अभिनव न्यूज
बीकानेर: स्थानीय आदि गणेश मंदिर मे चल रही भागवत कथा मे आख्यान करते हुए श्रीमरुनायक व्यास पीठाधीश्वर पंडित भाईश्री ने आज कृष्ण रुक्मणि विवाह के प्रसंग मे बताया कि जगत मे प्रेम की अनिवार्यता को स्वीकार किया है। प्रेम और वासना में स्पष्ट अन्तर करते हुए जीवन के लिए उदात्त प्रेम को श्रेयस्कर माना है। प्रेम का प्रस्फुटन अनेक रूपों में होता है।
कभी उस पर भक्ति का रंग चढ़ा होता है, कभी प्रकृति के प्रति अनुराग में अनुरंजित होता है, कभी सन्तान के प्रति तो कभी स्थूल नारी-सौंदर्य होता है। प्रेम वह मणि है जिसमें से प्रसारित होने वाली हर रंग की किरण अपना वैशिश्टय बनाए रहती है। वेदों में प्रेम के सद्-असद् रूपों के बारे में बताया गया है।
वेदों में धर्म-सम्मत प्रेम को ही आदर्श प्रेम के रूप में स्वीकार किया है। नारी-पुरुष के दैहिक सम्बन्धों को केवल दाम्पत्य-प्रेम के अन्तगर्त ही स्वीकृति मिली है। दाम्पत्यतेर नारी-पुरुष के शारीरिक प्रेम को धर्म-विरूद्ध और अकल्याणकार कहा गया है।
कथा मे आज गोपी गीत, कंस वध, उद्धव चरित्र का वर्णन किया गया।
आज कथा मे पंडित तरुण सागर व्यास ने राजकुमार प्रजापत सपत्नीक को गणेश आदि देवताओं की पूजा अर्चना विधि विधान से करवाई। कथा मे संगीत संयोजन पंडित कृष्णकांत पुरोहित टीम का रहा।