अभिनव टाइम्स ।
दिल्ली हाई कोर्ट ने देवास-एंट्रिक्स मामले में आईसीसी का आदेश रद्द कर दिया है। इंटरनेशनल चैंबर ऑफ कॉमर्स ने ISRO की वाणिज्यिक शाखा एंट्रिक्स को देवास मल्टीमीडिया प्राइवेट लिमिटेड को ब्याज सहित 560 मिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक के हर्जाने का भुगतान करने का निर्देश दिया था। इस मामले में अब दिल्ली उच्च न्यायालय ने इस आदेश को रद्द कर दिया है।
दिल्ली उच्च न्यायालय ने देवास-एंट्रिक्स मामले में इंटरनेशनल चैंबर ऑफ कॉमर्स (आईसीसी) मध्यस्थता पैनल द्वारा दिए गए भारत सरकार के खिलाफ 15,000 करोड़ रुपये के कुर्की आदेश को रद्द कर दिया है। वरिष्ठ अधिवक्ता मनिंदर सिंह के अनुसार, दिल्ली उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति संजय सचदेवा ने यह आदेश दिया है। बता दें कि देवास मॉरीशस के शेयरधारकों ने 2 फरवरी को भारत सरकार को मध्यस्थता का नोटिस भेजा, ताकि इस मामले में भारत द्वारा देय देवास को इंटरनेशनल चैंबर ऑफ कॉमर्स के 1.3 बिलियन डॉलर के हर्जाने में अपना हिस्सा सीधे सुरक्षित किया जा सके।
दिल्ली हाईकोर्ट ने फैसले में क्या कहा
दिल्ली हाईकोर्ट ने एंट्रिक्स कॉर्पोरेशन की याचिका को स्वीकार किया और देवास मल्टीमीडिया के दावे पर आर्बिट्रल ट्रिब्यूनल द्वारा पारित 14.9.2015 के आर्बिट्रल हर्जाने को रद्द कर दिया। न्यायालय ने माना कि 14.9.2015 का आक्षेपित अवॉर्ड पेटेंट अवैधताओं और धोखाधड़ी से ग्रस्त है और भारत की सार्वजनिक नीति के विरुद्ध है। कोर्ट ने फैसला पारित करते हुए पाया कि आर्बिट्रल ट्रिब्यूनल ने प्री-कॉन्ट्रेक्चुअल नेगोशिएन्स से संबंधित साक्ष्यों को गलत तरीके से बाहर रखा है जो कि वह नहीं कर सकता था और यही कारण है कि अवॉर्ड में पेटेंट अवैधता को प्रतिबद्ध किया है।
क्या है देवास-एंट्रिक्स डील मामला
देवास मल्टीमीडिया प्राइवेट लिमिटेड को सितंबर 2015 में इंटरनेशनल चैंबर ऑफ कॉमर्स मध्यस्थता पैनल ने 562 मिलियन डॉलर का हर्जाना देने का अदेश दिया था, जिसमें निष्कर्ष निकाला गया कि एंट्रिक्स ने देवास के लिए सैटेलाइट बनाने के कॉन्ट्रैक्ट को अनुचित तरीके से रद्द कर दिया था। एक अमेरिकी अदालत ने अक्टूबर 2020 में ICC के हर्जाने के फैसले को बरकरार रखा था। ISRO की वाणिज्यिक शाखा एंट्रिक्स ने 2011 में व्यवसाय के साथ एक सैटेलाइट व्यवस्था को रद्द कर दिया, जिसके परिणामस्वरूप एक दशक लंबा कानूनी विवाद हुआ। नतीजतन, देवास के शेयरधारक देवास को 1.2 अरब डॉलर का इंटरनेशनल चैंबर ऑफ कॉमर्स मध्यस्थता हर्जाना देने का दवाब बना रहे हैं।