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Monday, November 25

पुष्कर मेले में नहीं होगी पशुओं की आवक:लंपी के कारण लिया निर्णय, पिछले साल नहीं हुए सांस्कृतिक कार्यक्रम

अभिनव न्यूज।
अजमेर: तीर्थराज पुष्कर में कार्तिक माह के अन्तरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त मेले में इस बार पशुओं की आवक नहीं होगी। पिछले साल कोरोना के कारण सांस्कृतिक कार्यक्रम नहीं हुए और इस बार पशु नजर नहीं आएंगे। राज्य सरकार ने गायों में लम्पी डिजिज, घोड़ों में गैलेंडर के कारण यह निर्णय लिया गया। इस बार केवल विदेशी टूरिस्ट व सांस्कृतिक-धार्मिक कार्यक्रम का क्रेज ही रहेगा। ऐसे में पशुओं व ग्रामीण लोगों की बड़ी संख्या में आवक नहीं होने से रौनक फीकी रहने के आसार है।

पिछले साल कोरोना गाइड लाइन के बीच मेले का आयोजन हुआ और साल 2020 में कोरोना के कारण मेले का आयोजन नहीं हुआ। ऐसे में दोनों ही साल कोई खास रौनक नहीं रही। इस बार विदेशी भी अच्छी संख्या में आने की उम्मीद है। साथ ही धार्मिक सांस्कृतिक कार्यक्रम ही आकर्षण का केन्द्र रहेंगे।

जिला कलेक्टर अंश दीप ने बताया कि पशु पालन विभाग द्वारा जारी आदेश के अनुसार राज्य स्तरीय श्री कार्तिक पशु मेला पुष्कर वर्ष 2022 का आयोजन 26 अक्टूबर से 10 नवम्बर तक किया जाएगा। राज्य में गौवंशीय पशुओं में तेजी से फैल रही लंपी स्कीन डिजीज के संक्रमण के चलते विभागीय स्तर से पशु मेले का आयोजन किया जाना सम्भव नहीं है। आध्यात्मिक, धार्मिक एवं पर्यटन की दृष्टी से विख्यात इस पशु मेले में पशु आवक एवं पशु प्रतियोगिताओं के आयोजन को प्रतिबंधित रखा गया है।

बिना पशु के पुष्कर मेला फीका-टंडन

राजस्थान राज्य वरिष्ठ नागरिक कल्याण बोर्ड अजमेर के उपाध्यक्ष राजेश टंडन ने पशु मेले को लेकर प्रभारी मंत्री महेंद्र मालवीय, पशु पालन मंत्री लाल चंद कटारिया व पर्यटन निगम के अध्यक्ष धर्मेन्द्रसिंह राठौड़ से बात की। दोनों को बताया कि पर्यटन की दृष्टि से पशु मेला लगना अति आवश्यक है और काश्तकारों की यह महत्ती आवश्यकता है। पशु पालक पिछले क्ई वर्षों से परेशान हो रहे हैं। कभी कोविड की वजह से तो कभी गलेंडर बिमारी और कभी गायों की बिमारी। उन्होंने बताया कि बिना पशु मेले के पुष्कर मेला ही फीका रहेगा और पुष्कर मेला तो ग्रामीणों का मेला है, जिसकी अन्तर्राष्ट्रीय स्तर तक ख्याति प्राप्त है। घोडों, घोडियों का तो यह हिंदुस्तान का सबसे बड़ा मेला है। जहाँ पूरे भारतवर्ष से अश्वपालक आते हैं और घोडों का मेले में प्रवेश से पूर्व ही टेस्ट होता है। उन्हें बिमारियों के बचाव के इंजेक्शन भी लगाये जाते हैं। कटारिया ने पशुपालकों के हित में निर्णय करने का आश्चासन दिया।

पिछले साल नहीं हुए सांस्कृतिक कार्यक्रम

पिछले साल पशु मेला तो भरा लेकिन कोरोना गाइड लाइन की शर्तो के साथ। ऐसे में सांस्कृतिक कार्यक्रम, विभिन्न प्रकार की प्रतियोगिताएं, उदघाटन व समापन समारोह नहीं हुए। विदेशी पर्यटकों की आवक भी न के बराबर हुई। ऐसे में मेले में रौनक भी कोई खास नहीं थी। मेले में आने वाले पशुपालकों व व्यापारियों को आरटीपीसीआर व वैक्सीनेशन रिपोर्ट साथ लाना अनिवार्य किया गया है और इसके कारण पशुपालकों ने कम रूचि दिखाई।

हजारों पशु एवं लाखों श्रद्धालु आते

पुष्कर पशु मेले में जहां हजारों ऊंट, घोड़े समेत विभिन्न प्रजाति के पशु आते हैं तथा पशुपालकों के बीच करोड़ों रुपयों का लेनदेन होता है। वहीं लाखों श्रद्धालु सरोवर में स्नान व मंदिरों के दर्शन के लिए आते हैं। साथ ही प्रशासन की ओर से मेलार्थियों के मनोरंजन के लिए अनेक रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रम होते हैं। जिसमें राजस्थानी लोक कलाकारों के साथ-साथ कई अंतराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त कलाकारों को भी आमंत्रित किया जाता है। मेले के दौरान अनेक पशु प्रतियोगिताएं व देशी-विदेशी पर्यटकों के बीच ग्रामीण खेलकूद प्रतियोगिता आयोजित की जाती है।

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