अभिनव टाइम्स | बीएससी करने के बाद हिन्दी में पीजी करने वाले टीचर को हिन्दी का लेक्चरर बनाने के प्रयासों का अब शिक्षा विभाग में बड़े स्तर पर विरोध शुरू हो गया है। शुक्रवार को बीकानेर में टीचर्स ने विरोध किया। टीचर्स का दावा है कि ग्रेजुएशन और पोस्ट ग्रेजुएशन में समान विषय नहीं रखने वाले लेक्चरर ग्यारहवीं व बारहवीं के स्टूडेंट्स के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं।
दरअसल, ग्रेजुएशन व पोस्ट ग्रेजुएशन के सब्जेक्ट्स के आधार पर लेक्चरर बनाने की परंपरा रही है लेकिन पिछले दिनों राज्य सरकार ने सिर्फ पोस्ट ग्रेजुएट और ग्रेजुएट में समान सब्जेक्ट्स के आधार पर लेक्चरर बनाने का निर्णय कर लिया। इससे बीएससी और बीकॉम के बाद आर्ट्स के विषय में पीजी करने वाले टीचर्स के बजाय एक ही सब्जेक्ट होने पर परमोशन का रास्ता साफ हो गया। ऐसे में अब राज्यभर के आर्ट्स के टीचर्स इस नियम को लागू करने की मांग कर रहे हैं। उनका आरोप है कि कुछ अध्यापक इस नियम में अड़चन डाल रहे हैं। दावा है कि बीएएसी करने वाला टीचर महज दो साल हिन्दी पढ़कर हिन्दी का लेक्चरर कैसे हो सकता है? इससे न सिर्फ आर्ट्स के टीचर्स के परमोशन पर असर पड़ेगा बल्कि पढ़ाई पर भी विपरीत असर पड़ेगा। भाषा सहित अन्य आर्ट्स विषयों को पढ़ाने के लिए ग्रेजुएट में भी विषय होना अनिवार्य है।
राजस्थान वरिष्ठ अध्यापक संघ (कला वर्ग) के प्रदेश अध्यक्ष सुभाष जोशी ने बताया कि इस निर्णय से सरकारी सीनियर सैकंडरी स्कूल्स में पढ़ रहे करीब दस लाख स्टूडेंट्स के भविष्य पर असर पड़ेगा। सरकार को लेक्चरर की नई योग्यता को लागू करना चाहिए।