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Friday, September 20

अश्लील वीडियो बना किया था वायरल:नाबालिग बालक के यौन उत्पीड़न मामले में कोर्ट की सख्ती, पांच साल की सुनाई सजा

अभिनव न्यूज।
जोधपुर: एक नाबालिग बालक के साथ मारपीट कर उसका यौन उत्पीड़न करने के मामले में लैंगिक अपराधों से जुड़े विशिष्ठ न्यायालय ने एक आरोपी को पांच साल की सजा सुनाई है। आरोपी युवक ने एक नाबालिग बालक को अश्लील वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल कर दिया था। कोर्ट ने नाबालिग के यौन उत्पीड़न को बहुत गंभीरता से लिया और टिप्पणी की कि इस तरह से प्रकरणों से नाबालिग जीवनभर उबर नहीं पाते है। ऐसे मामलों में कोर्ट से नरमी बरते जाने की उम्मीद नहीं की जानी चाहिये।

यह है मामला

नाबालिग के पिता ने 9 जून 2021 को फलोदी थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई कि उसका बेटा फलोदी में रहकर पढ़ाई कर रहा है। सात जून को जब वह घर आया तो बहुत डरा सहमा नजर आया। पूछताछ करने पर उसने बताया कि जनवरी में उसके परिचित जगदीश ने उसके साथ गलत काम किया। उसने बताया कि जगदीश मेरे बेटे को अपने दो साथियों के साथ एक बाइक पर बैठा हवाई पट्‌टी पर ले गया। वहां मेरे बेटे के साथ उसने मारपीट की। इसके बाद कपड़े उतार उसका अश्लील वीडियो बना लिया। कुछ दिन बाद एक फर्जी आईडी बना इस वीडियो को सोशल मीडिया पर वायरल कर दिया। इस घटना से मेरा बेटा बहुत आहत हुआ। इस घटना के बाद पुलिस ने जगदीश ओड को गिरफ्तार कर लिया। वह अभी तक जेल में ही है।

यह हुआ कोर्ट में

इस मामले का पुलिस ने लैंगिक अपराधों से जुड़े विशिष्ठ न्यायालय में चालान पेश किया। सभी पक्षों को सुनने के बाद पीठासीन अधिकारी अनिल आर्य ने जगदीश को इस मामले में की विभिन्न धाराओं के साथ ही यौन अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम 2012 में गंभीर प्रकृति के अपराधों में दोषी करार दिया। इसके बाद जगदीश के वकील की ओर से कहा गया कि यह उसका पहला अपराध है। वह बेहद गरीब परिवार से है। साथ ही मामला दर्ज होने के बाद से जेल में बंद है। ऐसे में उसे परीविक्षा अधिनियम का लाभ देकर छोड़ दिया जाए। वहीं सरकारी वकील ने उसे छोड़े जाने का विरोध किया। अपने आदेश में पीठासीन अधिकारी ने कहा कि अभियुक्त ने नाबालिग बालक के साथ गंभीर प्रकृति का अपराध किया है। वर्तमान में इस तरह के अपराधों में दिनों दिन बढ़ोतरी हो रही है। ऐसे लोगों को रिहा करने से गलत संदेश जाएगा। निर्दोष बच्चों के खिलाफ यौन हमला करने वाले व्यक्ति मनोसामाजिक विकृतियों के शिकार होते है। ऐसे मामलों में कोर्ट से नरमी बरते जाने की उम्मीद नहीं की जानी चाहिये। उन्होंने अभियुक्त जगदीश को परिवीक्षा अवधि के आधार पर जेल से रिहा करने के मना कर दिया।

अपने फैसले में पीठासीन अधिकारी अनिल आर्य ने जगदीश को विभिन्न दाराओं में दोषी करार देते हुए दो माह से पांच वर्ष तक की सजा सुनाई। ये सभी सजा एक साथ चलेगी।

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