अभिनव टाइम्स बीकानेर।
युगप्रधान आचार्य श्री महाश्रमण जी के आज्ञानुवर्ती मुनि शांति कुमार जी, मुनि जितेंद्र कुमार जी के सान्निध्य में श्री जैन श्वेतांबर तेरापंथी सभा गंगाशहर द्वारा तप अभिनंदन समारोह आयोजित किया गया। जिसमें चातुर्मास काल में तपस्या करने वाले श्रावक–श्राविकाओं का सम्मान द्वारा अनुमोदन किया गया।
गंगाशहर में यह प्रथम अवसर है जब चातुर्मास काल में इतने वृहद रूप में श्रद्धालुओं द्वारा तप का क्रम रहा। कुल 122 तपस्वियों का साहित्य एवं अनुमोदना पत्र द्वारा अभिनंदन किया गया। जिसमें अठाई तप करने वाले 70 तपस्वी, नौ तप करने वाले 29 तपस्वी एवं अन्य इससे अधिक की तपस्या करने वाले तपस्वी थे।
मुनि श्री शांतिकुमार जी ने कहा कि तपस्या के द्वारा क्षुधा को जीतना बहुत बड़ी बात होती है। रसना पर संयम रखना हर किसी के बस की बात नहीं। तपस्वी यश, नाम की भावना किए बिना आत्म निर्जरा का भाव भीतर में रखे तो उनके तप की और अधिक सार्थकता हो सकती है।
मुनिश्री जितेंद्र कुमार जी ने मुख्य उद्बोधन देते हुए कहा– तपस्या अध्यात्म साधना का एक अंग है। तप के द्वारा आत्म निर्जरा की जाती है। गंगाशहर में इस बार श्रावक समाज में तपस्या के प्रति अच्छा उत्साह देखने को मिला। छोटे–छोटे बच्चों से लेकर वृद्धों ने भी तपस्या कर अपनी आत्मा को तप से भावित किया। सभी जीवन में ज्ञान, दर्शन, चारित्र, क्षांति, मुक्ति की वृद्धि करे और तपस्या के क्षेत्र में आगे भी इसी प्रकार बढ़ते रहे मंगलकामना।
इस अवसर पर तेरापंथी सभा के परामर्शक संजीव कोचर, सभा अध्यक्ष श्री अमरचंद सोनी, तेरापंथ युवक परिषद मंत्री श्री भरत गोलछा, तेरापंथ महिला मंडल मंत्री श्रीमती कविता चोपड़ा ने अपने विचार व्यक्त किए। कार्यक्रम का संचालन सभा मंत्री श्री रतन छलाणी ने किया।
साथ ही इस मौके पर बने श्रेष्ठ पर्वाराधक प्रतियोगिता के अंतर्गत प्रथम वर्ग 5 -15 वर्ष में जैनम चौरड़िया , द्वितीय वर्ग 16 -30 वर्ष में मीनाक्षी चौपड़ा तृतीय वर्ग 30 वर्ष से अधिक में बबीता सामसुखा को प्रथम आने पर पुरस्कृत किया गया।