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Thursday, November 21

Tag: दृष्टिकोण

दृष्टिकोण: ताकि बीकानेर को धर्मनगरी कहते हुए हमें संकोच न हो

दृष्टिकोण: ताकि बीकानेर को धर्मनगरी कहते हुए हमें संकोच न हो

bikaner, Editorial, rajasthan, मुख्य पृष्ठ, संपादकीय
संजय आचार्य वरुण बीकानेर शहर का परकोटा क्षेत्र पिछले काफी समय से नशे, जुए और चोरी सहित अनेक अपराधों की चपेट में आया हुआ है। अब तो हालात ऐसे हो गए हैं कि बीकानेर के नाम के आगे छोटी काशी और धर्म नगरी जैसे विशेषण लगाने से पहले जरा सोचना पड़ता है। विश्वास नहीं होता कि ये हमारा वही बीकानेर है जिसके शांत और सुरक्षित माहौल पर कभी हमें नाज हुआ करता था। हमारे शहर में तो बच्चों को लक्ष्मीनाथ जी और मरुनायक जी के मन्दिर जाने के संस्कार दिए जाते थे। यह वही शहर है जहां के बच्चे रुद्री, महिम्न और दुर्गा सप्तशती के पाठ सीखते थे। आदरणीय नथमल जी पुरोहित और पुजारी बाबा जी का सान्निध्य इस शहर को आज भी एक वरदान के रूप में मिला हुआ है। कितना दु:ख होता होगा उन्हें ये देखकर कि उनके बीकानेर के नौनिहालों को नशे, जुए और अपराध के दलदल में फंसाया जा रहा है। आज वो हालात हैं जब कहीं किसी भी चौक में खड़ी मोटरसाइक...
दृष्टिकोण: पार्टी को भीतर से अनुशासित होने की आवश्यकता

दृष्टिकोण: पार्टी को भीतर से अनुशासित होने की आवश्यकता

Politics, मुख्य पृष्ठ, राजनीति, संपादकीय
~संजय आचार्य वरुण हरियाणा और जम्मू-कश्मीर में हाल ही में सम्पन्न हुए चुनावों और उनके घोषित परिणामों के आधार पर यही निष्कर्ष निकलता है कि भारत की जनता को राहुल गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस स्वीकार नहीं है। पता नहीं, कांग्रेस का चश्मा लगाए रखने वाले लोग इस बात पर किस तरह प्रतिक्रिया करेंगे लेकिन पिछले चार विभिन्न चुनावों से यही देखने को मिल रहा कि जनता कांग्रेस नेतृत्व की परिपक्वता को लेकर आशंकित है। राहुल गांधी थोड़े- थोड़े समय के अंतराल से अपने कच्चे- पक्के बयानों और भाषणों से जनता के मन में उनको स्वयं को लेकर बैठी हुई आशंका की पुष्टि कर देते हैं। पता नही, इतनी बड़ी पार्टी का कर्णधार और परिपक्व आयु का एक सुशिक्षित व्यक्ति बिना तैयारी और बिना सोचे- समझे लाखों लोगों के सामने ऐसी बातें किस तरह कह जाता है जो हास्यास्पद होती हैं। वे अपनी पार्टी और अपने राजनीतिक जीवन का एक विजन क्यों तै...
दृष्टिकोण : विश्वास नहीं होता कि ये भारतीय संसद है

दृष्टिकोण : विश्वास नहीं होता कि ये भारतीय संसद है

Editorial, मुख्य पृष्ठ, संपादकीय
संजय आचार्य वरुण संसद भवन परिसर में सांसदों का एक झुंड खड़ा है। उनमें से एक सांसद भारत के उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ की नकल उतार रहा है। वह बेहूदा तरीके से उपराष्ट्रपति जी के बोलने और खड़े होने के अंदाज का मजाक उड़ा रहा है। उसके आसपास खड़े सांसद ठहाके लगाते हुए एक उच्च संवैधानिक पद पर आसीन बुजुर्ग की खिल्ली उड़ा रहे हैं। इस देश के प्रमुख राजनीतिक परिवार के उत्तराधिकारी और स्वयं को प्रधानमंत्री पद का दावेदार समझने वाले राहुल गांधी उस फूहड़ टी एम सी सांसद कल्याण बनर्जी का विडियो बना रहे हैं। भारतीय संसद के दरो- दीवारों और इस देश के लोगों ने कभी सोचा भी नहीं होगा कि जिस संसद में पंडित जवाहरलाल नेहरू, बाबा साहेब अम्बेडकर, गोविंद बल्लभ पंत, सरदार पटेल, लाल बहादुर शास्त्री सहित न जाने कितने महान व्यक्तित्वों ने बैठकर भारत की गरिमा को विश्व भर में प्रतिष्ठित किया था, आज उसी संसद में कल्...
दृष्टिकोण: त्यौहार और चुनाव, दूरियां न बढ़े, सद्भाव बना रहे

