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Thursday, September 19

दृष्टिकोण: त्यौहार और चुनाव, दूरियां न बढ़े, सद्भाव बना रहे

संजय आचार्य वरुण

अभिनव टाइम्स देखने- सुनने और पढ़ने वाले लगभग एक लाख आत्मीय जनों के परिवार को धनतेरस की बहुत बहुत बधाई और आपके मंगलमय जीवन के लिए मंगलकामनाएं। चुनाव के परवान चढ़ते माहौल के बीच त्यौहार का रंग कई गुना बढ़ जाता है। एक तरफ जहां त्यौहार कटुता को समाप्त कर सद्भाव का विस्तार करते हैं वहीं चुनाव कहीं न कहीं दूरियां पैदा कर देते हैं। हमें कभी भी दूरियों और वैमनस्य का समर्थन नहीं करना है। हमारी विचारधारा हमारे साथ रहे और दूसरे की विचारधारा का अपमान न हो, स्वच्छ राजनीति इसी को कहते हैं।

अक्सर देखा जाता है कि नेताओं से ज्यादा उनके समर्थक भावुक होते हैं। वे अपने प्रिय नेता के लिए जरूरत से ज्यादा जज्बाती हो जाते हैं। राजनीति हमारे मानवीय समाज के कल्याण के लिए होती है। राजनीति से समाज का वातावरण खराब नहीं होना चाहिए। कार्यकर्ताओं और समर्थकों को संयमित और शालीन रखना उनके नेता और पार्टी का कर्तव्य होता है। हमें ये बात याद रखने की जरूरत है कि अमर्यादित राजनीति कभी भी देश और समाज का हित नहीं कर सकती। जिन नेताओं और कार्यकर्ताओं की भाषा ही अभद्र और शालीनता की सीमा का अतिक्रमण करती हुई हो, वह न तो अपनी पार्टी का भला कर सकता है और न ही देश तथा समाज का।

आज की राजनीति बड़े विचित्र मोड़ पर खड़ी दिखाई देती है जहां पर जनता को बताने के लिए नेताओं के पास अपना विजन और अपनी प्लानिंग नहीं होती । वे विपक्षी को कोसने में, उसे अपमानित करने में और व्यक्तिगत टिप्पणियां करने में ही अपनी समस्त ऊर्जा लगाते हैं। नेताओं का यह आचरण भारतीय परम्परा के अनुरूप नहीं है। यह वो राष्ट्र है जहां जवाहरलाल नेहरू युवा अटल बिहारी वाजपेयी से प्रभावित होते हैं और उनके लिए शुभेच्छाओं से भरी प्रधानमंत्री बनने की भविष्यवाणी करते हैं। गोदी मीडिया, पप्पू, भक्त, चमचे और बुलडोजर आदि शब्द भारत की वर्तमान राजनीति का कलंक हैं।

चारों तरफ से इन शर्मनाक शब्दों का भरपूर उपयोग किया जा रहा है। विचार करने की प्रवृति इस देश से खत्म होती जा रही है। आगे बढ़ते हुए हम मन, कर्म और वचन से बहुत पीछे और नीचे होते जा रहे हैं। आज की तुलना में हम उन्नीसवीं और बीसवीं शताब्दी में अधिक सभ्य, शालीन और सुशिक्षित लगते थे। राजनीति चौबीस घण्टे नहीं होनी चाहिए। कांग्रेसी, भाजपाई अथवा किसी भी पार्टी का नेता- कार्यकर्ता और समर्थक होने से पहले हर व्यक्ति एक भारतीय है, यह स्मरण में रखने की आवश्यकता है।

दीपावली उजास का पर्व है, अंधकार पर रोशनी की विजय का संदेश देता है। हृदयों का अंधकार मिटे, सौम्यता, शालीनता, शिक्षा और राष्ट्र समर्पण का उजाला फैले। हर मन में ज्ञान का दीप जले, इस दीपावली पर यह सबसे महत्वपूर्ण कामना है।

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