संजय आचार्य वरुण
संसद भवन परिसर में सांसदों का एक झुंड खड़ा है। उनमें से एक सांसद भारत के उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ की नकल उतार रहा है। वह बेहूदा तरीके से उपराष्ट्रपति जी के बोलने और खड़े होने के अंदाज का मजाक उड़ा रहा है। उसके आसपास खड़े सांसद ठहाके लगाते हुए एक उच्च संवैधानिक पद पर आसीन बुजुर्ग की खिल्ली उड़ा रहे हैं। इस देश के प्रमुख राजनीतिक परिवार के उत्तराधिकारी और स्वयं को प्रधानमंत्री पद का दावेदार समझने वाले राहुल गांधी उस फूहड़ टी एम सी सांसद कल्याण बनर्जी का विडियो बना रहे हैं।
भारतीय संसद के दरो- दीवारों और इस देश के लोगों ने कभी सोचा भी नहीं होगा कि जिस संसद में पंडित जवाहरलाल नेहरू, बाबा साहेब अम्बेडकर, गोविंद बल्लभ पंत, सरदार पटेल, लाल बहादुर शास्त्री सहित न जाने कितने महान व्यक्तित्वों ने बैठकर भारत की गरिमा को विश्व भर में प्रतिष्ठित किया था, आज उसी संसद में कल्याण बनर्जी और राहुल गांधी जैसे सांसद बैठते हैं। आज हमारी राजनीति का स्तर क्या है, यह इस एक विडियो से समझा जा सकता है। आखिर क्यों हमारी राजनीति में सड़क छाप सोच रखने वाले लोग इतना आगे बढ़कर संसद के सदस्य होने का महान सम्मान पा जाते हैं। कहीं न कहीं हमारी व्यवस्था और चयन प्रक्रिया में कोई बड़ी खामी है, इसी वजह से पान की दुकान चलाने की हैसियत रखने वाले लोग दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र कहे जाने वाले देश में सांसद बन जाते हैं। जगदीप धनखड़ तो भारत के उपराष्ट्रपति हैं, उनका पद अत्यंत सम्माननीय है।
संवैधानिक पद का अपमान संविधान के अपमान के जैसा ही निन्दनीय और दण्डनीय काम है। अगर जगदीप धनखड़ पद पर न हों तो भी वे बुजुर्ग और अनुभवी व्यक्तित्व होने के नाते बहुत आदरणीय हैं। उनका अपमान भारत के गिरते राजनीतिक और मानवीय मूल्यों की ओर संकेत करता है। ममता बनर्जी इस तरह के लोगों के साथ अपनी पार्टी चलाती हैं ? अपने आप को जवाहरलाल नेहरू का वंशज कहने वाले राहुल गांधी अपने इस टुच्चे व्यक्तित्व के साथ इस देश का प्रधानमंत्री बनने का स्वप्न देखते हैं ? अगर कांग्रेस में और श्रीमती सोनिया गांधी में जरा सी भी नैतिकता शेष है तो उन्हें इस घटना की स्पष्ट निन्दा करनी चाहिए और राहुल गांधी को भारत के उपराष्ट्रपति के अपमान में शामिल होने के लिए सार्वजनिक रूप से क्षमा मांगनी चाहिए।
इस तरह की घटना किसी कॉलेज के परिसर में उद्दण्ड लड़कों द्वारा होती तो भी अक्षम्य होती लेकिन ये हमारे आज के सांसद हैं, जिन्हें लाखों लोगों ने चुनकर अपनी रहनुमाई के लिए संसद में भेजा है, ये व्यक्तित्व होता है आज के सांसद का ? अटल बिहारी वाजपेयी, पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर, सोमनाथ चटर्जी जैसे लोगों की आत्मा अगर कहीं अस्तित्व में है तो निश्चित रूप से उन्हें ऐसे सांसद देखकर रोना ही आया होगा। भारत सरकार को निश्चित रूप से इस घटना को गम्भीरता से लेना चाहिए। देश के तथाकथित बुद्धिजीवी जो इस अब मुंह में मूंग डालकर बैठ गए हैं, वे जरा आत्मचिंतन करें कि क्या वास्तव में वे बुद्धिजीवी कहलाने के लायक हैं