दृष्टिकोण: त्यौहार और चुनाव, दूरियां न बढ़े, सद्भाव बना रहे

home, Literature, rajasthan, मुख्य पृष्ठ, संपादकीय
संजय आचार्य वरुण अभिनव टाइम्स देखने- सुनने और पढ़ने वाले लगभग एक लाख आत्मीय जनों के परिवार को धनतेरस की बहुत बहुत बधाई और आपके मंगलमय जीवन के लिए मंगलकामनाएं। चुनाव के परवान चढ़ते माहौल के बीच त्यौहार का रंग कई गुना बढ़ जाता है। एक तरफ जहां त्यौहार कटुता को समाप्त कर सद्भाव का विस्तार करते हैं वहीं चुनाव कहीं न कहीं दूरियां पैदा कर देते हैं। हमें कभी भी दूरियों और वैमनस्य का समर्थन नहीं करना है। हमारी विचारधारा हमारे साथ रहे और दूसरे की विचारधारा का अपमान न हो, स्वच्छ राजनीति इसी को कहते हैं। अक्सर देखा जाता है कि नेताओं से ज्यादा उनके समर्थक भावुक होते हैं। वे अपने प्रिय नेता के लिए जरूरत से ज्यादा जज्बाती हो जाते हैं। राजनीति हमारे मानवीय समाज के कल्याण के लिए होती है। राजनीति से समाज का वातावरण खराब नहीं होना चाहिए। कार्यकर्ताओं और समर्थकों को संयमित और शालीन रखना उनके नेता और प...
दृष्टिकोण: केवल चुनाव के समय बैनर लगाकर दावेदार न बनें

दृष्टिकोण: केवल चुनाव के समय बैनर लगाकर दावेदार न बनें

Editorial, rajasthan, मुख्य पृष्ठ, संपादकीय
~ संजय आचार्य वरुण केवल चुनाव के समय बैनर लगाकर दावेदार न बनें। अब जनता पहले जितनी भोली नहीं है। हाथ जोड़कर फोटो खिंचवाने से जनता का समर्थन हासिल नहीं होता, जनता का समर्थन मिलता है, हर परिस्थिति में जनता के साथ खड़े रहने से। अगर आप राजनीति करना चाहते हैं तो चुनाव से साढ़े चार साल पहले तक आम लोगों के साथ खड़े रहिए। उनके सुख- दु:ख के भागीदार बनिए। चुनाव से चार महीने पहले 'बींद' बनकर हर तरफ दिखाई देना राजनीति नहीं होता। राजनीति होता है लोगों की परेशानियों को बिना बुलाए जाकर दूर करना। (adsbygoogle = window.adsbygoogle || []).push({}); चुनाव जीतने से पहले जनता का ये विश्वास जीतना जरूरी होता है कि 'और कोई हो न हो, फलां व्यक्ति जरूर हमारे साथ है।' जनता का भरोसा पाए बिना भी चुनाव नहीं जीते जाते और जनता का विश्वास खोकर भी चुनाव नहीं जीते जाते। यदि आप जनता के हक के लिए लड़ेंगे ...
दृष्टिकोण: मुद्दे ढूंढ़ती कांग्रेस में परिपक्व नेतृत्व का संकट

