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Thursday, November 21

Tag: Sanjay acharya Varun

दृष्टिकोण: पार्टी को भीतर से अनुशासित होने की आवश्यकता

दृष्टिकोण: पार्टी को भीतर से अनुशासित होने की आवश्यकता

Politics, मुख्य पृष्ठ, राजनीति, संपादकीय
~संजय आचार्य वरुण हरियाणा और जम्मू-कश्मीर में हाल ही में सम्पन्न हुए चुनावों और उनके घोषित परिणामों के आधार पर यही निष्कर्ष निकलता है कि भारत की जनता को राहुल गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस स्वीकार नहीं है। पता नहीं, कांग्रेस का चश्मा लगाए रखने वाले लोग इस बात पर किस तरह प्रतिक्रिया करेंगे लेकिन पिछले चार विभिन्न चुनावों से यही देखने को मिल रहा कि जनता कांग्रेस नेतृत्व की परिपक्वता को लेकर आशंकित है। राहुल गांधी थोड़े- थोड़े समय के अंतराल से अपने कच्चे- पक्के बयानों और भाषणों से जनता के मन में उनको स्वयं को लेकर बैठी हुई आशंका की पुष्टि कर देते हैं। पता नही, इतनी बड़ी पार्टी का कर्णधार और परिपक्व आयु का एक सुशिक्षित व्यक्ति बिना तैयारी और बिना सोचे- समझे लाखों लोगों के सामने ऐसी बातें किस तरह कह जाता है जो हास्यास्पद होती हैं। वे अपनी पार्टी और अपने राजनीतिक जीवन का एक विजन क्यों तै...
दृष्टिकोण: मुद्दे ढूंढ़ती कांग्रेस में परिपक्व नेतृत्व का संकट

दृष्टिकोण: मुद्दे ढूंढ़ती कांग्रेस में परिपक्व नेतृत्व का संकट

Editorial, मुख्य पृष्ठ, संपादकीय
संजय आचार्य 'वरुण' इन दिनों भारत की राष्ट्रीय राजनीति की सरगर्मियां काफी तेज हैं। गुरुवार को लोकसभा में विपक्षी दलों के गठबंधन द्वारा नरेन्द्र मोदी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया गया, जैसा कि लोकसभा के सीटों के आंकड़ों से स्पष्ट था, उसी के अनुसार ये अविश्वास प्रस्ताव ध्वनिमत से गिर गया। इस अविश्वास प्रस्ताव की विफलता से और खास तौर से प्रधानमंत्री मोदी के दो घंटे तेरह मिनट के आक्रामक भाषण से राहुल गांधी बुरी तरह भन्ना गए हैं, एक और घटनाक्रम में प्रधानमंत्री के लिए आपत्तिजनक शब्द का इस्तेमाल करने के लिए कांग्रेस सांसद अधीर रंजन चौधरी को अगले निर्णय तक लोकसभा से निलम्बित कर दिया गया है। (adsbygoogle = window.adsbygoogle || []).push({}); इसी पर अपना गुस्सा जाहिर करने के लिए राहुल गांधी ने शुक्रवार को दोपहर कांग्रेस मुख्यालय में प्रेस कॉन्फ्रेंस की। संसद में राहुल ग...
तिरछा तीर: फिर हम कब बनेंगे एम एल ए

तिरछा तीर: फिर हम कब बनेंगे एम एल ए

Editorial, home, rajasthan, मुख्य पृष्ठ, संपादकीय
- संजय आचार्य 'वरुण' हम रविवार की आलसी सुबह में प्रात:काल नौ बजे तक अपने बिस्तर पर सप्ताह के छह दिनों की नींद में रही कमी को पूरा करने का प्रयास कर रहे थे। कम से कम एक-आध घंटे तक और सोने के हमारे लक्ष्य को श्रीमती जी की आवाज ने भंग कर दिया, उन्होंने हमें ये हृदय विदारक सूचना दी कि 'उठिए, आपके मित्र चकरम जी आए हैं।' (adsbygoogle = window.adsbygoogle || []).push({}); यह नाम सुनकर हमारी नींद कपूर की तरह उड़ गई। इतना भय शायद लोगों को सी बी आई और ई डी की रेड के समय भी नहीं लगता होगा जितना हमें हमारे मित्र चकरम जी के अप्रत्याशित आगमन पर लगा करता है, और लगे भी क्यों नहीं, चकरमजी हमारे शहर की एक महान विभूति जो ठहरे। उनको अगर अतृप्त इच्छाओं का मानवीय स्वरूप कहा जाए तो गलत नहीं होगा। (adsbygoogle = window.adsbygoogle || []).push({}); कभी वे साहित्यकार बन जाते हैं त...
दृष्टिकोण: पार्टियां अपने नेताओं को अनुशासन कब सिखाएंगी

दृष्टिकोण: पार्टियां अपने नेताओं को अनुशासन कब सिखाएंगी

Editorial, Politics, rajasthan, मुख्य पृष्ठ, संपादकीय
~ संजय आचार्य वरुण जब भी सोशल मीडिया के माध्यम से देश और प्रदेश के नेताओं के भाषण सुनने का अवसर मिलता है तब मन बड़ा अशांत हो जाता है। बार- बार दिमाग में यही सवाल आता है कि 'ये कहां आ गए हम..' कच्चे रास्तों पर चलते- चलते हम अर्थात हमारी वर्तमान राजनीति, वहां पहुंच गई है, जहां बहुत अंधेरा है। इस अंधेरे में हर किसी को सत्ता के रोशन गलियारे और दमकती हुई कुर्सी तो दिखाई देती है लेकिन इंसान, इंसानियत, मर्यादा और शालीनता जरा भी दिखाई नहीं देती। (adsbygoogle = window.adsbygoogle || []).push({}); पता नहीं किसने आज के छोटे- बड़े लगभग सभी नेताओं के दिमागों में यह डाल दिया है कि दूसरी पार्टी और विचारधारा का हर व्यक्ति हमारा शत्रु होता है। तीन- चार दशक पहले तक विपक्षी केवल विपक्षी ही होता था, उस समय विरोध सामने वाले की विचारधारा का होता था, और विरोध भी तार्किक था, विरोध करने के लि...
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