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Saturday, September 21

राजस्थान सबसे ज्यादा बारिश, देश में चौथे नंबर पर: 11 साल का रिकॉर्ड टूटा

अभिनव टाइम्स । राजस्थान में इस बार मानसून ने आठ दिन देरी से अपनी पारी की शुरुआत की, लेकिन आते ही ताबड़तोड़ बारिश ने देशभर में राजस्थान को चौथे नंबर पर ला खड़ा कर दिया। तमिलनाडु और तेलंगाना के बाद लद्दाख ही ऐसे क्षेत्र है, जहां राजस्थान से ज्यादा बारिश हुई है।

दरअसल, 13 अगस्त के बाद मानसून की दूसरी पारी ने कई रिकॉर्ड तोड़ दिए। इस बार मानसून की बारिश ने 2 तरह के रिकॉर्ड तोड़े। पहला ये कि पिछले 11 साल में सबसे ज्यादा बारिश हुई और दूसरा अनूठा रिकॉर्ड ये है कि इस बार किसी क्षेत्र विशेष तक सीमित रहने के बजाय राज्य के हर जिले में औसत से ज्यादा पानी बरसा।

इस बार मानसून ने राजस्थान के झालावाड़, कोटा, की तरफ से प्रवेश करते हुए अपनी प्रभावी उपस्थिति दिखाई। प्रदेश में 30 जून काे मानसून का आया तो उम्मीद नहीं थी कि हर रोज झमाझम होने वाली है, लेकिन 30 जुलाई आते-आते प्रदेशभर में 324 एमएम बारिश हो गई, जबकि पूरे मानसून में ही 435 एमएम बारिश होती है।

यानि अधिकांश कोटा तो 30 जुलाई तक ही पूरा हो गया। 30 जुलाई तक पश्चिमी राजस्थान में तो 89 प्रतिशत मानसून बरस चुका था, जबकि पूर्वी राजस्थान में 40 फीसदी बारिश हो गई थी।

23 अगस्त से नया सिस्टम
मानसून के बीच 23 अगस्त को नया सिस्टम बनने से कोटा, डूंगरपुर, प्रतापगढ़ में जमकर बारिश हुई। इसके अलावा बीकानेर और जोधपुर में भी यलो अलर्ट जारी किया गया था। इसी नए सिस्टम के कारण सन सिटी को रेनसिटी कहा गया। जहां रिकार्ड बारिश के चलते जनजीवन प्रभावित हो गया। इससे पहले 27 जुलाई को भी जमकर बारिश हुई, जिससे जोधपुर और कोटा दोनों में जमकर पानी बरसा।

मानसून से दोगुना हुआ बांधों का पानी
मानसून ने बांधों को न सिर्फ लबालब किया बल्कि छलकने तक को मजबूर कर दिया। मानसून से पहले 15 जून तक प्रदेश के बांधों का जल स्तर 4319 एमक्यूएम था, जो मानसून में बढ़कर दोगुना से ज्यादा 10043.69 एमक्यूएम हो गया। वर्ष 2011 से अब तक की सर्वाधिक बारिश होने से सभी बांधों में पानी भी सबसे ज्यादा ही पहुंचा है।

नहर लबालब, निर्भरता नहीं
पश्चिमी राजस्थान के 11 जिलों में रहने वाले किसानों को इस बार अपनी फसल के लिए नहर की ओर ज्यादा ताकना नहीं पड़ा। सिंचाई पानी के लिए इंद्रदेव ने इतनी बरसात कर दी कि खेतों में पानी देने के बजाय बारिश का पानी बाहर निकालना पड़ा।

बीकानेर के खाजूवाला, जोधपुर के बाप, जैसलमेर सहित अनेक क्षेत्रों में बारिश ज्यादा होने से खेतों में पानी जमा हो गया। नहर को पानी देने वाले पंजाब व हिमाचल के बांध भी इन दिनों लबालब हैं। रेगुलेशन में भी पानी कम दिया जा रहा है, लेकिन पश्चिमी राजस्थान का किसान इस बार आंदोलन नहीं कर रहा, क्योंकि फसल की प्यास बुझ चुकी है।

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