दृष्टिकोण: मुद्दे ढूंढ़ती कांग्रेस में परिपक्व नेतृत्व का संकट

Editorial, मुख्य पृष्ठ, संपादकीय
संजय आचार्य 'वरुण' इन दिनों भारत की राष्ट्रीय राजनीति की सरगर्मियां काफी तेज हैं। गुरुवार को लोकसभा में विपक्षी दलों के गठबंधन द्वारा नरेन्द्र मोदी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया गया, जैसा कि लोकसभा के सीटों के आंकड़ों से स्पष्ट था, उसी के अनुसार ये अविश्वास प्रस्ताव ध्वनिमत से गिर गया। इस अविश्वास प्रस्ताव की विफलता से और खास तौर से प्रधानमंत्री मोदी के दो घंटे तेरह मिनट के आक्रामक भाषण से राहुल गांधी बुरी तरह भन्ना गए हैं, एक और घटनाक्रम में प्रधानमंत्री के लिए आपत्तिजनक शब्द का इस्तेमाल करने के लिए कांग्रेस सांसद अधीर रंजन चौधरी को अगले निर्णय तक लोकसभा से निलम्बित कर दिया गया है। (adsbygoogle = window.adsbygoogle || []).push({}); इसी पर अपना गुस्सा जाहिर करने के लिए राहुल गांधी ने शुक्रवार को दोपहर कांग्रेस मुख्यालय में प्रेस कॉन्फ्रेंस की। संसद में राहुल ग...
दृष्टिकोण: पार्टियां अपने नेताओं को अनुशासन कब सिखाएंगी

दृष्टिकोण: पार्टियां अपने नेताओं को अनुशासन कब सिखाएंगी

Editorial, Politics, rajasthan, मुख्य पृष्ठ, संपादकीय
~ संजय आचार्य वरुण जब भी सोशल मीडिया के माध्यम से देश और प्रदेश के नेताओं के भाषण सुनने का अवसर मिलता है तब मन बड़ा अशांत हो जाता है। बार- बार दिमाग में यही सवाल आता है कि 'ये कहां आ गए हम..' कच्चे रास्तों पर चलते- चलते हम अर्थात हमारी वर्तमान राजनीति, वहां पहुंच गई है, जहां बहुत अंधेरा है। इस अंधेरे में हर किसी को सत्ता के रोशन गलियारे और दमकती हुई कुर्सी तो दिखाई देती है लेकिन इंसान, इंसानियत, मर्यादा और शालीनता जरा भी दिखाई नहीं देती। (adsbygoogle = window.adsbygoogle || []).push({}); पता नहीं किसने आज के छोटे- बड़े लगभग सभी नेताओं के दिमागों में यह डाल दिया है कि दूसरी पार्टी और विचारधारा का हर व्यक्ति हमारा शत्रु होता है। तीन- चार दशक पहले तक विपक्षी केवल विपक्षी ही होता था, उस समय विरोध सामने वाले की विचारधारा का होता था, और विरोध भी तार्किक था, विरोध करने के लि...
दृष्टिकोण: वरना सिर्फ सरकार बदलेगी, हालात नहीं

दृष्टिकोण: वरना सिर्फ सरकार बदलेगी, हालात नहीं

bikaner, Editorial, rajasthan, मुख्य पृष्ठ, संपादकीय
संजय आचार्य ‘वरुण’ राजस्थान की राजनीति का ऊंट चुनाव के बाद किस करवट बैठेगा, इस सवाल पर फिलहाल कयास ही लगाए जा सकते हैं और किया भी यही जा रहा है। कांग्रेस समर्थक कह रहे हैं प्रदेश में अशोक गहलोत सरकार रिपीट होगी। भाजपा समर्थकों के दावे हैं कि विभिन्न सर्वे रिपोर्टों में वसुंधरा राजे को मुख्यमंत्री का चेहरा बताए बगैर भाजपा तकरीबन 140 सीट लाती नजर आ रही है। भाजपा के ये दावे कितने सही साबित होंगे, ये तो आने वाला वक्त ही बताएगा लेकिन इतना तय है कि इस बार भाजपा प्रदेश का ये चुनाव मोदी के नाम पर ही लड़ेगी। (adsbygoogle = window.adsbygoogle || []).push({}); गौरतलब तथ्य यह है कि प्रदेश की दोनों प्रमुख पार्टियां अन्तर्कलह से ग्रस्त हैं। दोनों पार्टियों में प्रथम पंक्ति के बड़े नेता अब अपनी महत्वाकांक्षाओं को दबा नहीं पा रहे हैं। कांग्रेस के सचिन पायलट तो अब खुलकर सामने भी आ चुके...
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