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Friday, November 15

ट्विटर पर ट्रेंड हुआ ‘राजस्थानी मांगे राजभाषा’ हैशटैग:युवाओं ने, 5 शहरों में किए 10 से ज्यादा कार्यक्रम

अभिनव न्यूज।
जोधपुर:
‘राजस्थानी मांगे राजभासा’ यह ट्विटर पर ट्रेंड कर रहा है। राजस्थानी भाषा को मान्यता और उससे पहले राजस्थान सरकार से राजभाषा घोषित करवाने के लिए संघर्ष चल रहा है। खास बात यह है कि राजस्थानी युवा समिति जो इस मुहिम को आगे बढ़ा रही है, उसने यह पूरा आंदोलन महज 4 महीने में ही खड़ा किया है। इसमें जुड़े कई सदस्य भी युवा ही हैं।

समिति के संस्थापक सदस्य हिमांशु किरण शर्मा बताते हैं राजस्थानी युवा समिति से जुड़े एक लाख लोग इसकी मांग कर रहे हैं, लेकिन कई सालों से इसको अटकाया जा रहा है। उन्होंने सरकार से भी अपील की कि राजस्थानी भाषा को मान्यता मिलती है तो कितना फायदा मिलेगा। एक भी नेगेटिव पॉइंट नहीं है कि जिसकी वजह से इसको मान्यता नहीं दी जाए। समिति के अध्यक्ष अरुण राजपुरोहित ने बताया कि हर दिन लोग इस मुहिम से जुड़े रहे हैं। अब तक 10 सभाएं कर चुके हैं। सरकार से यही मांग है कि इतनी बड़ी संख्या में राजस्थान वासियों की मांग उठ रही है, उसे पूरा करना चाहिए।

इस बजट सत्र में मिले राजभाषा का दर्जा
समिति के राष्ट्रीय सलाहकार राजवीर सिंह चलकोई ने बताया कि इस बार बजट सत्र में राजस्थानी भाषा को राजभाषा का दर्जा देने की घोषणा सरकार को करनी चाहिए। इस आंदोलन को 4 महीने पहले शरद पूर्णिमा से शुरू किया गया था। अब यदि सरकार नहीं जागती है तो आंदोलन का और उग्र किया जाएगा।

एक नजर में युवा समिति का आंदोलन
– 1 सितम्बर 2022 से मुहिम की शुरुआत की।

– हेलो मायड़ भासा रो कार्यक्रम के जरिए कई शहरों में कॉलेज व शिक्षण संस्थाओं में कार्यक्रम किए।

– 28 हजार से ज्यादा औपचारिक सदस्य बनाए।

– यह सदस्य ऑनलाइन व ऑफलाइन दोनों पद्धति से बनाए गए।

– पांच शहरों में 10 से ज्यादा छोटे-बड़े कार्यक्रम हो चुके हैं।

युवाओं को समझा रहे क्यूं जरूरी है मान्यता…
यह समिति अलग-अलग शहरों में जाकर युवाओं के बीच कार्यक्रम कर रही है। इसमें युवाओं को राजस्थानी भाषा को मान्यता मिलने से उनको होने वाले फायदे के बारे में समझाया जा रहा है। साथ ही अब तक मान्यता मिलने में कहां अड़चन ,है इसके बारे में भी युवाओं को बताया जा रहा है।

9 जनवरी को जयपुर में कैंडल मार्च
हेलो मायड़ भाषा रो कार्यक्रम के तहत सोमवार को शाम 6 बजे से जयपुर के शहीद स्मारक से कैंडल मार्च निकाला जाएगा, जिससे राजस्थानी भाषा के प्रति सरकार का ध्यान खींचा जा सके। पहले राजस्थान सरकार से राजभाषा का दर्जा और इसके बाद केंद्र सरकार से पूर्ण मान्यता का अधिकार के लिए यह समिति संघर्ष कर रही है।

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