


अभिनव न्यूज
जोधपुर। विश्व में सबसे अनूठे पूजन में शामिल धींगा गवर में इस बार विवाद खड़ा हो गया है। इस बार बात इतनी बिगड़ गई कि पूजन करने वाली तिजणियों और बाहर से आई कुंवारी लड़कियों और महिलाओं (पूजन नहीं करने वाली) के बीच हाथापाई हो गई। मामला इतना बढ़ गया कि इनके बाहर से आई महिलाओं ने डंडे भी बरसा दिए। इसमें दो से तीन महिलाओं को चोंट भी लगी।
इसके बाद इन महिलाओं ने पूजन वाली रात रविवार को करीब 3 बजे विरोध शुरू किया और फर्जी महिलाओं और लड़कियों को पकड़ उन्हें भीतरी शहर से बाहर किया। इधर, सोमवार शाम से इसको लेकर विरोध शुरू हो गया है। महिलाओं और समाज के लोगों की ओर से इस तरह के वीडियो शेयर कर बाहर से आने वाले लोगों की एंट्री बंद करने की मांग की जा रही है।
ये था मामला, लड़कियों को पूछ- पता है क्या होता है पूजन
शहर में नवचोकिया, व्यास पार्क और अन्य क्षेत्रों में तिजणियों ने कुंवारी लड़कियों और जो गणगौर का पूजन नहीं करती उन महिलाओं के हाथ में छड़ी देखी तो रोष जताया। व्यास पार्क क्षेत्र में तो कई तीजणियों ने महिलाओं से धींगा गवर के महत्व पर सवाल भी कर लिए।
इस दौरान बाहर से आई महिलाओं ने डंडे बरसाना शुरू कर दिया। इस पर महिलाएं भड़क गई। तिजणियों ने बाहर से आई महिलाओं और अन्य लड़कियों से डंडे छिन लिए। इसके बाद जब उनसे इस पूजन को लेकर सवाल किए गए तो वे जवाब नहीं दे पाई। इतना ही नहीं इस दौरान महिलाओं के बीच बहस हो गई। भीतरी शहर के नथावतों की बारी में रहने वाली नेहा जोशी के साथ भी बाहर से आई महिलाओं ने हाथापाई की। इसके बाद वे रोते हुए पूजन स्थल पर आई तो महिलाओं ने विरोध शुरू कर दिया।
महिलाओं का कहना था कि इस पूजन का गलत तरीके से प्रचार किया जा रहा है। और, इसके कारण बात यहां तक आ गई कि बाहर से आने वाली महिलाओं और लड़कियों ने पूजन करने वाली तिजणियों पर भी डंडे बरसा दिए। इसके बाद तिजणियों ने सड़क पर बेंत रखकर विरोध जताया।मेले की गरिमा बरकरार रहे। लेकिन इसके बावजूद कई पुरुष घुस आए और कई कुंवारी महिलाओं ने भी इस बेंत का गलत इस्तेमाल किया। लेकिन किसी ने सहयोग किया। कुछ अन्य तिजणियों ने भी इस व्यवस्था पर रोष जताया।
यह बेंतमार नहीं, धींगा गवर
इस मामले में सूरसागर विधायक सूर्यकांता व्यास ने कहा कि इससे बेंतमार मेले के रूप में गलत प्रचारित किया जा रहा है। शुद्ध रूप से धार्मिक आस्था वाला धींगा गवर मेला है। इसको बेंतमार गलत नाम दे दिया है, यह धींगा गवर है हमारी आस्था से जुड़ा हुआ मामला है। जहां पर भी गणगौर माता की प्रतिमा विराजमान होती है वहां आस्था के गीत गाएंगे और आगे चलेंगे। कुछ व्यवस्था हम तीजणियों को ही ठीक करनी होगी। होना ये चाहिए कि आगे से इसमें केवल तिजणियां ही हिस्सा ले, बाकी कोई दूसरा नहीं।
सुनीता पुरोहित ने बताया कि हमने इस बार पहले ही गणगौर का पूजन करने वाली कई महिलाओं से संपर्क किया हम चाहते हैं कि इसका गलत तरीके से किया गया प्रचार को रोका जाए। गौरतलब है कि तिजणियां जो हाथ में बेंत लेकर चलती है वे ईसर का रूप होते हैं। 16 दिन के पूजन में इन्हें भी साथ रखा जाता है। लेकिन, जो महिलाएं पूजन नहीं करती वे अपने साथ डंडे लेकर आती है और बेवजह इससे वार करना शुरू कर देती है।