अभिनव न्यूज, बीकानेर। संस्कृत भारती संस्थान द्वारा वरिष्ठ साहित्यकार स्व. लक्ष्मीनारायण रंगा की स्मृति में चल रहे त्रि-दिवसीय संस्कृत संभाषण शिविर का लक्ष्मीनारायण रंगा सृजन सदन में आज सांस्कृतिक कार्यक्रम के साथ समापन समारोह हुआ। कार्यक्रम का शुभारंभ अतिथियों ने माँ भारती, माँ सरस्वती व स्व. लक्ष्मीनारायण रंगा के छायाचित्र पर पुष्पांजलि के साथ किया। श्रीमती सुरेखा ओझा तथा सरोज पंवार ने स्वागत गीत के साथ कार्यक्रम का शुभारंभ किया। जितीशा सुथार ने तांडव स्तोत्र ,लोकेंद्र ने भारतीगीत, उत्तर दास ने महिषासुर मर्दिनी स्तोत्र पर नृत्य प्रस्तुत किया । मुख्य अतिथि कमल रंगा ने राजस्थानी भाषा में संस्कृत के महत्व को बताते हुए कहा कि वर्तमान समाज में संस्कृत को पुनर्जीवित करने की आवश्यकता है ।
बालकों को नीतीश्लोक को कंठस्थ करके वातावरण को संस्कृत मय बनाना चाहिए । संस्कृत व्याख्याता श्रीमती आशा कँवर ने संस्कृत भाषा को आम जन की भाषा बनाने की अपील की इसके लिए सार्वजनिक स्थानों पर समय-समय पर शिविर लगाते रहने चाहिए। विशिष्ट अतिथि प्रांत मंत्री ताराचंद ने अपने उद्बोधन में छोटे-छोटे बालकों को बचपन में ही संस्कृत का अभ्यास करने व कराने पर जोर दिया जाना चाहिए।
श्रीमती सपना व्यास ने कहा कि संस्कृत भाषा सरल और मधुर भाषा है इसमें संगीत का भी उपयोग करके बच्चों को सरल श्लोक का अभ्यास करना चाहिए। डॉ योगेश व्यास व नरेश सारस्वत ने संस्कृत गीत व जयतु भारतम् जयतु संस्कृतम् वदतु संस्कृतम् लिखतु संस्कृतम् अस्मकम् भाषा संस्कृत भाषा आदि के नारे लगाए। कार्यक्रम के अंत में छात्रों को पुरस्कार प्रदान किए गए तथा संस्कृत भारती के कार्यकर्ताओं का सम्मान किया गया ।
कार्यक्रम में जितेंद्र सोनी ,नरेश, सुलोचना श्रीमाली, बलदेव व्यास, पवन डोटासरा, दाऊ रामावत ,रमेश , जोगाराम, पूनम स्वामी, हरिशंकर आचार्य आदि अनेक कार्यकर्ता उपस्थित थे ।संपूर्ण कार्यक्रम का संचालन संस्कृत भाषा मे धर्मेंद्र श्रीमाली तथा बलदेव व्यास ने किया। संस्कृत भारती के अध्यक्ष श्री राजेंद्र जी सुथार तथा प्रांत मंत्री हरिशंकर सारस्वत ने धन्यवाद ज्ञापित किया। लक्ष्मीनारायण रंगा सृजन सदन के संचालक राजेश रंगा ने समस्त उपस्थित जनों के प्रति आभार व्यक्त किया।