अभिनव न्यूज, बीकानेर। प्रज्ञालय संस्थान एवं सहयोगी संस्था स्व. नरपतसिंह सांखला स्मृति संस्थान के साझा आयोजन ‘आखर उजास’ की दूसरी कड़ी हिन्दी भाषा को समर्पित रही। कार्यक्रम में ख्यातनाम कवि अनिरूद्ध उमट ने अपने चर्चित काव्य संग्रह ‘कह गया जो आता हूं’ ‘अभी, तस्वीरों से जा चुके चेहरे’ एवं संलाप से अपनी लोकप्रिय कविताओं का वाचन किया जिसमें प्रमुख है- एक-एक कर सभी/उतरे कुंएं में/बनाने भीतर ही दरवाजा/किसी की भी आवाज/नहीं सुनाई दी फिर कभी……., छोड़ गए थे पिता जो वसीयत/उसमें कुद साफ-साफ थे निर्देश/याद रखना तुम्हारी हठ में मुझे रोना आ जाता था………, प्रेम की खोज में समुद्र भी सूदंक है/पृथ्वी भी संदूक/जो लोग खोज में नहीं है, वे प्रेम में है……. एवं अंगूठे से आसमान पर/लकीर खींच/कोई उस तरफ फांद गया……. के साथ अपनी अनेक रचनाओं में उमट जीवन की नम और सबसे महीन वस्तुओं को कविता में प्राण देना जीवन में मर्म को पोसने का कवि कर्म करते है।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए वरिष्ठ साहित्यकार-रंगकर्मी मधु आचार्य ‘आशावादी‘ ने कहा कि उमट की कविताएं हिन्दी कविता के प्रचलित मानको और मुहावरों को तोड़कर अपना रास्ता बना रही है और हिन्दी कविता में एक नया परिदृश्य रचने का प्रयास कर रही है।इस अवसर पर आचार्य ने कहा कि आखर उजास के लिए आयोजक साधुवाद के पात्र हैं। क्येांकि ऐसे गंभीर एवं महत्वपूर्ण आयोजनों की आज जरूरत है।
जिससे नई पीढ़ी अपनी परंपरा और अग्रज पीढ़ी के रचना संसार से रूबरू हो सके।
आयोजन में अनिरूद्ध उमट की काव्य प्रस्तृति उपरांत मुख्य अतिथि आलोचक एवं कवि डॉ ब्रजरतन जोशी ने कहा कि उमट की कविताएं संवेदना का विस्तुत फलक लिए हुए तो है साथ ही अनंत क्षितिज और चिंता के विविध आयाम भी साक्षी है। आपकी कविता के भीतर जो भाव तरंगे होती है, वो पाठक की संवेदनात्मक चेतना से टकराकर प्रभाव तरंगो में तब्दील हो जाती है।
कार्यक्रम में अपना सानिध्य देते हुए राजस्थानी के वरिष्ठ कवि-कथाकार एवं आलोचक कमल रंगा ने इस अवसर पर कहा कि उमट की कविताओं में महीन बुनाई की तरह भीतरी तहों में बुना गया भाव-विचार इतना सूक्ष्म और इतना अपारदर्शी होता है कि वह संवेदना कि मिट्टी में नमी सा घुल जाता है और ह्रदयस्पर्शी अंनुगुंजे पैदा कर हर गंभीर पाठक के संवेदनात्मक बोध को न जाने कितने-कितने व्यंजनात्मक स्वरूप सौंप देता है।
कार्यक्रम के प्रारंभ में संस्कृतिकर्मी संजय सांखला ने सभी का स्वागत करते हुए कहा कि आखर उजास के माध्यम से साहित्य की महत्वपूर्ण विधा काव्य को केन्द्र में रखकर एक कवि को सुनना और उस पर विशेषज्ञ टिप्पणी से लाभान्वित होना सुखद है।कार्यक्रम का संचालन करते हुए हिन्दी राजस्थानी के साहित्यकार-आलोचक संजय पुरोहित ने अनिरूद्ध उमट के व्यक्तित्व और कृतित्व पर प्रकाश डाला।
कार्यक्रम में नंदकिशोर आचार्य दीपचंद सांखला, अविनाश व्यास, अमित गोस्वामी, डॉ अजय जोशी, जाकिर अदीब, हरीश बी शर्मा, गिरिराज पारीक, डॉ जियाउल हसन कादरी, गोपाल कुमार कुंठित, प्रेम नारायण व्यास, राहुल रंगा, राजस्थानी, कमल किशोर पारीक, मधुरिमा सिंह, माजीद खां गौरी, कपिला पालीवाल, इसरार हसन कादरी, जुगल किशोर पुरोहित, बुनियाद हुसैन जहीन, धीरेन्द्र आचार्य सहित अनेक गणमान्य जनों ने काव्य धारा का आनंद लिया।
आभार ज्ञापित करते हुए कासिम बीकानेरी ने आखर उजास के महत्व को रेखांकित करते हुए बताया कि आखर उजास की तीसरी कड़ी राजस्थानी भाषा को समर्पित होगी।