अभिनव न्यूज, नेटवर्क। राजस्थान हाईकोर्ट ने शनिवार को उस जनहित याचिका (PIL) को खारिज कर दिया जिसमें विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में 2023-24 सत्र के लिए छात्र संघ चुनावों को रद्द करने वाले परिपत्र को चुनौती दी गई थी। 12 अगस्त के सर्कुलर पर सवाल उठाते हुए याचिकाकर्ता शांतनु पारीक ने मुख्य न्यायाधीश ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह और न्यायमूर्ति समीर जैन की खंडपीठ के समक्ष दलीले पेश कीं। पारीक ने दावा किया कि राज्य सरकार ने मनमाने ढंग से छात्र संघ चुनावों को रद्द किया है जो 2010 से हर साल (COVID-19 के कारण 2020 और 2021 को छोड़कर) नियमित रूप से होते आए हैं।
शांतनु पारीक ने अपनी दलील में कहा- मनमाने ढंग से छात्र संघ चुनावों को रद्द किया जाना देश के संविधान के अनुच्छेद 19(1)(ए) और 21 के तहत अपने प्रतिनिधियों को चुनने के विश्वविद्यालय और कॉलेज के छात्रों के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है। केरल विश्वविद्यालय के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने छात्र संघ चुनावों में किसी प्रतिनिधि को चुनने के अधिकार को विशेष रूप से मौलिक अधिकार के रूप में मान्यता दी है। छात्र संघ चुनावों को रद्द करने संबंधी अतार्किक परिपत्र लिंगदोह समिति की रिपोर्ट की सिफारिशों की अनदेखी करने का एक जानबूझकर किया गया प्रयास है।
याचिका के अनुसार, राजस्थान सरकार ने 17 फरवरी, 2009 को राजस्थान हाईकोर्ट (Rajasthan High Court) के समक्ष एक हलफनामा दायर किया था। इसमें उसने कहा था कि राज्य और उसके विश्वविद्यालय लिंगदोह समिति की रिपोर्ट (Lyngdoh Committee report) में उल्लिखित प्रक्रियाओं का पालन करते हुए छात्र संघ चुनाव कराने के लिए बाध्य हैं। अब राज्य सरकार ने खुद इन दिशानिर्देशों का उल्लंघन करते हुए रिपोर्ट की सिफारिशों को दरकिनार करने का प्रयास किया है।
इसके बाद हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ता शांतनु पारीक से उनकी स्थिति के बारे में पूछा। इस पर पारीक ने कहा कि वह एक वकील हैं, जिन्होंने राजस्थान उच्च न्यायालय में कानूनी शोधकर्ता और राजस्थान विश्वविद्यालय में कानूनी सहायक के रूप में काम किया है। वह ‘शांतनु लॉ क्लासेस’ नाम से एक यूट्यूब चैनल भी चलाते हैं, जहां वह कानून के छात्रों और आम जनता को मुफ्त कानूनी शिक्षा प्रदान करते हैं, जिससे समाज में कानूनी जागरूकता को बढ़ावा देने में योगदान मिलता है।
इस पर अदालत (Rajasthan High Court) ने कहा कि केवल यूट्यूब चैनल चलाने से कोई व्यक्ति सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में योग्य नहीं हो जाता है। इसके बाद मामले पर फैसला देने के बजाय, पीठ ने याचिकाकर्ता को जनहित याचिका वापस लेने का विकल्प दिया। नतीजतन याचिकाकर्ता ने याचिका वापस लेने पर सहमति व्यक्त की। इसके बाद अदालत ने इसे खारिज कर दिया। बता दें कि राज्य की अशोक गहलोत सरकार ने बीते 12 अगस्त को आदेश जारी कर इस साल छात्र संघ चुनाव नहीं कराने का निर्णय लिया है। इसको लेकर छात्रों में आक्रोश है।