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Thursday, November 21

दृष्टिकोण: ताकि बीकानेर को धर्मनगरी कहते हुए हमें संकोच न हो

संजय आचार्य वरुण

बीकानेर शहर का परकोटा क्षेत्र पिछले काफी समय से नशे, जुए और चोरी सहित अनेक अपराधों की चपेट में आया हुआ है। अब तो हालात ऐसे हो गए हैं कि बीकानेर के नाम के आगे छोटी काशी और धर्म नगरी जैसे विशेषण लगाने से पहले जरा सोचना पड़ता है। विश्वास नहीं होता कि ये हमारा वही बीकानेर है जिसके शांत और सुरक्षित माहौल पर कभी हमें नाज हुआ करता था। हमारे शहर में तो बच्चों को लक्ष्मीनाथ जी और मरुनायक जी के मन्दिर जाने के संस्कार दिए जाते थे। यह वही शहर है जहां के बच्चे रुद्री, महिम्न और दुर्गा सप्तशती के पाठ सीखते थे। आदरणीय नथमल जी पुरोहित और पुजारी बाबा जी का सान्निध्य इस शहर को आज भी एक वरदान के रूप में मिला हुआ है।

कितना दु:ख होता होगा उन्हें ये देखकर कि उनके बीकानेर के नौनिहालों को नशे, जुए और अपराध के दलदल में फंसाया जा रहा है। आज वो हालात हैं जब कहीं किसी भी चौक में खड़ी मोटरसाइकिल को जब चाहे आग लगा दी जाती है। किसी भी मकान से चोर किसी की जीवन भर की पूंजी उड़ा ले जाते हैं। एक दौर वह भी था जब इसी शहर में महिलाएं आधी रात को भी निर्भय होकर घर से निकलती थी और सुरक्षित घर लौटती थी, आज इस शहर में कभी भी किसी भी महिला के गले से चैन खींच ली जाती है, ऐसे हालात देखकर कवि गौरीशंकर आचार्य ‘अरुण’ जी की लाइनें याद आती हैं जिसमें वो कहते हैं कि-
रुख हवाओं का समझना चाहिए।
बादलों को फिर बरसना चाहिए।
है कहां महफूज राहें अब अरुण,
सोचकर घर से निकलना चाहिए।

हम में से बहुत सारे लोगों ने वह दौर भी देखा है कि जब लोग गर्मियों की रातों में चौक में बिछे पाटों पर सोया करते थे, क्योंकि तब हमारे चौक- मौहल्ले घर के आंगन की तरह सुरक्षित थे। चाय- पान आदि की दुकानें रात- रात भर खुली रहती थी, शहर की इन दुकानों का रात भर या देर रात तक खुला रहना ही आज हमारे लिए अभिशाप बन गया है।

इन्हीं दुकानों पर खाने- पीने के बहाने आने वाले आपराधिक प्रवृति के लोग शहर की गलियों में घूमते हैं और वारदातें करते हैं। देर रात तक या रात भर दुकान खुली रहने से एक दुकानदार का तो थोड़ा-बहुत भला हो सकता है लेकिन उससे शहर को बड़े नुकसान उठाने पड़ते हैं, इसलिए दो सौ- पांच सौ का लोभ छोड़कर रात को समय पर दुकानें बंद करना ही हम सबके लिए हितकारी होगा। अब वक्त आ गया है जब हम सभी शहर वासियों को सजग और सावधान होना पड़ेगा।

शहर की नवांकुर पीढ़ी को स्मैक, अफीम, और अन्य खतरनाक नशों की सप्लाई करने के केन्द्र हमारे आसपास ही गुप्त रूप से काम कर रहे हैं। हमें उनकी पहचान करनी होगी। पुलिस अपनी तरफ से अपराधों की जड़ तक पहुंचने के पूरे प्रयास कर रही है और सुखद बात यह है कि उन्हें सफलता भी मिल रही है। मित्रों, अगर पुलिस प्रशासन को हमारा यानी आम जनता का सम्पूर्ण सहयोग मिलेगा तो वे और बेहतर काम कर पाएंगे। जनता पुलिस प्रशासन के बताए दिशा-निर्देशों के अनुसार चले और रात के समय सजगता से पुलिस की गश्त होती रहे, तो परिस्थितियों को काफी हद तक सुधारा जा सकता है।

शहर के हालात चिन्ताजनक हो गए हैं, यह कोई राजनीतिक मुद्दा नहीं है। हर मुद्दे पर राजनीति करना हमें शोभा नहीं देता। विपक्षी पार्टियों और नेताओं को कोसने के लिए बहुत सारे मुद्दे पड़े हैं। बीकानेर की शांति भंग होने को हमें गम्भीरता से लेना चाहिए। ये शहर हम सबका है और लोग चाहे वे किसी भी पार्टी के हों, शहर को बेहतर और सुरक्षित बनाना चाहते हैं। सकारात्मकता से एक- दूसरे की ताकत बनकर काम करें और उज्ज्वल भविष्य का निर्माण करें।

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