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Saturday, November 23

कमरा नंबर 22:पीबीएम हॉस्पिटल के ट्रोमा सेंटर में सोनोग्राफी के कक्ष पर रहता है ताला क्योंकि सोनोलॉजिस्ट नहीं

अभिनव टाइम्स बीकानेर

2 बजे के बाद नहीं मिलते डॉक्टर सोनोग्राफी के लिए 2 घंटे इंतजार

पीबीएम हॉस्पिटल के रेडियोलॉजी विभाग के कमरा नम्बर 22 के बाहर लिछमा एक घंटे से सोनोग्राफी के लिए डॉक्टर का इंतजार कर रही है। महिला को जसरासर स्वास्थ्य केंद्र से रैफर किया गया है। क्योंकि प्रसव के बाद उसके ब्लीडिंग रुक नहीं रही थी। पिता भंवर लाल से बेटी की पीड़ा देखी नहीं जा रही थी। बार-बार खिड़की पर जाकर पूछते, डॉक्टर साब कब आएंगे। लेकिन उन्हें टका सा जवाब मिलता-डॉक्टर ऑन कॉल हैं। वे चिंता और निराशा लिए वापस बेटी के पास आकर खड़े हाे जाते। मौसी रूखमा देवी नवजात को संभाले हुए है।

वहीं पर बरामदे में बुआ बालादेवी के साथ लेटी डाेली भी सोनोलॉजिस्ट के आने का इंतजार कर रही है। प्रसव से पहले डॉक्टर ने सोनोग्राफी करवाने का बोला है। दोनों मरीजों की डॉक्टर के आने के बाद सोनोग्राफी हुई। सिस्टम की अनदेखी के कारण ट्रोमा सेंटर में भर्ती मरीजों को सोनोग्राफी के लिए 22 नंबर कक्ष में जाना पड़ रहा है।

जबकि ट्रोमा सेंटर में सोनोग्राफी मशीन लगी हुई है। लेकिन सोनोलॉजिस्ट की कमी के कारण मरीज ट्रोमा सेंटर और 22 नंबर कमरे के बीच फुटबॉल बने हुए हैं। जनाना में भर्ती मरीज और ट्रोमा सेंटर सहित अन्य वार्डों के मरीजों को भी सोनोग्राफी के लिए 22 नंबर कमरे में ही जाना पड़ता है।

जिला कलेक्टर ने हाल ही में पीबीएम हॉस्पिटल में मरीजों की जांच और इलाज में कौताही ना बरतने के निर्देश चिकित्साधिकारियों को दिए थे। उसके बाद भास्कर टीम ने पीबीएम में निशुल्क जांच व्यवस्था की पड़ताल की तो कुछ ऐसे ही हालात देखने को मिले।

सीन 1 हनुमानगढ़ का मोनू ट्रोमा सेंटर में भर्ती है। दीवार गिरने के कारण उसके गंभीर चोटें आई हैं। ट्रोमा में सोनोग्राफी कक्ष बंद होने के कारण उसे रात नौ बजे 22 नंबर कमरे में जाना पड़ा। इससे हालत और बिगड़ गई।

सीन 2 स्कूटी फिसलने से घायल रामनिवास को उसके परिजन सुबह नौ बजे ट्रोमा सेंटर लेकर पहुंचे। लेकिन सोनोग्राफी कक्ष के ताला था। स्ट्रेचर पर हिचकोले खाते आखिर में उसे 22 नंबर कमरे में ही जाना पड़ा।

सीन 3 आइना सीढ़ियों से गिरकर घायल हो गई। उसे ट्रोमा सेंटर भर्ती किया गया। अंदरूनी चोटों के कारण सोनोग्राफी के लिए उसे भी 22 नंबर कमरे में जाना पड़ा। जहां 2 घंटे इंतजार के बाद नंबर आया।

पीबीएम में रोज होती है 400 से ज्यादा मरीजों की सोनोग्राफी

सोनोग्राफी की अहमियत को इस बात से समझा जा सकता है कि पीबीएम हॉस्पिटल में रोजाना 400 से अधिक मरीजों की सोनोग्राफी होती है। हालांकि सोनोग्राफी करवाने वाले मरीजों की संख्या 600 से अधिक होती है। पीबीएम के सुपर स्पेशियलिटी सेंटर में रोजाना 35-40, कैंसर हॉस्पिटल में 30-40, 16 नंबर आउटडोर में 60-80, जनाना हॉस्पिटल में 60-70, ट्रोमा सेंटर और यूरोलॉजी में सोनोग्राफी मशीनें फिलहाल बंद पड़ी है। 22 नंबर सोनोग्राफी कक्ष में सबसे अधिक रोजाना की करीब 200 सोनोग्राफी मरीजों की होती है।

यह सही है कि सोनोग्राफी को लेकर मरीजों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है, लेकिन उनकी समस्या को जल्द ही दूर किया जाएगा। नए सोनोलॉजिस्ट की भर्ती के प्रयास किए जा रहे हैं। -डॉ. प्रमोद कुमार सैनी, सुपरिटेंडेंट पीबीएम

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