अभिनव न्यूज, नेटवर्क। राजस्थान में चुनावी साल में बीजेपी की पूर्व सीएम वसुंधरा राजे बीजेपी के बड़े प्रदर्शनों से दूरी बनाए हुए है। राजनीतिक विश्लेषक वसुंधरा राजे की दूरी को मुख्यमंत्री के चेहरे से जोड़कर देख रहे हैं। क्योंकि इस बार बीजेपी पीएम मोदी के चेहरे पर विधानसभा चुनाव लड़ेगी। इससे पहले बीजेपी ने लगातार दो बार वसुंधरा राजे के चेहरे पर ही चुनाव लड़ा था।
सियासी जानकारों का कहना है कि इस बार हालात बदल गए है। राजे की भूमिका को लेकर फिर से अटकलों को बाजार गर्म हो गया है। अपनी उपेक्षा से वसुंधरा राजे नाराज है? वसुंधरा राजे ने हाल ही में जयपुर में हुए बड़े प्रदर्शन से दूरी बना ली थी। बता दें हाल ही में केंद्रीय मंत्री शेखावत ने कहा कि पीएम मोदी के चेहरे पर ही चुनाव लड़ेंगे। केंद्रीय मंत्री देश-प्रदेश में घूम-घूम कर यह बात कह रहे हैं। इससे वसुंधरा राजे कैंप नाराज बताया जा रहा है।
जयपुर में हुए प्रदर्शन से बनाई दूरी
उल्लेखनीय है कि चुनावी साल में प्रदेश बीजेपी ने ‘नहीं सहेगा राजस्थान’ अभियान की बड़े स्तर पर शुरुआत की। खुद पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने इसका आगाज किया। एक अगस्त को पार्टी ने बड़े स्तर पर बड़े स्तर पर प्रदर्शन किया, लेकिन इससे पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे दूर रहीं, जबकि मंच पर राजे की कुर्सी रिजर्व रखी गई थी। हालांकि कुछ पार्टी के नेताओं का यह भी मानना है कि मंच पर लगे पोस्टर से वसुंधरा राजे की फोटो नदारद थी। ऐसे में राजे ने प्रदर्शन में आने का निर्णय बदला। प्रदर्शन से 2 दिन पहले फिर नड्डा जयपुर आए थे और उन्होंने चुनाव की तैयारियों के साथ ही इस प्रदर्शन के बारे में भी फीडबैक लिया था। राजे की गैर मौजूदगी पर बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष सीपी जोशी ने सफाई दी कि कुछ नेता पारिवारिक कारण से प्रदर्शन में शामिल नहीं हो पाए।
सीएम गहलोत का बीजेपी पर तंज
सीएम गहलोत ने वसुंधरा राजे की प्रदर्शन से दूरी पर बीजेपी को घेरा। गहलोत ने कहा दो बार की मुख्यमंत्री प्रदर्शन में शामिल नहीं हुई। सीएम फेस को कब छिपाओगे। राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि बीजेपी में पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे की भूमिका को लेकर चर्चाएं गर्म हो गई है। पार्टी का एक धड़ा यह मान रहा है कि वसुंधरा राजे इस बार चुनाव नहीं लड़ेगी। जबकि दूसरे धड़ा के मुताबिक राजे के बिना राजस्थान में बीजेपी की वापसी मुश्किल है। पीएम मोदी के चेहरे पर चुनाव नहीं लड़ना चाहिए।
सियासी जानकारों का तर्क है कि हमेशा चुनावी मोड में रहने वाली बीजेपी राजस्थान को लेकर जिस तरह से असमंजस की स्थति से गुजर रही है। उसका प्रदेश बीजेपी को हर दिन नुकसान भी हो रहा है। हाल ही में जयपुर में सरकार के खिलाफ जिन दावों को लेकर घेराव की रणनीति बनाई गई थी। कसौटी पर वे तमाम दावे पूरे होते हुए नजर नहीं आए।
वसुंधरा राजे कैंप की दूरी
सियासी जानकारों का कहना है कि विधानसभा चुनाव में अब ज्यादा समय नहीं बचा है। एक से डेढ़ महीने बाद आचार संहिता लग जाएगी, लेकिन बीजेपी ने वसुंधरा राजे की भूमिका को तय नहीं किया। ऐसे पार्टी का एक बड़ा धड़ा अभी भी संगठन के काम काज से दूर है। बीजेपी में भले ही सामने कुछ नहीं दिख रहा हो, लेकिन अंदर बड़ा उबाल चल रहा है। राजे की भूमिका को लेकर बीजेपी में चल रहे इस असमंसज के चलते ही बीजेपी कार्यकर्ताओं के बीच चुनाव माहौल को वो गति नहीं दे पा रही जो चुनावी साल में होनी चाहिए।