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Thursday, September 19

दृष्टिकोण: मुद्दे ढूंढ़ती कांग्रेस में परिपक्व नेतृत्व का संकट

संजय आचार्य ‘वरुण’

इन दिनों भारत की राष्ट्रीय राजनीति की सरगर्मियां काफी तेज हैं। गुरुवार को लोकसभा में विपक्षी दलों के गठबंधन द्वारा नरेन्द्र मोदी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया गया, जैसा कि लोकसभा के सीटों के आंकड़ों से स्पष्ट था, उसी के अनुसार ये अविश्वास प्रस्ताव ध्वनिमत से गिर गया। इस अविश्वास प्रस्ताव की विफलता से और खास तौर से प्रधानमंत्री मोदी के दो घंटे तेरह मिनट के आक्रामक भाषण से राहुल गांधी बुरी तरह भन्ना गए हैं, एक और घटनाक्रम में प्रधानमंत्री के लिए आपत्तिजनक शब्द का इस्तेमाल करने के लिए कांग्रेस सांसद अधीर रंजन चौधरी को अगले निर्णय तक लोकसभा से निलम्बित कर दिया गया है।

इसी पर अपना गुस्सा जाहिर करने के लिए राहुल गांधी ने शुक्रवार को दोपहर कांग्रेस मुख्यालय में प्रेस कॉन्फ्रेंस की। संसद में राहुल गांधी के भाषण और प्रेस कॉन्फ्रेंस में उनको सुनने के बाद लगता है कि कांग्रेस के पास मुद्दों का अभाव हो गया है। उनकी हर बात मणिपुर से शुरू होती है और मणिपुर पर ही खत्म होती है। जबकि अविश्वास प्रस्ताव की बहस के दौरान प्रधानमंत्री और गृहमंत्री ने विस्तार से मणिपुर पर सरकार के एक्शन की जानकारी दी। प्रेस कॉन्फ्रेंस में राहुल ने इस बात पर कई बार आपत्ति जताई कि मणिपुर जल रहा है और प्रधानमंत्री अपने भाषण के दौरान हंस रहे थे। उन्होंने ये भी कहा कि पी एम मणिपुर को जलाना चाहते हैं।

अब सवाल ये उठता है कि क्या वाकई प्रधानमंत्री मणिपुर की बात करते हुए हंस रहे थे ? नहीं यह सही नहीं है, प्रधानमंत्री जब कांग्रेस पार्टी की कार्यशैली पर व्यंग्य कर रहे थे, तब जरूर मुस्कुरा रहे थे लेकिन जब वे मणिपुर और पूर्वोत्तर राज्यों की बात कर रहे थे, तब वे बहुत गंभीर थे। जरा सोचिए, 72 साल का एक व्यक्ति लगातार दो घंटे तेरह मिनट तक तक खड़े- खड़े, बिना सुस्ताए, बिना पानी पिये पूरी एनर्जी से देश के सभी महत्वपूर्ण मुद्दों पर बात करता है।

कांग्रेस के सांसद अधीर रंजन अपने भाषण में यह कहते हैं कि प्रधानमंत्री को खींचकर संसद में लाओ। अधीर रंजन ने यह नहीं देखा कि उनके नेता राहुल गांधी तो प्रधानमंत्री से बहुत कम आयु के हैं, वे दो घंटे तेरह मिनट बोलना तो दूर, दो घंटे तेरह मिनट लगातार संसद में बैठ भी नहीं पाते हैं। प्रधानमंत्री मोदी के भाषण के दौरान वे कभी सदन में दिखने लग जाते तो कभी गायब हो जाते। अपनी अमर्यादित टिप्पणी के कारण अधीर रंजन अगले निर्णय तक सदन से निलंबित कर दिए गए। इधर सरकार के खिलाफ आए इस अविश्वास प्रस्ताव के दौरान आम आदमी पार्टी को बड़ा झटका लगा है।

उनके दो सांसद राघव चड्डा और संजय सिंह को अविश्वास प्रस्ताव पर दस्तखत के मामले में जांच कमेटी की रिपोर्ट आने तक संसद से निलम्बित कर दिया गया है। स्वाभाविक है कि आप के सांसद सरकार पर बदले की कार्रवाई करने का आरोप लगा रहे हैं। समझ में ये नहीं आ रहा है कि प्रमुख विपक्षी दल के नेता राहुल गांधी इतने समय से सार्वजनिक जीवन में होते हुए भी इतने अपरिपक्व कैसे हो सकते हैं। बुधवार को संसद में अविश्वास प्रस्ताव की बहस में 37 मिनट के अपने भाषण में वे सरकार द्वारा भारत माता की हत्या करने की बात कह देते हैं।

राहुल गांधी सहित हम सभी भारत माता की गोद में बैठे हैं, उनकी बात सुनकर ये लगता है कि उन्हें ठीक ढंग से विरोध करना भी नहीं आता। आप इतने बड़े नेता होकर बिना सोचे- समझे कैसे बोल सकते हैं। ऐसे भाषण देकर राहुल गांधी भला किस तरह जनता का विश्वास जीत पाएंगे, समझ में नहीं आता। कांग्रेस की संस्कृति ये है कि उसका नेतृत्व औपचारिक या अनौपचारिक रूप से गांधी परिवार ही करता है। चाहे कोई भी अध्यक्ष बन जाए लेकिन नेतृत्व हमेशा अप्रत्यक्ष रूप से किसी न किसी गांधी के हाथ में ही रहता है। वर्तमान में गांधी परिवार की उम्मीद राहुल गांधी हैं लेकिन दुखद है कि उनमें वह गहरी समझ दिखाई ही नहीं देती जिसकी आवश्यकता राष्ट्रीय राजनीति में अनिवार्य रूप से होती है।

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