांति केंद्र’ दिल्ली एनसीआर गुरुग्राम में स्थापित होने जा रहा है। पिछले दिनो भूमिपुजन के बाद निर्माण कार्य तेज़ी से जारी है, लगभग 50 करोड़ की लागत से निर्मित हो रहे महत्वकांशी परियोजना लगभग डेढ़ वर्ष में परिसंपन्न हो जाएगी।
समारोह में भाग लेकर, आचार्य लोकेशजी एक दिवसीय राजस्थान यात्रा सम्पन्न कर वापस दिल्ली के लिए प्रस्थान करेंगे ।