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Friday, November 22

Tag: अभिनव रविवार

राजस्थान में है एक भूतिया गांव… सदियां हो गई फिर भी दोबारा नहीं बस पाया। जानिए, रात में रुकने से क्यों डरते हैं लोग

राजस्थान में है एक भूतिया गांव… सदियां हो गई फिर भी दोबारा नहीं बस पाया। जानिए, रात में रुकने से क्यों डरते हैं लोग

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अभिनव टाइम्स की खास रिपोर्ट संजय आचार्य वरुण अभिनव रविवार। वह एक डरावना गांव है। उस गांव में मंदिर है, कुछ पुरानी इमारतें हैं, खंडहर हो चुके घरों के अवशेष हैं तो कभी आबाद रहे उस गांव का इतिहास बताते शिलालेख भी हैं। इस गांव में आज भी हजारों लोग जाते हैं, घूमते हैं लेकिन रात होने से पहले डर के मारे सब निकल जाते हैं। सदियां हो गई हैं लेकिन आज तक रात को इस गांव में रुकने का साहस कोई भी नहीं जुटा पाया है। (adsbygoogle = window.adsbygoogle || []).push({}); कहा जाता है कि अठारहवीं शताब्दी में रातों-रात वीरान हो चुके इस गांव को एक लड़की के पिता का शाप लगा हुआ है। इस गांव की ऐतिहासिक विरासत को बचाए रखने के लिए राजस्थान सरकार ने इस गांव को पर्यटन स्थल घोषित कर रखा है और भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग इस वीरान गांव की देखभाल करता है। (adsbygoogle = windo...
आदिपुरुष : पैसे कमाने के लिए गौरवशाली गाथा का दुरुपयोग

आदिपुरुष : पैसे कमाने के लिए गौरवशाली गाथा का दुरुपयोग

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( फिल्म समीक्षा ) - मनोज आचार्य (कोलकाता) अभिनव रविवार। मर्यादा पुरुषोत्तम राम के कथानक पर आधुनिक दौर में आर्थिक हष्टिकोण से कई धार्मिक फिल्में व धारावाहिक के निर्माण होते है पर लेखकों व निर्देशकों का उदेश्य हिन्दू - संस्कृति से परे धन - अर्जन का उद्देश्य सर्वोपरी होता आया है और उसी क्रम मे 16 जून को फिल्म ' आदिपुरुष ' का प्रदर्शन हुआ जो विवादों मे घिर चुकी है । (adsbygoogle = window.adsbygoogle || []).push({}); फिल्म देखने गये दर्शक अपने बच्चों को मर्यादा पुरुषोतम राम व रामायण के विभिन्न चरित्रों का परिचय कराने ले गये लेकिन फिल्म देखकर दर्शक निराश हो गये। हाँ, बच्चों को कार्टूननुमा फिल्म देखकर थोड़ा मजा जरूर आया । फिल्म निर्माण करते समय रामायण के चरित्रों के संवादों, संस्कारों व उनकी मर्यादाओं को तोड़ मरोड़ कर उन्हे टपोरी संवादों व अभिनय को दर्शकों के समक्ष प्रस्...
पाकिस्तान में 118 साल से गिरफ्तार है एक पेड़, अंग्रेज अधिकारी के आदेश से हुई थी गिरफ्तारी

पाकिस्तान में 118 साल से गिरफ्तार है एक पेड़, अंग्रेज अधिकारी के आदेश से हुई थी गिरफ्तारी

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अभिनव टाइम्स की खास रिपोर्ट अभिनव रविवार। जी हां, ये मजाक नहीं है। यह एक सच्ची मगर दिलचस्प खबर है। पाकिस्तान की खैबर एजेंसी में आज से 118 साल पहले एक पेड़ को जंजीरों से बांधकर गिरफ्तार किया गया था। एक शताब्दी से अधिक समय बीत जाने के बाद भी वह पेड़ आज भी गिरफ्तार है। उसे न केवल गिरफ्तार किया हुआ है बल्कि उस पर एक तख्ती भी टंगी हुई है जिस लिखा हुआ है 'आई एम अंडर अरेस्ट' ।लांडी कोटल आर्मी एरिया में लगे हुए इस पेड़ को वर्ष 1898 में ब्रिटिश आफिसर जेम्स स्क्वेड के आदेश पर जंजीरों से बांधकर गिरफ्तार किया गया था। (adsbygoogle = window.adsbygoogle || []).push({}); दरअसल हुआ यूं कि जेम्स स्क्वेड शराब के नशे में धुत्त होकर टहल रहा था। अचानक उसे वहम हो गया कि बरगद का ये पेड़ उसकी तरफ आ रहा है। इतने विशाल पेड़ को अपनी तरफ आते देखकर उसने सिपाहियों को आदेश दिया कि इस पेड़ को तुरं...
दोस्ती हो तो ऐसी: रफ़ी साहब के निधन पर किशोर दा उनके पैरों को पकड़ कर कई घंटे तक तरह रोते रहे

