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Monday, November 25

जब राजस्थान में टूटा था कांग्रेस का फॉर्मूला, भाजपा के मानवेन्द्रसिंह की हुई थी रिकॉर्ड जीत, अब फिर आए चर्चाओं में

अभिनव न्यूज, नेटवर्क। कांग्रेस का जातिगत फार्मूला बाड़मेर में सेट है, जिसे यहां अब जेएमएम कहा जाता है। जाट, मुसलमान और मेघवाल तीन जातियों के वोट जब एक साथ कांग्रेस के साथ रहते हैं तो कांग्रेस मजबूत और एक भी इधर-उधर हुआ तो परेशानी। 2004 के चुनावों में कांग्रेस से मुसलमान नाराज हो गए। अब्दुल हादी और अमीनखां की नाराजगी के चलते कांग्रेस के खिलाफ वोट पड़े और भाजपा के मानवेन्द्रसिंह को अल्पसंख्यक वोट बड़ी संख्या में मिलने से वे रिकार्ड मतों से जीते।

कांग्रेस के कर्नल सोनाराम चौधरी से था मुकाबला
2004 में हुए चुनावों में बाड़मेर-जैसलमेर लोकसभा के लिए छह विधानसभा क्षेत्र सिवाना (सुरक्षित), पचपदरा, बाड़मेर, गुड़ामालानी, चौहटन एवं शिव, जैसलमेर जिले के एक विधानसभा क्षेत्र जैसलमेर और जोधपुर जिले के शेरगढ़ विधानसभा क्षेत्र सम्मिलित रहा। बाड़मेर लोकसभा की इस सीट के लिए 16 लाख 36 हजार 734 मतदाताओं में बाड़मेर जिले की छह विधानसभा क्षेत्रों के 12 लाख 10 हजार 56, जैसलमेर जिले के एक विधानसभा क्षेत्र के 2 लाख 23 हजार 758 एवं जोधपुर जिलेे के एक विधानसभा क्षेत्र शेरगढ़ के 2 लाख 2 हजार 880 मतदाताओं को मतदान का अधिकार दिया गया। इस चुनाव में भाजपा के मेजर मानवेन्द्रसिंह, कांग्रेस के कर्नल सोनाराम चौधरी, निर्दलीय अर्जुनराम, बसपा के श्रवणकुमार एवं निर्दलीय हस्तीमल डोसी ने चुनाव लड़ा।

2 लाख 71 हजार 888 मतों से दी शिकस्त
भाजपा के मेजर मानवेन्द्रसिंह को 6 लाख 31 हजार 851, कांग्रेस के कर्नल सोनाराम को 3 लाख 59 हजार 963, निर्दलीय अर्जुनराम को 20 हजार 495, बसपा के श्रवणकुमार केा 19 हजार 636 एवं निर्दलीय हस्तीमल डोसी को 16 हजार 753 मत मिले। इस चुनाव में भाजपा के मानवेन्द्रसिंह ने कांग्रेस के कर्नल सोनाराम चौधरी को 2 लाख 71 हजार 888 मतों से शिकस्त दी। पहली बार बाड़मेर लोकसभा सीट पर भाजपा ने अपना खाता खोला।

भाजपा में फिर शामिल हुए मानवेंद्रसिंह
आपको बता दें कि जसवंतसिंह के पुत्र मानवेन्द्रसिंह की तीसरी पारी पुन: भाजपा के साथ शुरू हुई। कांग्रेस ने लोकसभा 2018-2019 और विधानसभा 2023 दोनों चुनाव लड़ाए, लेकिन दोनों ही हार गए। 2024 में फिर भाजपा के साथ अपनी तीसरी पारी खेलेंगे। शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के मंच पर उन्होंने भाजपा ज्वाइन की। मानवेन्द्र ने यहां अपने संबोधन में कहा कि घर वापसी हुई है। घर तो घर होता है। परिवार में आकर अच्छा लग रहा है। परीस्थितियां कुछ अलग रही लेकिन अब सबके साथ रहूंगा। मानवेन्द्र की ज्वॉइनिंग भाजपा के लिए राजपूत कार्ड है। यहां त्रिकोण के संघर्ष में निर्दलीय रविन्द्रसिंह भाटी के साथ राजपूत वोटर्स का झुकाव है। मानवेन्द्र की वापसी के बाद आंकलन लगाया जा रहा है कि इसका कितना असर होगा?

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