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Thursday, September 19

कल मनाई जाएगी श्रीकृष्ण जन्माष्टमी, इस बार श्रीकृष्ण जन्मोत्सव पर रोहिणी नक्षत्र और सर्वार्थ सिद्धि योग,वर्षों के बाद ऐसा संयोग

अभिनव न्यूज, नेटवर्क। हिंदू धर्म में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का बहुत ही महत्वपूर्ण स्थान है. इस दिन लोग व्रत रखकर और बिना व्रत के भी बड़े उल्लास के साथ भगवान श्री कृष्ण का जन्मोत्सव मनाते हैं. इस बार 26 अगस्त को जन्माष्टमी का पर्व मनाया जाएगा. इस वर्ष जन्माष्टमी के अवसर पर कई वर्षों के बाद ऐसा संयोग बना है जो बहुत ही दुर्लभ है. श्रीमद्भागवत पुराण के अनुसार भगवान श्रीकृष्ण का जन्म भाद्र कृष्ण अष्टमी तिथि, बुधवार, रोहिणी नक्षत्र एवं वृष राशि में मध्य रात्रि में हुआ था. पाल बालाजी ज्योतिष संस्थान जयपुर जोधपुर के निदेशक ज्योतिषाचार्य अनीष व्यास ने बताया कि इस बार जन्माष्टमी का त्योहार 26 अगस्त को जन्माष्टमी मनाई जाएगी. इस साल जन्माष्टमी पर चंद्रमा, वृषभ राशि में विराजित रहेंगे, जिससे जयंती योग का निर्माण होगा. इस योग में पूजा करना बहुत शुभ माना जाता है. इस साल की जन्माष्टमी के दिन सर्वार्थ सिद्धि योग बन रहा है. हर वर्ष भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को रोहिणी नक्षत्र में कृष्ण जन्माष्टमी मनाई जाती है. यह दिन श्रीकृष्ण को समर्पित होता है. जन्माष्टमी के इस अवसर पर भगवान श्रीकृष्ण की पूजा-उपासना की जाती है. मान्यता है कि भगवान कृष्ण के शरणागत रहने वाले जातकों को मृत्यु लोक में स्वर्ग समान सुखों की प्राप्ति होती है.
 
ज्योतिषाचार्य बताया कि शास्त्रों में इसका विशेष उल्लेख है. ’अर्द्धरात्रे तु रोहिण्यां यदा कृष्णाष्टमी भवेत्. तस्यामभ्यर्चनं शौरिहन्ति पापों त्रिजन्मजम्.’अर्थात सोमवार में अष्टमी तिथि, जन्म समय पर रोहिणी नक्षत्र और हर्षण योग में भगवान श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का व्रत एवं जन्मोत्सव मनाने वाले श्रद्धालुओं के तीन जन्म के पाप समूल नष्ट हो जाते हैं और ऐसा योग शत्रुओं का दमन करने वाला है. निर्णय सिंधु में भी एक श्लोक आता है-’त्रेतायां द्वापरे चैव राजन् कृतयुगे तथा. रोहिणी सहितं चेयं विद्वद्भि: समुपपोषिता..’ अर्थात हे राजन्, त्रेता युग, द्वापर युग, सतयुग में रोहिणी नक्षत्र युक्त अष्टमी तिथि में ही विद्वानों ने श्री कृष्ण जन्माष्टमी का उपवास किया था इसीलिए कलयुग में भी इसी प्रकार उत्तम योग माना जाए. ऐसा योग विद्वानों और श्रद्धालुओं को अच्छी प्रकार से पोषित करने वाला योग होता है.

शुभ मुहूर्त
भविष्यवक्ता एवं कुंडली विश्लेषक अनीष व्यास ने बताया कि पंचांग के अनुसार, इस साल भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि की शुरुआत 26 अगस्त की रात 3: 39 मिनट पर होगी. 27 अगस्त रात 2:19 मिनट पर इसका समापन होगा. ऐसे में 26 अगस्त 2024 को कृष्ण जन्माष्टमी का व्रत रखा जाएगा.

रोहिणी नक्षत्र
भविष्यवक्ता एवं कुंडली विश्लेषक अनीष व्यास ने बताया कि रोहिणी नक्षत्र 26 अगस्त को दोपहर 03:55 मिनट से प्रारंभ होगाऔर 27 अगस्त की दोपहर 03:38 मिनट पर समाप्त होगा.
 
