Welcome to Abhinav Times   Click to listen highlighted text! Welcome to Abhinav Times
Saturday, November 23

चांद पर Chandrayaan-3 का एक हफ्ता पूरा, इसकी खोज बसाएगी इंसानी बस्ती… दुनिया को ये 10 बातें पता चलीं

अभिनव न्यूज, नेटवर्क। Chandrayaan-3 चांद के दक्षिणी ध्रुव इलाके में 23 अगस्त 2023 को लैंडिंग की थी. आज उसने चंद्रमा पर एक हफ्ता बिता लिया है. यानी चांद का आधा दिन उसने पूरा कर लिया है. इस दौरान विक्रम लैंडर (Vikram Lander) और प्रज्ञान रोवर (Pragyan Rover) ने कई शानदार खोज किए. कई नई बातें बताईं. 

इन चीजों से भविष्य में इंसानी बस्ती बसाने में क्या मदद मिलेगी? अभी लैंडर और रोवर दोनों में लगे यंत्र अपना-अपना काम कर रहे हैं. नए-नए डेटा जारी कर रहे हैं. आइए जानते हैं कि सबसे शानदार खोज कौन-कौन सी है. 

ऑक्सीजन मिला… 

प्रज्ञान रोवर ने 29 अगस्त 2023 की रात यह खुलासा किया कि चांद के दक्षिणी ध्रुव के इलाके में ऑक्सीजन (Oxygen) है. यह काम उसमें लगे LIBS पेलोड यानी यंत्र लेजर इंड्यूस्ड ब्रेकडाउन स्पेक्ट्रोस्कोपी ने किया है. इस यंत्र को सिर्फ चांद की सतह पर मौजूद खनिजों और रसायनों की खोज और पुष्टि के लिए भेजा गया है.  

कैसे पता किया? 

लिब्स (LIBS) चांद की सतह पर तीव्र लेजर किरणें फेंक कर उससे निकलने वाले प्लाज्मा का एनालिसिस करता है. ये लेजर किरणें बेहद अधिक तीव्रता के साथ पत्थर या मिट्टी पर गिरती है. इससे वहां पर बेहद गर्म प्लाज्मा पैदा होता है. ठीक वैसा ही जैसा सूरज की तरफ से आता है. प्लाज्मा से निकलने वाली रोशनी यह बताती है कि सतह पर किस तरह के खनिज या रसायनों की मौजूदगी है. 

भविष्य में फायदा…  

ऑक्सीजन मिल गया है. हाइड्रोजन की खोज जारी है. ये दोनों मिलकर पानी बना सकते हैं. यानी चांद पर इंसानों की बस्ती बसाने के लिए इन दोनों की जरुरत पड़ेगी. ये ही चांद पर जीवन स्थापित करेंगे. 

तापमान में बदलाव

विक्रम लैंडर में लगे खास थर्मामीटर ने बताया था कि चांद की सतह के ऊपर और सतह से 10 सेंटीमीटर नीचे यानी करीब 4 इंच नीचे तक का तापमान में बड़ा अंतर है. लैंडर में लगे चास्टे (ChaSTE) पेलोड ने यह काम किया था. चास्टे ने चांद की ऊपरी सतह पर तापमान 50 से 60 डिग्री सेल्सियस के बीच दिखाया था. वहीं चार इंच जमीन के नीचे पारा माइनस 10 डिग्री सेल्सियस पर था.  

इससे क्या फायदा… 

चांद के दक्षिणी ध्रुव इलाके में इंसानी बस्ती कहां बसानी है. कैसे बसानी है ताकि तापमान के बदलाव को इंसानों के लायक रखा जा सके. इसमें मदद मिलेगी. ऐसी जगह ह्यूमन कॉलोनी नहीं बनाई जाएगी जहां पर तापमान भयानक बदलाव करता हो. अगर बनानी हुई तो इससे बचने का उपाय खोजा जाएगा. 