दोस्ती हो तो ऐसी: रफ़ी साहब के निधन पर किशोर दा उनके पैरों को पकड़ कर कई घंटे तक तरह रोते रहे

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अभिनव रविवार। आप को यह जान कर आश्चर्य होगा कि बेहद लोकप्रिय गायक किशोर कुमार के लिए भी रफ़ी साहब ने 11 गीत गाये हैं. किशोर दा स्वयं एक बहुत अच्छे गायक थे लेकिन अपने ऊपर फिल्माए जाने वाले कुछ गीतों के लिए उन्होंने रफ़ी साहब की आवाज़ को चुना और रफ़ी साहब ने भी उनके लिए ख़ुशी से गाया. ऐसा था दोनों का बड़प्पन। (adsbygoogle = window.adsbygoogle || []).push({}); किशोर दा ने रफ़ी साहब से एक बार कहा कि मेरी हार्दिक इच्छा है कि आप मेरे संगीत निर्देशन में गाएं। फ़िल्म "चलती का नाम ज़िन्दगी" के लिये एक गीत गाकर "रफ़ी साहब" ने किशोर दा की यह इच्छा पूरी कर दी पर यह कह कर पैसे नहीं लिए कि, मैं अपने छोटे भाई से पैसे नहीं लूंगा। (adsbygoogle = window.adsbygoogle || []).push({}); रफी साहब ने अपने अंतिम इंटरव्यू में अपनी और किशोर कुमार की दोस्ती के बारे में ये कहा था- "किशोर...
हमारे गाँव कब बनेंगे अन्ना के गाँव की तरह, शराब की भट्टियों के लिए बदनाम था ये गाँव

हमारे गाँव कब बनेंगे अन्ना के गाँव की तरह, शराब की भट्टियों के लिए बदनाम था ये गाँव

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अभिनव रविवार। भारत गांव में बसता है लेकिन देश के ज्यादातर गांवों की हालत बेहतर नहीं हैं और मूलभूत सुविधाओं से महरूम हैं, लेकिन कुछ गांव ऐसे हैं जिन्होंने उन्हीं संसाधनों में ऐसा काम किया है कि दुनियाभर में उनका नाम हो गया है। ऐसा ही एक गांव है रालेगण सिद्धि (adsbygoogle = window.adsbygoogle || []).push({});  भारत गाँवों में बसता है। गाँवों में जब तक शहरों जैसी सुविधाएं विकसित नहीं की जाएंगी, तब तक समग्र भारत का विकास नहीं होगा। गाँवों को लेकर यह अवधारणा राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की थी, जिसे आज भी पूरी तरह से आत्मसात नहीं किया गया है। (adsbygoogle = window.adsbygoogle || []).push({}); लेकिन आज हमारे देश में एक गाँव ऐसा हैं, जो पंचायती राज के तहत बेहतरीन तरीके से विकसित किया गया है। यह गाँव उदाहरण है आदर्श गाँव का। तमाम सरकारी योजनाओं का सदुपयोग करके, प...
अछूते फूल: सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन अज्ञेय की चर्चित कहानी

अछूते फूल: सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन अज्ञेय की चर्चित कहानी

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अभिनव रविवार। सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन 'अज्ञेय'  हिन्दी में अपने समय के सबसे चर्चित कवि, कथाकार, निबन्धकार, पत्रकार, सम्पादक, यायावर, अध्यापक रहे हैं। इनका जन्म 7 मार्च 1911 को उत्तर प्रदेश के कसया में हुआ था। बचपन लखनऊ, कश्मीर, बिहार और मद्रास में बीता। बी.एससी. करके अंग्रेजी में एम.ए. करते समय क्रांतिकारी आन्दोलन से जुड़कर बम बनाते हुए पकड़े गये और वहाँ से फरार भी हो गए। सन्1930 के अन्त में पकड़ लिये गये। (adsbygoogle = window.adsbygoogle || []).push({}); अज्ञेय प्रयोगवाद एवं नई कविता को साहित्य जगत में प्रतिष्ठित करने वाले कवि हैं। अनेक जापानी हाइकु कविताओं को अज्ञेय ने अनूदित किया। बहुआयामी व्यक्तित्व के धनी और प्रखर कवि होने के साथ ही साथ अज्ञेय की फोटोग्राफ़ी भी उम्दा हुआ करती थी। और यायावरी तो शायद उनको दैव-प्रदत्त ही थी । अभिनव टाइम्स के पाठकों के लिए आज प्र...
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