अभिनव न्यूज, नेटवर्क। राजस्थान के बहुचर्चित फोन टैपिंग मामले में सीएम अशोक गहलोत के ओएसडी लोकेश शर्मा को दिल्ली हाईकोर्ट से राहत मिली है। लोकेश शर्मा की
गिरफ्तारी पर 7 फरवरी तक के लिए रोक लगा दी है। जस्टिस विकास महाजन के छुट्टी पर रहने के लिए सुनवाई टल गई है। सीएम गहलोत के OSD लोकेश शर्मा की याचिका पर सुनवाई हुई। पिछली सुनवाई में हाईकोर्ट ने गिरफ्तारी पर रोक को रखा था बरकरार। दिल्ली पुलिस ने फिर मामले पर जल्द सुनवाई की मांग की थी, कहा था-‘राज्य सरकार की सरकारी मशीनरी जांच में सहयोग नहीं कर रही है।
जबकि लोकेश शर्मा की ओर से वरिष्ठ वकील सिद्धार्थ लुथरा ने कहा था, इस मामले को राजस्थान ट्रांसफर किया जाना चाहिए। गौरतलब है फोन टैपिंग प्रकरण पर दिल्ली में मार्च 2021 में FIR दर्ज करवाई थी। केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत की ओर से FIR दर्ज कराई थी।
केंद्रीय मंत्री शेखावत ने दर्ज कराई थी एफआईआर
उल्लेखनीय है कि फोन टैपिंग प्रकरण पर दिल्ली में मार्च 2021 में केंद्रीय जलशक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत की ओर से एफआईआर दर्ज करवाई गई थी। दिल्ली हाई कोर्ट ने इससे पहले 14 जुलाई 2023 को सुनवाई की थी। कथित फोन टेपिंग से जुड़ा यह मामला उस वक्त का है, जब राजस्थान कांग्रेस में जुलाई-अगस्त 2020 के दौरान सीएम अशोक गहलोत और तत्कालीन डिप्टी सीएम रहे सचिन पायलट ग्रुप के बीच कलह बढ़ने से सियासी अस्थिरता बन गई थी और गहलोत सरकार संकट में आ गई थी।
क्योंकि सचिन पायलट अपने खेमे के 19 विधायकों के साथ मानेसर में कैम्प कर रहे थे। इस दौरान कुछ ऑडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुए थे। जो मीडिया तक भी पहुंच गए। इस बहुचर्चित फोन टैपिंग मामले में केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के ओएसडी लोकेश शर्मा को आरोपी बनाते हुए दिल्ली की कोर्ट में केस दर्ज करवाया था। हालांकि दिल्ली हाईकोर्ट से मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के ओएसडी लोकेश शर्मा को गिरफ्तारी से राहत मिली हुई है।
विधायकों को जाना पड़ा बाड़ाबंदी में
राजस्थान की चुनी हुई कांग्रेस सरकार पर आए सियासी संकट के दौरान मंत्री-विधायकों को बाड़ेबंदी में जाना पड़ा था। उसी दौरान कुछ लोगों की फोन टैपिंग हुई थी और ऑडियो से आवाज का खुलासा होने के बाद मंत्री महेश जोशी की ओर से एसीबी-एसओजी में मामला भी दर्ज हुआ था। फोन टैपिंग के बाद कांग्रेस में गहलोत ग्रुप ने दावा किया था कि पायलट खेमे के कांग्रेसी नेता तत्कालीन विधायक (स्वर्गीय हो चुके) भंवर लाल शर्मा और गजेंद्र सिंह शेखावत के बीच कथित रूप से सरकार को अस्थिर करने का षड्यंत्र रचा जा रहा था।