इन रसायनों और खनिजों के मिलने से क्या फायदा होगा… 

अगर इंसान चांद पर रसायनों और खनिजों को मनमाफिक बदलने के यंत्र ले जाए, तो वह बहुत सारी चीजें चांद पर ही बना सकता है. उनका वहीं इंसानी बस्ती बसाने में मदद ले सकता है. आइए जानते हैं कैसे और किस तरह से… 

सल्फर… चांद की सतह पर सल्फर मिलने की पुष्टि भी हुई है. यह के हल्के पीले रंग का रसायन है. जो इलेक्ट्रिसिटी का कमजोर कंडक्टर है. पानी में घुलता नहीं है. ये सोना और प्लैटिनम को छोड़कर सभी धातुओं से रिएक्ट करता है. जिससे सल्फाइड्स बनता है. 

अब वहां इसका क्या इस्तेमाल हो सकता है. सल्फर की मदद से एसिड, फर्टिलाइजर, कार बैटरी, तेल रिफाइनिंग, पानी की सफाई, खनिजों के खनन में इस्तेमाल होता है. यानी सिर्फ यंत्र लेकर जाना है, वहीं पर ये सारी चीजें संभव हो सकती है. 

अल्यूमिनियम… चांद की सतह पर भारी मात्रा में अल्यूमिनियम भी मिला है. यानी इंसानों के पास सैकड़ों प्रकार की चीजें बनाने का सामान मिल गया है चांद पर. इनसे एस्ट्रींजेंट बनता है. अल्यूमिनियम फॉस्फेट की मदद से कांच बनाया जाता है. सिरेमिक, पल्प या पेपर प्रोडक्ट, कॉस्मेटिक्स, पेंट, वार्निश, धातु की प्लेट जैसी चीजें बनाई जाती हैं. 

यह हल्का और मजबूत होता है. इनसे गाड़ियां, बर्तन, खिड़कियां या इंसानी बस्ती की दीवारें, छतें आदि बनाई जा सकती हैं. यानी इनका इस्तेमाल इंसानी बस्ती में बेहतर तरीके से हो सकता है. कॉयल बनाए जा सकते हैं. केन्स बनाई जा सकती हैं. फॉयल बनाया जा सकता है. 

कैल्सियम…  चांद पर इसकी मात्रा भी पर्याप्त है. यानी इनका इस्तेमाल कई तरह के मेडिकल प्रोडक्ट्स में हो सकता है. कैल्सियम कार्बोनेट की मदद से सीमेंट या मोर्टार बनाया जा सकता है. कांच बनाने में मदद ली जा सकती है. टूथपेस्ट में डाला जा सकता है. दवा, खाद्य पदार्थ बनाने, पेपर ब्लीच, इलेक्ट्रिकल इंसुलेटर्स और साबुन बनाने में मदद मिल सकती है. 

लोहा… चांद की सतह पर लोहा मिलने की पुष्टि हुई है. यह ऐसा तत्व है जो पूरी पृथ्वी, हर जीव, हर इंसान में पाया जाता है. यह हमारे खून में भी है और जमीन की मिट्टी में भी. इसका इस्तेमाल तो कहां नहीं किया जाता. दवाओं में. ढांचा बनाने में. यातायात के सामान यानी कारें, जहाज, विमान बनाने में. युद्ध के मैदान में. 

इससे आप बर्तन बनाओ या बम. हर जगह सही रहता है. इमारतें बनाओ या घर के सामान. निर्माण कार्यों में लगाओ या इंसानी शरीर में डालो. अमोनिया प्रोडक्ट बनाएं या फिर चुंबक बनाने में. दुनिया में अल्यूमिनियम के बाद सबसे ज्यादा लोहा ही पाया जााता है. ऐसी ही उम्मीद चांद से भी है. 

क्रोमियम… शरीर के लिए जरूरी. क्योंकि ये कार्बोहाइड्रेट को खा जाता है. मोटापा घटाता है. प्रोटीन को तोड़ने में मदद करता है. डायबिटीज नियंत्रित करता है. कई तरह के एलॉय बनाने में मदद करता है. जैसे- स्टेनलेस स्टील. लेदर प्रोडक्ट की टैनिंग में मदद करता है. मतलब ये ऐसा प्रोडक्ट है जो लोहा और अल्यूमिनियम के साथ मिलकर कई तरह के शानदार उत्पाद बना सकता है. यह इंसानों के काम की चीज है. 

