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हिंदू धर्म में शीतला अष्टमी व्रत का विशेष महत्व है। हर साल होली के आठवें दिन यह पावन व्रत पड़ता है। चैत्र शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को शीतला अष्टमी मनाई जाती है। इस दिन मां शीतला की पूजा का विधान है। शीतला अष्टमी के दिन बासी भोजन खाने की परंपरा है। माता शीतला को भी बासी भोजन का ही भोग लगाया जाता है, इसलिए इसे स्थानीय भाषा में बासौड़ा, बूढ़ा बसौड़ा, बसोड़ा या बसियौरा नामों से भी जाना जाता है। आपको बता दें कि यह पर्व मालवा, निमाड़, राजस्थान और हरियाणा के कुछ क्षेत्रों में बड़े ही धूमधाम और विधि-विधान के साथ मनाया जाता है।
कब है शीतला अष्टमी और शीतला सप्तमी?
हर त्यौहार की तरह शीतला अष्टमी व्रत की तारीख को लेकर भी लोगों में असमंजस की स्थिति है। माता रानी के भक्त सोच में हैं कि वो 14 मार्च को अष्टमी का व्रत रखें या फिर मार्च को। तो आपको बता दें कि इस साल शीतला अष्टमी का व्रत 15 मार्च को है। हिंदू पंचांग के मुताबिक, चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की शीतला सप्तमी 14 मार्च 2023 को पड़ रही है, जबकि शीतला अष्टमी का व्रत 15 मार्च 2023 को रखा जाएगा।
शीतला अष्टमी पूजा शुभ मुहूर्त
- चैत्र कृष्ण पक्ष अष्टमी तिथि आरंभ: रात 8 बजकर 22 मिनट से (14 मार्च 2023)
- चैत्र कृष्ण पक्ष अष्टमी तिथि समापन: शाम 6 बजकर 45 पर (15 मार्च 2023)
- शीतला अष्टमी व्रत तिथि- 15 मार्च 2023
- शीतला अष्टमी व्रत पूजा शुभ मुहूर्त- सुबह 6 बजकर 30 मिनट से शाम 6 बजकर 30 तक (15 मार्च 2023)
शीतला अष्टमी व्रत महत्व
शीतला अष्टमी के दिन प्रात:काल स्नान कर विधिवत मां की अर्चना करनी चाहिए। साथ ही इस शीतला स्रोत पाठ और शीतला माता की कथा भी जरूर पढ़ना चाहिए। ऐसा करने से मां शीतला भक्तों की हर मनोकामना की पूर्ति करती हैं। शीतला अष्टमी के दिन विधि-विधान के साथ मां की पूजा करने से निरोगी होने का वरदान मिलता है। इस व्रत को करने से व्रती को अच्छा स्वास्थ्य और गंभीर बीमारियों से मुक्ति मिलती हैं।
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं। इसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है। । अभिनव टाइम्स एक भी बात की सत्यता का प्रमाण नहीं देता है।)