राजस्थान साहित्य अकादमी अध्यक्ष डॉ. दुलाराम सहारण का हिंदी ग्रंथ अकादमी,जयपुर में हुआ अभिनंदन
अभिनव टाइम्स बीकानेर। राजस्थान साहित्य अकादमी के माध्यम से राजस्थान की जो समृद्ध साहित्य परंपरा है उसमें कुछ और नए सोपान जोड़ेंगे। तमाम साहित्यकारों को प्रोत्साहित और पुरस्कृत करेंगे। जो अच्छा काम कर रहे हैं उनके मान सम्मान के लिए काम करने की बात राजस्थान साहित्य अकादमी के नवनियुक्त अध्यक्ष डॉ. दुलाराम सहारण ने की।
दुलाराम सहारण सोमवार शाम राजस्थान हिंदी ग्रथ अकादमी, जयपुर की ओर से आयोजित अभिनंदन समारोह को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि नई कार्ययोजनाएं बनाकर साहित्यकारों को लाभान्वित करने का हर संभव प्रयास रहेगा। अंतिम छोर तक बैठा साहित्यकार जो साहित्य अकादमी तक पहुंच नहीं बना पा रहा था उन तक पहुंचेंगे। साहित्यकारों की इच्छाओं का आदर रखते हुए काम करूंगा।अपने पूरे कार्यकाल में यही चेष्टा रहेगी कि जो अकादमी का संविधान है, प्रक्रियाएं हैं उनके अनुरूप मुख्यमंत्री की मंशा के अनुरूप पालना हो। उन्होंने कहा कि बिना किसी वैचारिक मतभेद के सभी साहित्यकारों के हितार्थ काम करने का मेरा प्रयास रहेगा। पदभार ग्रहण करते ही लंबे समय से अटकी फाइलों को त्वरित निपटाया गया है। अकादमी में स्टाफ का अभाव है जिसकी पूर्ति जल्द करवाने के लिए प्रयासरत हूं। राजनीतिक परिस्थितियों के कारण तीन वर्ष विलंब से अकादमी में अध्यक्ष मनोनीत हो पाया किंतु तीन सालों में जो साहित्यकार मान-सम्मान से वंचित रह गए उन्हें पुरस्कृत करने का प्रयास रहेगा। अधिक से अधिक साहित्यिक आयोजन करने के लिए अकादमी सचिव के साथ एक वार्षिक कलेण्डर तैयार किया जा रहा है।
वरिष्ठ कवि एवं दूरदर्शन के पूर्व अति. महानिदेशक कृष्ण कल्पित ने नवनियुक्त साहित्य अकादमी अध्यक्ष को राष्ट्रीय स्तर का सम्मान प्रारंभ करने, साहित्यकारों के संर्वद्धन और आगामी कार्यक्रमों की रूपरेखा तैयार करने पर कई सुझाव दिए। उन्होंने कहा कि साहित्य से जुड़े लोगों को मान-सम्मान देने में कोई कसर नहीं छोड़ी जाए। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे राजस्थान लोक सेवा आयोग हिंदी ग्रथ अकादमी के पूर्व निदेशक डॉ. आरडी सैनी ने कहा कि 1998 की बात है जब अशोक गहलोत पहली बार मुख्यमंत्री बने थे। किसी अखबार में लिखा था कि प्रदेश की झोली फूलों से भर गई है। मैं इस चीज को दुलाराम सहारण से भी जोड़ता हूं कि एक पीढ़ी परिवर्तन उस समय भी हुआ था, अब भी हुआ है। वर्ग परिवर्तन वहां भी हुआ था, वर्ग परिवर्तन यहां भी हुआ है। साहित्यकार एवं सीएम के ओएसडी फारूक आफरीदी ने कहा कि मुख्यमंत्री को मैं धन्यवाद और साधुवाद देता हूं कि उन्होंने एक ऐसा युवा चुना जिसने अपने आपको साहित्य के लिए समर्पित कर रखा है। दुलाराम सहारण प्रयास संस्थान के माध्यम से राजस्थान के कोने-कोने में बैठे हमारे युवाओं से लेकर पुरोधाओं को सम्मानित करने, उनका मान सम्मान बनाए रखने के लिए काम करते आ रहे हैं जो प्रशंसनीय है। आपने राजस्थानी साहित्य में रवींद्रनाथ टैगोर से लेकर महात्मा गांधी तक की रचनाओं का अनुवाद कर उनकी विचारधारा को आमजन तक पहुंचाया है। दुलाराम के सभी कार्यो को यहां गिनाया जाना संभव नहीं। साहित्य समाज को जगाने और उसमें नव चेतना लाने का जो काम कर रहा है, उसमें अकादमी की महत्ती जिम्मेदारी बढ़ गई है। नए दायित्व के सामने कई समस्याएं भी आएगी, लेकिन आपके साहित्य के प्रति अनुराग को देखकर सभी साहित्य प्रेमी आश्वस्त हैं कि आने वाले वक्त में सार्थक कार्य होंगे। राजस्थान हिंदी ग्रथ अकादमी निदेशक डॉ. बीएल सैनी ने कहा कि राजस्थानी-हिंदी साहित्य के जाने-माने साहित्यकार दुलाराम सहारण से जो आशाएं हैं वे उनके संकल्प के साथ पूरी होंगी। हिंदी ग्रंथ अकादमी का पूरा प्रयास रहेगा कि साहित्य अकादमी के साथ मिलकर हरसंभव कार्यक्रम आयोजित करें। युवा और ऊर्जावान सहारण निसंदेह ही साहित्यक गतिविधियों के लिए सकारात्मक दृष्टिकोण रखते हैं और निकट समय में साहित्य अकादमी अपने कार्यक्रमों के माध्यम से नए आयाम स्थापित करेगी।आलोचक डॉ. राजाराम भादू ने सहारण को बधाई देते हुए साहित्य अकादमी के प्रति लोगों की अपेक्षाओं, आवश्यकताओं और खामियों को सुधारने के लिए समसामयिक समस्याओं से अवगत करवाया। युवा लेखिकाओं उमा, तसनीम खान डॉ. प्रणु शुक्ला, जयश्री कंवर, नफीस और डॉक राकेश कुमार ने डिजीटल और सोशल मीडिया प्लेटफार्म के माध्यम से अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचने के सुझाव रखे। उन्होंने कहा कि स्कूल-कॉलेज के नवयुवाओं को भी साहित्य से जोड़ने के प्रयास किए जाएं । लेखन में आरंभिक स्तर पर रचनाएं और पुस्तक लेखन वाले युवाओं एवं अन्य लोगों को प्रोत्साहित करने के लिए पहल की जाए। जयपुर नगर निगम के प्रशासनिक अधिकारी डॉ. जीएल शर्मा, डॉ. रामानंद राठी, डॉ. विशाल विक्रम सिंह, नितिन यादव, प्रो. रामसिंह, प्रो. राम लखन मीना, डॉ. जगदीश गिरी,राघवेंद्र रावत, उम्मेद सिंह आदि ने भी अपने विचार रखे। इस अवसर पर लेखिका सोनू यश राज ने अपनी पुस्तक पहली बूंद नीली थी की प्रति दुलाराम सहारण को भेंट की।कार्यक्रम का संचालन संदीप मील ने किया।