दाऊदयाल व्यास, बीकानेर
कहते हैं जहाँ वेद लिखे गए थे वहां बेरों के पेड़ों की संख्या बहुत अधिक थी और पूरी दुनिया में बेरों के पेड़ सर्वाधिक बीकानेर शहर के आस पास ही पाए जाते हैं शायद इसीलिए बीकानेर को धर्मनगरी कहाँ जाता हैं और यही कारण हैं की यहाँ के लोग हर समय अपने अलबेले मस्ताने शहर की संस्कृति को निभाने में लगे रहते हैं। मशहूर शायर अज़ीज़ आजाद ने भी यही लिखा दो दिन मेरे शहर ठहर कर तो देख सारा जहर उतर जाएगा। पूरे देश में जहाँ हिन्दू मुस्लिम और पत्थर बाज़ी की खबरे आती हैं वही धर्म नगरी ( बीकानेर ) में हिन्दू मुस्लिम पानी की समस्या का कंधे से कन्धा मिलाकर सामना कर रहे हैं। एक और रंगोलाई महादेव मंदिर हैं तो दूसरी और कब्रिस्तान दोनों स्थानों से सभी लोगों के लिए निःशुल्क पानी की व्यवस्था की जा रही हैं यहाँ कोई भी पार्षद अपना टैंकर लेकर आये और पानी भरकर अपने वार्ड में वितरित करें।
जहॉ पूरा राजस्थान पानी को लेकर आपस में लड़ रहा हैं वही गंगा-जमुनी तहजीब की मिसाल कहे जाने वाले शहर बीकानेर वसुदेव कुटुम्बकम वेदोक्ति को आत्मसात कर कर रहा हैं। जवाहर नगर रोड़ पर स्थित रंगोलाई महादेव मन्दिर व उसके सामने बने कब्रिस्तान के नलकुपो द्वारा पानी के टैकर भर कर शहर में पीने योग्य पानी उपलब्ध कराया जा रहा हैं यह दृश्य जैसे ही देखते हैं तो एक विचार आता हैं कि प्रकृति ने अपने किसी भी अंश को मजहब और जाति देखकर नहीं बांटा। प्रशासन द्वारा की गई यह व्यवस्था शहर के जरुरत मंद लोगों को लाभ पंहुचा रही हैं हालाँकि बहुत कम पार्षद ही हैं जो इस व्यवस्था को अपने वार्डवासी तक पंहुचा रहे हैं। इस शहर का भाईचारा इसी तरह जीवंत रहे।