अभिनव न्यूज, नेटवर्क। Supreme Court Hearing On Sarkari Naukri: सरकारी नौकरी (Government Jobs) के नियम को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा और ऐतिहासिक फैसला सुनाया है। शीर्ष न्यायालय ने मनमाने तरीके से सरकारी नौकरी के नियम में बदलाव करने पर रोक लगा दी है। कोर्ट ने साफ कहा कि सरकारी नौकरी की प्रक्रिया शुरू होने के बाद नियमों में बदलाव नहीं होगा। देश की शीर्ष कोर्ट ने राजस्थान हाईकोर्ट में नियुक्त मामले में यह फैसला सुनाया है।
हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि अगर नियम में पहले कहा गया है कि नौकरी की पात्रता में बदलाव हो सकता है, तो ऐसा किया जा सकता है। लेकिन ऐसा समानता के अधिकार का उल्लंघन करते हुए मनमाने तरीके से नहीं हो सकता।
पांच जजों की संविधान पीठ के सामने ये सवाल था कि क्या भर्ती की प्रक्रिया शुरू होने के बाद नियमों में बदलाव किया जा सकता है या नहीं। SC ने अपने फैसले में यह भी कहा कि सरकारी पदों में भर्ती की प्रकिया पूर्णतया पारदर्शी और निष्पक्ष होनी चाहिए।
जानें क्या है पूरा मामला
दरअसल, यह मामला राजस्थान हाई कोर्ट में नियुक्ति से जुड़ा है। है. उम्मीदवारों को एक लिखित परीक्षा में हिस्सा लेना था. उसके बाद लिखित परीक्षा में सफल अभ्यर्थियों को इंटरव्यू देना था। एग्जाम में 21 अभ्यर्थी उपस्थित हुए थे। उनमें से केवल तीन को ही हाईकोर्ट (प्रशासनिक पक्ष) ने सफल घोषित किया। बाद में यह बात सामने आई कि हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश ने आदेश दिया था कि इन पदों के लिए कम से कम 75 प्रतिशत अंक प्राप्त करने वाले उम्मीदवारों का ही चयन किया जाना चाहिए।
इस भर्ती प्रक्रिया में 75 फीसदी क्वालीफाइंग नियम का उल्लेख तब नहीं किया गया था, जब भर्ती प्रक्रिया पहली बार उच्च न्यायालय द्वारा अधिसूचित की गई थी। इसके अलावा इस संशोधित मानदंड को लागू करने पर ही तीन उम्मीदवारों का चयन किया गया और शेष उम्मीदवार बाहर हो गए। तीन असफल उम्मीदवारों ने हाईकोर्ट के समक्ष एक रिट याचिका दायर करके इस परिणाम को चुनौती दी, जिसे मार्च 2010 में खारिज कर दिया था।
सुप्रीम कोर्ट में दायर की याचिका
2009 में हुई इस भर्ती के बीच में नया नियम बना दिए जाने के चलते बहुत से अभ्यर्थी नौकरी पाने से वंचित रह गए थे। 3 अभ्यर्थियों ने इसे हाई कोर्ट में चुनौती दी थी। उनका कहना था कि एक बार प्रक्रिया शुरू होने के बाद नियमों में बदलाव नहीं किया जा सकता। 2010 में उनकी याचिका खारिज हो गई थी। इसके बाद 2013 में सुप्रीम कोर्ट के 3 जजों की बेंच ने मामला 5 जजों की संविधान पीठ को भेजा था। इस साल चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली 5 जजों की बेंच ने मामले को सुनाया।
वहीं अपने फैसले में शार्ष अदालत ने कहा कि भर्ती प्रक्रिया आवेदन पत्र जारी करने से शुरू होती है और पदों को भरने के साथ समाप्त होती है। पात्रता के नियमों को बीच में नहीं बदला जा सकता, यदि नियमों एवं विज्ञापन में बीच में ऐसा परिवर्तन किया जाता है तो उसके लिए अनुच्छेद 14 की कसौटी पर खरा उतरना आवश्यक है। चयन सूची में स्थान मिलने से पद पर कोई अधिकार नहीं रह जाता है।