टाइटैनियम… दुनिया का सबसे मजबूत और हल्के वजन का धातु. ये भी चांद पर मिला है. इसका इस्तेमाल एयरक्राफ्ट, हेलिकॉप्टर बनाने में होता है. इसे बुलेटप्रूफ जैकेट और आर्मर प्लेटिंग में इस्तेमाल करते हैं. नौसैनिक जहाजों को बनाने कि लिए इसका उपयोग होता है. यानी एयरोस्पेस, मेडिकल, केमिकल, मिलिट्री और खेल के सामान बनाने में इसका पूरी दुनिया में इस्तेमाल होता है.  

मैन्गेनीज… ये भी चांद पर मिला है. इसका इस्तेमाल औद्योगिक और बायोलॉजिकली होता है. इंसानी शरीर में यह कोशिकाओं को डैमेज होने से बचाता है. ऊर्जा पैदा करने में मदद करता है. हड्डियां मजबूत करता है. इम्यूनिटी बढ़ाता है. कांच बनाने में, पिगमेंट्स और बैटरी बनाने में इस्तेमाल होता है. 

स्टील की डीऑक्सीडाइज करने और अल्यूमिनियम को मजबूत बनाने में मदद करता है. फर्टिलाइजर बनाने, जानवरों का खाना, पानी का ट्रीटमेंट करने वाला रसायन बनाने में मदद करता है. 

सिलिकॉन… चांद पर मिले इस पदार्थ का इस्तेमाल धरती पर कई तरह से किया जाता है. कंस्ट्रक्शन इंडस्ट्री में, सीमेंट और बिल्डिंग मोर्टार बनान में. सिरेमिक बनाने में. बॉडी इम्प्लांट्स बनाने में जैसे ब्रेस्ट इम्प्लांट्स. कॉन्टैक्ट लेंस. एलॉय बनाने में. इलेक्ट्रिकल स्टील बनाने में. ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री के लिए सिलूमिन बनाने के लिए. सेमीकंडक्टर्स आदि. 

कुल मिलाकर कहानी ये है कि चांद पर जितनी भी चीजें मिली हैं या चंद्रयान-3 खोज रहा है. वह इंसानों को चांद पर बसाने के लिए काफी हैं. लेकिन उससे पहले हमें वहां रहने के लिए सबसे जरूरी दो चीजों की जरूरत है. ऑक्सीजन युक्त हवा और पानी. वहां के वायुमंडल में ये पैदा तो नहीं होंगे. हमें बनाना होगा. 

प्रज्ञान रोवर पर दो पेलोड्स हैं, वो क्या करेंगे? 

1. लेजर इंड्यूस्ड ब्रेकडाउन स्पेक्ट्रोस्कोप (Laser Induced Breakdown Spectroscope – LIBS). यह एलिमेंट कंपोजिशन की स्टडी करेगा. जैसे- मैग्नीशियम, अल्यूमिनियम, सिलिकन, पोटैशियम, कैल्सियम, टिन और लोहा. इनकी खोज लैंडिंग साइट के आसपास चांद की सतह पर की जाएगी. 

2. अल्फा पार्टिकल एक्स-रे स्पेक्ट्रोमीटर (Alpha Particle X-Ray Spectrometer – APXS). यह चांद की सतह पर मौजूद केमकल्स यानी रसायनों की मात्रा और गुणवत्ता की स्टडी करेगा. साथ ही खनिजों की खोज करेगा. 

विक्रम लैंडर पर चार पेलोड्स क्या काम करेंगे?

1. रंभा (RAMBHA)… यह चांद की सतह पर सूरज से आने वाले प्लाज्मा कणों के घनत्व, मात्रा और बदलाव की जांच करेगा. 
2. चास्टे (ChaSTE)… यह चांद की सतह की गर्मी यानी तापमान की जांच करेगा. 
3. इल्सा (ILSA)… यह लैंडिंग साइट के आसपास भूकंपीय गतिविधियों की जांच करेगा. 
4. लेजर रेट्रोरिफ्लेक्टर एरे (LRA) … यह चांद के डायनेमिक्स को समझने का प्रयास करेगा. 

Click to listen highlighted text!