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Friday, November 22

संसोलाव तालाब बनेगा अब शहर का सबसे बड़ा पिकनिक स्पॉट:

शहर के संसोलाव तालाब में गंठों का दौर फिर से जोर करेगा। प्रशासन ने तालाब को पानी से लबालब करने और और रूप-रंग संवारने के लिए 35 लाख रुपए खर्च करने की तैयारी कर ली है। नत्थूसर गेट से आगे करमीसर रोड पर मूंधड़ों की बगेची के पास एतिहासिक संसोलाव तालाब शहर में गोठ-गंठों के लिए जाना जाता रहा है। लेकिन, पिछले कुछ सालों से इसकी आगोर में अतिक्रमण, टूट-फूट और प्रशासनिक अनदेखी के कारण तालाब में पानी का भराव कम हो गया और इसका लुक भी बदहाल होने लगा है। प्रशासन ने अब एक बार फिर से तालाब का पुराना वैभव वापस लाने का फैसला किया है।

यूआईटी को इसका जिम्मा सौंपा है जिसने तालाब परिसर को संवारने के लिए 35 लाख रुपए की रिपोर्ट तैयार की है। मुख्य रूप से तालाब की आगोर को सुधारा जाएगा जिससे कि पहले की तरह बारिश का पानी बिना रुकावट तालाब में जा सके। इसके अलावा रंग-रोगन और मरम्मत कर हेरिटेज लुक दिया जाएगा। गौरतलब है कि संसोलाव तालाब की एतिहासिकता को देखते हुए इसे पर्यटन स्थल और पिकनिक स्पॉट के रूप में विकसित किया जा सकता है।

ऐसे निखरेगा तालाब का रूप-रंग

  • कैचमेंट एरिया का फर्श पक्का किया जाएगा जिससे कि बारिश का पानी सीधा तालाब तक पहुंचे
  • एंट्री प्वाइंट पर राइड साइड में कोटा स्टोन लगाया जाएगा
  • जर्जर कमरे को दुबारा हेरिटेज लुक में बनाया जाएगा
  • तालाब की सीढ़ियों की मरम्मत की जाएगी और फर्श भी सुधारा जाएगा
  • परिसर में दीवारों की मरम्मत होगी। जहां जरूरत है वहां नई दीवारें बनाई जाएंगी
  • रंग-रोगन कर आकर्षक लुक दिया जाएगा
  • मंदिर परिसर के अलावा वहां बने मकानों का गंदा पानी तालाब में ना जाए, इसके लिए एक अलग कुआं बनाया जाएगा

20 से 25 फीट गहरा तालाब अब 15 फीट रह गया
बीकानेर के पश्चिमी क्षेत्र में नत्थूसर गेट के बाहर विसं 1572 में तालाब के एक तट सोनधरन तट का निर्माण सासोजी ने करवाया था। इससे पूर्व तालाब सालोजी राठी के पौत्र सामोजी ने करवाया था। इसका नाम सहस्त्रलाव था जो कालांतर में संसोलाव बन गया। इसकी आगोर 348 बीघा थी। यह तालाब बीकानेर के सभी तालाबों में कलात्मक और रमणीक है। इसके बीचोबीच एक सुन्दर कलात्मक छतरी बनी है।

आसपास बनी सतियों की छतरियों और देवालयों ने इसके स्वरूप और सौन्दर्य में चार चांद लगाए। कहते हैं साठ के दशक में आसपास की आबादी इसी तालाब के पानी पर निर्भर थी। अकाल राहत में हुई खुदाई में छर्रा निकल जाने के कारण अब तालाब में पानी ज्यादा समय तक नहीं ठहरता। अनुुमान के मुताबिक इसकी आगोर पर 200 से ज्यादा मकान, ऑफिस बने हैं। श्रावण माह के चारों सोमवार सहित चौथ व भाद्रपद के सोमवार व गेमना पीर का लौटता मेला इसी तालाब पर संपन्न होता है। तालाब 20 से 25 फीट गहरा था जो 15 फीट का रह गया है।

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