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Friday, November 22

Tag: साहित्य

बोलता बीकानेर: ‘जंवाई तो क्या जांगे,अब तो हम ही जांगे ‘

बोलता बीकानेर: ‘जंवाई तो क्या जांगे,अब तो हम ही जांगे ‘

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:- मालचंद तिवाड़ी बीकानेर के सोनगिरी कुआं क्षेत्र में मोहल्ला चूनगरान उतना ही पुराना है, जितना पुराना खुद शहर बीकानेर। तो उस मोहल्ले में एक अल्लारखी रहती थी। भोली, भली और नेकदिल अल्लारखी। उसके पांच संतानें थीं - चार बेटे और एक बेटी। बेटी अपने चारों भाइयों से छोटी थी। घर में सबकी लाडली और बेइंतहा खूबसूरत भी। खूबसूरत तो हमारी अल्लारखी भी कम न थी, मगर चूंकि अब उम्रदराज थी सो 'खंडहर बता रहा है कि इमारत कभी आबाद थी' वाला मामला था। अल्लारखी की बेटी का नाम एमना था। बेटी चाहे जितनी प्यारी हो, पर होती तो वह पैदाइशी पराई चीज है। वक़्त आने पर एमना की भी शादी हुई और वह अपनी ससुराल के बहाने नागौर चली गई। लेकिन वह जब भी पीहर आती, पूरे मोहल्ले को खुशी होती और हर कोई कहता सुनाई पड़ता," तुमने देखा क्या, अपनी एमना बिटिया आई हुई है।' किस्सा क़ोताह, एक बार एमना आई तो उसके साथ उसके शोहर भी आए। अल्लारखी ने पू...
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