अभिनव न्यूज, नेटवर्क। नागौर से भाजपा प्रत्याशी और पूर्व सांसद ज्योति मिर्धा सहित तीन जनों के खिलाफ भूखण्ड के विक्रय विलेख में कूटरचना करने का आरोप लगाकर उदयमंदिर थाने में धोखाधड़ी की एफआइआर दर्ज करवाई गई है। इससे पहले ज्योति मिर्धा की ओर से परिवादी व अन्य के खिलाफ दर्ज धोखाधड़ी के मामले में चौहाबो थाना पुलिस ने एफआर लगाई थी।
पुलिस के अनुसार जयपुर निवासी विजय पूनिया के आम मुख्तियारनामा के आधार पर शास्त्रीनगर सेक्टर बी निवासी अनिल पुत्र भूराराम चौधरी ने कोर्ट में पेश इस्तगासे के आधार पर हरियाणा में गुड़गांव निवासी ज्योति मिर्धा पुत्री रामप्रकाश पत्नी नरेन्द्र गहलोत, जयपुर में सिरसी रोड निवासी हेमश्वेता मिर्धा पुत्री रामप्रकाश पत्नी दीपेन्द्र हुड्डा और प्रेमप्रकाश पुत्र हरिराम मिर्धा के खिलाफ धोखाधड़ी और कूटरचना करने का मामला दर्ज कराया गया है। थानाधिकारी प्रेमदान रतनू जांच कर रहे हैं।
आरोप है कि सूंथला में भानूप्रकाश मिर्धा की खातेदारी जमीन आदर्श प्रगतिशील गृह निर्माण सहकारी समिति को बेचान कर दी गई थी। जिसके भूखण्ड बनाकर बेचान किए गए थे। विजय पूनिया ने समिति से एक भूखण्ड खरीदा था। जेडीए से पट्टा विलेख भी जारी किया गया था। आरोप है कि वीणादेवी, ज्योति, हेमश्वेता व प्रेमप्रकाश ने विक्रय विलेख में कूटरचना की और सम्पूर्ण बेचान जमीन के आधे हिस्से को ही बेचान बता दिया था।मई 1988/अक्टूबर 1989 के इस विक्रय विलेख पर एक मोबाइल नम्बर अंकित थे। जबकि उस समय मोबाइल प्रचजन में ही नहीं आए थे।
ज्योति मिर्धा व अन्य ने वर्ष 2021 में पुलिस स्टेशन चौपासनी हाउसिंग बोर्ड में इस्तगासे के आधार पर उषा पूनिया, पुत्रियां हिमानी, शिवानी, अनिल, नंदा, कमला, महेश, कमलेश, रूखसाना के खिलाफ धोखाधड़ी का मामला दर्ज कराया था। 5 अक्टूबर 2021 को हाईकोर्ट ने मामले को खारिज कर दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने अपील को निस्तारित कर दिया था। आरोप है कि ज्योति, हेमश्वेता व प्रेम प्रकाश ने विक्रय विलेख में कूटरचना की और राजस्व रिकॉर्ड में वीणा देवी का नाम दर्ज करवाया था।वीणादेवी की मृत्यु के बाद राजसव रिकॉर्ड में खुद को खातेदार दर्ज करवा दिया था।