घर- पहली पाठशाला वहां श्रेष्ठता तो बच्चे बन सकते है सर्वश्रेष्ठ
लीला भोजक
"हेरंब अब अवलंब देकर विघ्नहर कह लाइए, भगवान भारतवर्ष को फिर पुण्य भूमि बनाइए" कविश्रेष्ठ मैथिलीशरण गुप्त की यह पंक्तियां वर्तमान परिप्रेक्ष्य में एकदम सटीक बैठती है। आज भारत की प्रतिष्ठा को सोने की चिड़िया के रूप में पुनर्स्थापित करने की महत्ती आवश्यकता है और इस आवश्यकता को पूर्ण करने का एकमात्र साधन शिक्षा है। शिक्षा वह साधन है जिसके माध्यम से ज्ञान चक्षु खुलते हैं। हम अपने विवेक को जाग्रत कर उचित समय पर उचित निर्णय लेना सीख सकते हैं। 'सा विद्या या विमुक्तये' वास्तव में शिक्षा वही है जो ना केवल जीवन की विविध विषम परिस्थितियों से मुक्ति प्रदान करें अपितु मोक्ष भी प्रदान करें। मोक्ष से तात्पर्य केवल जीवनमुक्ति नहीं वरन् दुर्भावनाओं एवं दुविधाओं से मुक्ति है जो केवल शिक्षा के द्वारा ही संभव है।वर्तमान में शिक्षा का स्वरूप कुछ विकृत हो गया है इसमें अनेक त्रुटियां आ गई हैं- जैसे ...