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Friday, September 20

युद्ध में शहीद प्रदेश के 30 जवानों की गांवों में लगेंगी प्रतिमाएं

अभिनव न्यूज।
बिलासपुर: चीन और पाकिस्तान के साथ 60 साल पहले हुए युद्ध में छत्तीसगढ़ से जितने शहीद हुए, उनमें से 30 वीरों की उनके गांवों में प्रतिमाएं लगाई जाएंगी। सैनिक कल्याण बोर्ड को जो सूची मिली है, उसके अनुसार प्रतिमाएं रायपुर, बिलासपुर, दुर्ग, अंबिकापुर, जशपुर और रायगढ़ समेत अन्य जिलों में लगेंगी। शहीदों की प्रतिमाएं लगाने के लिए संबंधित गांवों में जमीन आवंटन और स्मारक बनाने की दस्तावेजे प्रक्रिया दिवाली के तुरंत बाद शुरू कर दी जाएगी।

प्रक्रिया पूरी करते ही प्रतिमाएं लगाई जाने लगेंगी। इसके पीछे की सोच यह है कि कई वीर शहीद ऐसे हैं, जिन्हें अब तक उनके जिलों में पहचान नहीं मिल पाई है। जबकि इन्होंने दोनों देशों के साथ युद्ध में शहादत दी और अपने गांव-जिले ही नहीं बल्कि राज्य का नाम भी पोशन किया। शासन ने इन्हीं शहीदों के परिवारों का गौरव बढ़ाने के लिए यह कदम उठाया है। ये शहीद युद्ध के दौरान पंजाब, बिहार तथा अन्य रेजिमेंट से लड़ रहे थे। राज्य सैनिक कल्याण बोर्ड ने जिले के बोर्ड को उन सारे शहीदों की सूची भेजी है, जिन्होंने देश की आन-बान और शान के लिए अपनी जान न्यौछावर कर दी।

कुछ शहीदों के नाम, जिनकी प्रतिमाएं लगेंगी

  1. शहीद वाइजी गोरे रायपुर के रहने वाले थे। 1665 में भारत पाकिस्तान की लड़ाई में शहीद हुए।
  2. शहीद योगेश्वर दास 1971 में पाकिस्तान से युद्ध में शहीद हुए। इसका परिवार सिलतरा क्षेत्र में रहता है।
  3. शहीद राजीव पांडेय को ऑपरेशन मेघदूत में 1987 में शहादत मिली। परिवार समता कॉलोनी, रायपुर में रहता है।
  4. शहीद हेमलाल कौशिक ने ऑपरेशन पवन में शहादत दी। इनका परिवार कसडोल के झगड़ी गांव का है।
  5. शहीद चिंरजीव बघेल 1996 में ऑपरेशन रक्षक में सड़ते हुए शहीद हुए। इनका परिवार रायपुर के पठौरी का है।
  6. शहीद लाजराज मिंज ऑपरेशन पवन में 1989 में शहीद हुए थे। परिवार बलरामपुर सरगुजा का रहने वाला है।
  7. शहीद राजेश्वर मांझी ने ऑपरेशन पवन में 1988 में अपनी जान कुर्बान की थी। वे दुर्ग के रहने वाले थे।
  8. शहीद राम सहाय राम की जान 1991 में ऑपरेशन मेघदूत में गई। वे अंबिकापुर के कलकला गांव के रहने वाले थे।
  9. शहीद सुरजीत सिंह को 1991 में ऑपरेशन मेघदूत में शहादत मिली। इनका परिवार दुर्ग का रहने वाला है।
  10. शहीद डी राजाराव ऑपरेशन मेघदूत 2010 में शहीद हुए। परिवार जशपुर के जोरातराई का रहने वाला है।

बिलासपुर संभाग में दो शहीदों के लिए स्मारक बनाने का प्रस्ताव मिला है। मुंगेली में यह काम पूरा हो गया है। बिलासपुर में भी जल्द स्मारक बनेगा। यह वाकई शहीद परिवारों के लिए सम्मान की बात है। –कर्नल कुलदीप सैगल, सैनिक कल्याण बोर्ड-बिलासपुर

पंडरभट्‌ठा में स्मारक तैयार
शहीदों की सूची में मुंगेली के पंडरभठ्‌ठा के धनंजय सिंह राजपूत का नाम भी है। उन्हें 2001 में आपरेशन रक्षक के दौरान शहादत मिली। इतने दिनों बाद धनंजय की मूर्ति गांव में लगने के फैसले से उनका परिवार उत्साहित है। उनके गांव वाले भी इस बात से खुश हैं कि शासन ने शहीद का सम्मान बढ़ाने का फैसला लिया।

कलेक्टरों से होगा तालमेल
जिला सैनिक कल्याण बोर्ड को भेजी गई सूची में स्पष्ट कर दिया गया है कि संबंधित जिलों में कितनी जगह शहीदों की मूर्ति लगी है। इसके अलावा अन्य शहीदों के गृह ग्राम का पता लगाया जा रहा है। जिला सैनिक कल्याण बोर्ड को सूची भेज दी गई है और कहा गया है कि संबंधित कलेक्टरों से तालमेल किया जाए।

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