बीकानेर ।’जब्बार बीकाणवी साहित्यकारों को मान सम्मान देने में अग्रणी थे। उनके जाने से साहित्य जगत को तो क्षति हुई ही है साथ ही समाज को भी सामाजिक क्षति हुई है। वे सकारात्मक सोच वाले नेक इंसान होने के साथ ही ऊर्जा से भरपूर व्यक्तित्व थे’ ये उद्गार व्यक्त किए वरिष्ठ कवि कहानीकार सरदार अली पड़िहार ने। अवसर था वरिष्ठ साहित्यकार कीर्ति शेष अब्दुल जब्बार तंवर उर्फ जब्बार बीकाणवी की स्मृति में प्रज्ञालय संस्थान एवं बीकानेर साहित्य संस्कृति कला संगम की तरफ से आयोजित शब्दांजलि श्रद्धांजलि कार्यक्रम का।
कार्यक्रम में कवि कथाकार कमल रंगा ने कहा कि जब्बार बीकाणवी विराट एवं बहुआयामी व्यक्तित्व थे। हम सब उनके जीवन से प्रेरणा ले सकते हैं साथ ही उनके अप्रकाशित साहित्य को प्रकाशित करने की हम सबकी ज़िम्मेदारी है।
कार्यक्रम में वरिष्ठ व्यंग्यकार बुलाकी शर्मा ने अपनी श्रद्धांजलि प्रस्तुत करते हुए कहा कि दोनों संस्थाओं ने जब्बार बीकाणवी जैसी महान विभूति को याद करके बहुत ही सराहनीय कार्य किया है।उन्होंने जब्बार बीकाणवी को भावनाओं को ईमानदारी से व्यक्त करने वाला व्यक्तित्व बताया। श्रद्धांजलि कार्यक्रम में मइनुद्दीन जामी ने संस्कृत में ना’त शरीफ पेश करके उन्हें ख़िराजे-अक़ीदत पेश की। वरिष्ठ रंगकर्मी बी एल नवीन ने कहा कि वह देवता तुल्य इंसान थे।
कवयित्री मनीषा आर्य सोनी ने कहा कि आप एक ममता का रूप थे जो सभी को एक समान मिलता था । जुगल किशोर पुरोहित ने कहा कि आपका व्यवहार मधुर थ। इसरार हसन क़ादरी ने कहा कि वे साहित्य के बहुत बड़े स्तंभ थे। वरिष्ठ कवि मइनुद्दीन ‘नाचीज़’ कोहरी ने कहा कि वह समाज के लिए एक आदर्श थे और सादा जीवन उच्च विचार के धनी थे। घनश्याम सिंह ने कहा कि राग में कविता पढ़ने का उनका अंदाज़ सबसे अलग और सबसे जुदा था। शाइर इरशाद अज़ीज़ ने कहा कि वे आशु कवि थे और सरस्वती उन की ज़बान पर रहती थी। संजय आचार्य ‘वरुण’ ने कहा कि उन्होंने हर क्षेत्र में अपना सर्वश्रेष्ठ योगदान दिया, उनके रोम रोम में प्रेम, स्नेह एवं वात्सल्य भरा हुआ था। राजाराम स्वर्णकार ने कहा कि वे एक ऐसी शख्स़ियत थे जो हर उम्र के व्यक्तियों के साथ घुलमिल जाते थे। प्रेम नारायण व्यास ने कहा कि उन्हें उनके कृतित्व की वजह से हमेशा याद किया जाता रहेगा। प्रोफ़ेसर अजय जोशी ने श्रद्धांजलि प्रस्तुत करते हुए कहा कि वे युवा रचनाकारों को प्रोत्साहित करते थे। संजय सांखला ने कहा कि वे हमारे नगर की धरोहर थे, वो शब्दों में डूब जाते थे,हमें उनके जीवन से सीख लेनी चाहिए।कला संगम के अध्यक्ष क़ासिम बीकानेरी ने उन्हें श्रद्धा सुमन अर्पित करते हुए कहा कि उनका जीवन वास्तव में अनुशासन,उच्च आदर्शों एवं जीवन मूल्यों के एक इंस्टिट्यूट की तरह था। हनुमंत गौड़ ने कहा कि उनका एनर्जी लेवल बहुत उच्च था, वे प्रेरणादायी व्यक्तित्व थे।कवियत्री मधुरिमा सिंह ने कहा कि शब्द से उनका गहरा जुड़ाव था और कविता पढ़ते समय वे शब्दों में डूब जाते थे।डॉ फ़ारुक़ चौहान ने कहा वे कि स्वास्थ्य के प्रति सजग थे और उन्हें खेलों से भी गहरा जुड़ाव था। प्रोफ़ेसर नृसिंह बिन्नानी ने उनकी शान में कविता पेश करके उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की।
कार्यक्रम में नगर एवं प्रदेश के अनेक रचनाकारों ने ऑनलाइन एवं ई माध्यम से जब्बार बीकाणवी को अपनी श्रद्धांजलि पेश की। जिनमें जोधपुर से वरिष्ठ साहित्यकार भवानी शंकर व्यास विनोद, अजमेर से वरिष्ठ चित्रकार मुरली मनोहर के माथुर, सोजत से वरिष्ठ साहित्यकार संपादक अब्दुल समद ‘राही’,जयपुर से शायर संपादक अनिल अनवर, जोधपुर के शायर श्यामसुंदर भारती, कवि लीलाधर सोनी ने उन्हें आत्मिक श्रद्धांजलि प्रस्तुत की।कार्यक्रम में मुनींद्र प्रकाश अग्निहोत्री, आबिद हुसैन, मधुसूदन सोनी, व्यास योगेश राजस्थानी, गंगाविशन बिश्नोई एवं तुलसीराम मोदी ने भी श्रद्धा सुमन अर्पित किए।कार्यक्रम के अंत में सभी उपस्थितजनों ने दो मिनट का मौन रखकर जब्बार बीकाणवी को श्रद्धांजलि अर्पित की।