अभिनव टाइम्स | बीकानेर में 29 मई को पानी का संकट खत्म हुआ था। दाे जून से कटाैती भी बंद हाे गई। रोज दाे से तीन घंटे तक सप्लाई हाे रही फिर भी शहर में एक दर्जन से ज्यादा एेसे पेन एरिया है जहां अभी भी नहरबंदी जैसे हालात है। यहां आज भी टैंकर से ही पानी पहुंचाया जा रहा है। शहर की 32 टंकियाें में से अाधी टंकियाें पर अभी भी पेयजल संकट की स्थिति बनी हुई है। रोजाना पेयजल सप्लाई होने के बाद भी 165 टैंकर से पानी टेल पर पहुंचाया जा रहा है। सच्चाई ये है कि आगामी दो साल तक इसका कोई स्थायी समाधान नहीं होगा क्योंकि जब तक 872 करोड़ रुपए के प्रोजेक्ट का पहला चरण पूरा नहीं होगा तब तक ना तो पानी ज्यादा फिल्टर होगा ना नई टंकियां बनेगी। हालात ये है कि 16 टंकियाें के क्षेत्र में टेल एरिया पर बसे करीब 75 हजार की आबादी काे पूरे साल पानी खरीदना पड़ता है। नहरबंदी के दाैरान पीएचईडी की टैंकर सेवा भी पूरी नहीं पड़ती।
फ्यूचर प्लान :2024 तक 872 करोड़ खर्च होंगे
सरकार ने बीकानेर शहर की 2050 तक की प्रस्तावित 11 लाख आबादी की प्यास बुझाने के लिए 872 कराेड़ का प्रस्ताव पास किया है। अगले सप्ताह इसकी औपचारिक शुरूआत सीएम करेंगे। इसके तहत 15 नई टंकियां बनेंगी। जहां-जहां टेल इलाके हैं उन इलाकों में टंकियां प्रस्तावित हैं। इससे पुरानी टंकियों का एरिया कम हाेगा ताे टेल तक पानी पहुंचेगा। सेटेलाइट इलाके में नई टंकी बनने से पाबूबारी, बड़ी गुवाड़, ब्रह्मपुरी, इसके अलावा पवनपुरी इलाके में भी किल्लत कम हाे जाएगी। साथ ही नई पाइप लाइन बिछेगी ताे छीजत भी कम हाेगी। दो साल नहरबंदी में जब तक नहर सही होगी तब तक शहर में पीएचईडी का काम भी पूरा हो जाएगा। ऐसे में भीषण गर्मी में दो साल की किल्लत और सहनी होगी। हालांकि बीच-बीच में कुछ इलाकाें में पाइप लाइन डालकर समस्या दूर हाे रही है।
इन इलाकों में लोगों को पूरे साल मंगवाने पड़ते हैं टैंकर
मुक्ता प्रसाद : दमामियों की गली, माता जी का मंदिर, ओडाे का बास, हीरा-पीरा स्कूल, ऊन वर्गीकरण केन्द्र के आसपास, मुर्गा मैदान जैसे इलाकाें में आज भी एक दर्जन से ज्यादा टैंकर से पानी भेजा जा रहा है। ये सर्वाेदय बस्ती का इलाका है। राहत की बात ये है कि सुभाषपुरा नई टंकी का जो टेल इलाका इससे लगता हुआ है वहां अभी ज्यादा दिक्कत इसलिए नहीं क्योंकि इलाका छोटा है और नई टंकी है।
नत्थूसर : नत्थसूर टंकी का बाहेती चौक ऐसा टेल एरिया है जहां एक गली में ताे पूरे 10 महीने तक टोंटियों से पानी नहीं आता। दिसंबर-जनवरी में यहां पानी जरूर आता है क्याेंकि तब पानी की मांग साल में सबसे कम हाेती है। समस्या से निजात पाने के लिए इस गली से सटते लक्ष्मीनाथ टंकी वाले इलाके से कनेक्शन लिए दो नहरबंदी के दौरान यहां भी बूंद नहीं आई। मरुनायक चौक से चौधरियों की गली में अब पानी आता भी है तो एक कनेक्शन से दो से तीन घर बार-बारी पानी भरते हैं।
पवनपुरी : पवनपुरी का विस्तार जाेधपुर बाईपास तक हाे गया। कुछ इलाकाें तक ताे पूरा पानी आ रहा लेकिन हाई वे करीब तक पहुंच चुके मकानाें में अब भी दिक्कत बरकरार है। नागणेची जी मंदिर के आगे ज्यादा दिक्कत है।
व्यास काॅलाेनी : यहां तिलक नगर तक स्थिति ठीक है लेकिन उसके आगे वैष्णों धाम तक जितनी भी कॉलाेनियों में पानी जाता है वहां बहुत कम पानी पहुंचता है। इसके अलावा गंगाशहर, रानीबाजार, मुक्ताप्रसाद, कुचीलपुरा जैसे इलाके हैं जहां अभी भी दिक्कत है।
डाॅ.करणीसिंह स्टेडियम : धाेबीधाेरा इलाका ऐसा है जहां इस टंकी का टेल है। धाेबीधाेरा में आधे इलाके में सुबह पांच बजे और आधे में सात बजे सप्लाई हाेती है लेकिन ये भी दाे हिस्साें में बंटा है। हाल ही में यहां एक अलग तीन इंच की लाइन डाली गई। दाे दिन से आंशिक राहत है लेकिन पूरी तरह फिर भी नहीं क्याेंकि नई लाइन से भी एक इलाके में ज्यादा पानी जा रहा दूसरे में कम।
टेल इलाकों में दिक्कत है
टेल इलाकों में दिक्कत है। वो भी शहर की 32 टंकियाें में से सब पर नहीं। कुछ जगह बसावट ऐसी है कि इलाके ऊंचे हैं ताे कुछ जगह पानी की मांग ज्यादा है। सप्लाई टाइम बढ़ाकर कंट्राेल करने की काेशिश कर रहे हैं। 15 नई टंकियां बनने के बाद सारी समस्या दूर हा़े जाएगी। – बलवीरसिंह, अधीक्षण अभियंता पीएचईडी