पूजन मुहूर्त

भविष्यवक्ता एवं कुंडली विश्लेषक अनीष व्यास ने बताया कि इस साल भगवान श्रीकृष्ण का 5251वां जन्मोत्सव मनाया जाएगा. कृष्ण जन्माष्टमी के पूजन का शुभ मुहूर्त 26 अगस्त को देर रात  12 बजे से 27 अगस्त की 00:44 मिनट तक  है.  

सर्वार्थ सिद्धि योग
भविष्यवक्ता एवं कुंडली विश्लेषक अनीष व्यास ने बताया कि इस साल की जन्माष्टमी के दिन सर्वार्थ सिद्धि योग बन रहा है. जन्माष्टमी पर सर्वार्थ सिद्धि योग दोपहर में 3:55 मिनट से शुरू होगा और यह 27 अगस्त को सुबह 5:57 मिनट तक रहेगा. ऐसे में भगवान श्रीकृष्ण का जन्मदिन सर्वार्थ सिद्धि योग में मनाया जाएगा.
 
जन्माष्टमी का भोग

भविष्यवक्ता एवं कुंडली विश्लेषक अनीष व्यास ने बताया कि भगवान लड्डू गोपाल को माखन मिश्री का भोग बहुत पसंद है. इस वजह से जन्माष्टमी वाले दिन बाल श्रीकृष्ण को माखन-मिश्री का भोग लगाएं. इसके अलावा आप केसर वाला घेवर, पेड़ा, मखने की खीर, रबड़ी, मोहनभोग, रसगुल्ला, लड्डू आदि का भोग लगा सकते हैं.
 
करें पूजा

भविष्यवक्ता अनीष व्यास ने बताया कि जन्माष्टमी व्रत में अष्टमी के उपवास से पूजन और नवमी के पारण व्रत की पूर्ति होती है. इस व्रत के एक दिन पहले यानी सप्तमी के दिन हल्का और सात्विक भोजन ही करना चाहिए. व्रत वाले दिन प्रातः स्नान आदि से निवृत होकर सभी देवताओं को नमस्कार करें. पूर्व या उत्तर की ओर मुख करके बैठ जाएं. हाथ में जल, फल और पुष्प लेकर व्रत का संकल्प लें. मध्यान्ह के समय काले तिल का जल छिड़क कर देवकी जी के लिए प्रसूति गृह बनाएं. अब इस सूतिका गृह में सुंदर सा बिछौना बिछाकर उस पर कलश स्थापित करें. भगवान कृष्ण और माता देवकी जी की मूर्ति या सुंदर चित्र स्थापित करें. देवकी, वासुदेव, बलदेव, नन्द, यशोदा और लक्ष्मी जी का नाम लेते हुए विधिवत पूजन करें. यह व्रत रात 12 बजे के बाद ही खोला जाता है. इस व्रत में अनाज का उपयोग नहीं किया जाता. फलाहार के रूप में कुट्टू के आटे की पकौड़ी, मावे की बर्फी और सिंघाड़े के आटे का हलवा खा सकते हैं.
 
व्रत करने से मिलेगी पाप-कष्टों से मिलती है मुक्ति
कुंडली विश्लेषक अनीष व्यास ने बताया कि श्री कृष्ण जन्माष्टमी पर बन रहे दुर्लभ संयोग में पूजन का विशेष महत्व है. निर्णय सिंधु नामक ग्रंथ के अनुसार ऐसा संयोग जब जन्माष्टमी पर बनता है, तो इस खास मौके को ऐसे ही गवाना नहीं चाहिए. अगर आप इस तरह के संयोग में व्रत करते हैं तो 3 जन्मों के जाने-अनजाने हुए पापों से मुक्ति मिलती है. मान्यता है कि इस तिथि और संयोग में भगवान कृष्ण का पूजन करने से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी होती है. व्यक्ति को भगवत कृपा की प्राप्ति होती है. जो लोग कई जन्मों से प्रेत योनि में भटक रहे हो इस तिथि में उनके लिए पूजन करने से उन्हे मुक्ति मिल जाती है. इस संयोग में भगवान कृष्ण के पूजन से सिद्धि की प्राप्ति होगी तथा सभी कष्टों से मुक्ति मिलेगी.

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