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Friday, September 20

उदयपुर में दो दिवसीय बाल साहित्यकार सम्मेलन

अभिनव न्यूज बीकानेर।
उदयपुर। राजस्थान साहित्य अकादमी उदयपुर एवं सलिला संस्था सलुम्बर की ओर से राजस्थान कृषि महाविद्यालय के प्रसार शिक्षा निदेशालय, उदयपुर के सभागार में दो दिवसीय बाल साहित्यकार सम्मेलन का शुभारम्भ हुआ।

सम्मेलन के मुख्य अतिथि उदयपुर के पूर्व सांसद, श्री रघुवीर सिंह मीणा ने ऐसे आयोजन की आवश्यकता पर बल दिया और आधुनिक युग की चुनौतियों का समाधान करने वाला साहित्य रचने का आह्वान किया। उद्घाटन सत्र के अध्यक्ष महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, उदयपुर के कुलपति डॉ. अजीत कुमार कर्नाटक ने सम्बोधित करते हुए संस्कारित जीवन में बाल साहित्य की भुमिका को स्पष्ट किया। आपने साहित्यकारों से हिन्दी के विकास हेतु सतत् लेखन कार्य करने की अपील की। कार्यक्रम का प्रारम्भ माँ सरस्वती के सम्मुख दीप प्रज्वलन एवं सरस्वती वन्दना से हुआ। संस्था की संस्थापक एवं अध्यक्ष डॉ. विमला भण्डारी ने संस्था की गतिविधियों का परिचय देते हुए अतिथियों एवं सम्भागियों का स्वागत किया।

इस अवसर पर सलिला संस्था, सलुम्बर की नव प्रकाशित वार्षिक स्मारिका ’’सलिल प्रवाह’’ के 13 वें अंक का अतिथियों द्वारा लोकार्पण किया गया। बाल साहित्यकार कुसुम अग्रवाल, कांकरोली के बाल साहित्य पर केन्द्रित इस विशेषांक के सम्पादक प्रकाश तातेड़ एवं समीक्षक तरूण दाधीच ने पत्रिका के सम्बन्ध में सारगर्भित वक्तव्य दिया। इस सम्मेलन में बाल साहित्य की विविध विधाओं पर पत्र-वाचन एवं चर्चा-सत्र होंगे। इसे आधार प्रदान करने के लिए बीकानेर के हरीश बी. शर्मा ने बीज वक्तव्य की प्रस्तुति दी। आपने सॉशल मिडिया के बढ़ते प्रभाव के परिदृश्य में बाल-पत्रिकाओं की स्थिति एवं बालक के सम्पूर्ण विकास में पत्र-पत्रिकाओं की भूमिका विषय पर अत्यधिक संतुलित एवं प्रभावी वार्ता प्रस्तुत की।

राजस्थान साहित्य अकादमी की सरस्वती सभा के सदस्य एवं गीतकार श्री किशन दाधीच ने बाल साहित्य का पृथक से इतिहास लिखने की आवश्यकता बताई। विशिष्ट अतिथि जयपुर के प्रबोध कुमार गोविल ने राजस्थान में बाल साहित्य अकादमी के गठन को एक महत्वपूर्ण कदम बताया। इस सत्र में डॉ. अखिलेश पालरिया, अजमेर की पुस्तक ’’जो भुला न सका’’ तथा उषा सोमानी, चितौड़गढ़ की पुस्तक ’’मस्ती की पाठशाला’’ का अतिथियों द्वारा लोकार्पण किया गया। कार्यक्रम का सरस काव्यमय संचालन शकुंतला सरूपरिया ने किया। कार्यक्रम के अन्त में अकादमी के प्रतिनिधि प्रकाश नेभनानी ने सभी का आभार प्रकट किया।

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