क्यों भीम ने रखा था निर्जला एकादशी का व्रत
अभिनव न्यूज, नेटवर्क। निर्जला एकदाशी का व्रत करने से व्यक्ति को पुण्य और मोक्ष की प्राप्ति होती है। भीम ने अपने जीवन में केवल एकमात्र जो व्रत किया था वह निर्जला एकादशी का ही था। निर्जला एकादशी को भीमसेनी एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। आइए जानें, निर्जला एकादशी का महात्म्य।
व्यास मुनि के पास जाकर भीमसेन ने पुकार की कि मेरी पूज्य माता कुन्ती व पूज्य भ्राता युधिष्ठिर तथा अर्जुन, नकुल, सहदेव, द्रौपदी सहित सभी एकादशी का व्रत करते हैं और मुझे भी शिक्षा देते हैं-तू अन्न मत खा, नहीं तो नरक में जाएगा। आप बताइए कि मैं क्या करूं?
हर पन्द्रह दिन के बाद यह एकादशी आ जाती है और हमारे घर झगड़ा उत्पन्न हो जाता है। मेरे उदर में अग्नि का निवास है, उसे अन्न की आहुति न दूं तो चर्बी को चाट जाएगी। शरीर की रक्षा करना मनुष्य का परम धर्म है। अतः आप कोई ऐसा उपाय बताइए जिससे सांप भी मर जाए और लाठी भी ...