अभिनव टाइम्स । बाड़मेर लंपी स्किन डिजीज लगातार गोवंश पर कहर बरपा रही है। बीते दो माह में बाड़मेर मे हजारों की तादाद में गोवंश तड़प-तड़प कर दम तोड़ चुकी है। जिले में 10 फीसदी गोवंश इस मौत से जूझ रही है। लंपी स्किन बीमारी के वायरस पाकिस्तान के रास्ते गांवों में दस्तक दी है। सबसे ज्यादा संक्रमित गोवंश भी बॉर्डर के इलाकों में है। बाड़मेर जिले में 9.50 लाख गोवंश है। वहीं मौत का आंकड़ा दो हजार के पास पहुंच चुका है। हकीकत में यह आंकडा इससे कई ज्यादा है।
दरअसल, जून माह में लंपी स्कीन डिजीज ने दस्तक ने दी थी। विभाग ने सिणधरी गोशाला से सैंपल लेकर जांच करवाई थी। रिपोर्ट में लंपी स्कीन पॉजिटिव आया था। तब से अगर विभाग चेत जाता तो शायद यह बीमारी इतनी भयावह रूप नहीं लेती। प्रशासन की लापरवाही के चलते जुलाई में लंपी स्कीन बीमारी ने जिलेभर में फैल गई। गोवंश के मरने का सिलसिला शुरू हो गया। विभाग ने महामारी को गंभीरता से लिया होता तो समय रहते गोवंश को अकाल मौत से बचाया जा सकता था।
प्रदेश में सबसे ज्यादा मौत
प्रदेश में सर्वाधिक गोवंश की मौत बाड़मेर जिले में हुई है। पशुपालन विभाग ने दो दिन पहले 1813 पशुओं की मौत का आंकाड़ा जारी किया था लेकिन 5 जुलाई को बदलकर 1458 गोवंश का मौत किया है। अब यह आंकड़ा 2 हजार के पास पहुंच चुका है। जिले के लोगों जनप्रतिनिधियों व स्थानीय लोगों से पड़ताल करने में मौतों का आंकड़ा 3 हजार से ज्यादा सामने आ रहा है। बाड़मेर जिले में लंपी स्किन बीमारी गोवंश पर जानलेवा बन चुकी है। मौत का आंकड़ा लगातार बढ़ रहा है। ऐसे में पशुपालकों की चिंता बढ़ गई है। प्रशासन दावा कर रहा है कि स्थिति नियंत्रण में है। सबसे सर्वाधिक मौत बायतु व शिव में हुई है।
दो माह में लिए 5 सैंपल, केंद्र की टीम की रिपोर्ट नहीं आई
गोवंश में तेजी के साथ फैल रहे लंपी स्किन वायरस को लेकर पशुपालन विभाग ने सतर्कता नहीं दिखाई। 1 जून को पांच बीमार गायों के सैंपल लेकर टीम ने जांच के लिए एनआरसीई हिसार भेजे। इसकी रिपोर्ट पॉजिटिव आई। यानी जून में लंपी स्किन की पुष्टि हो गई फिर भी विभाग ने गंभीरता से नहीं लिया। इसके बाद 28 जुलाई को केंद्र से आईवीआरई टीम बाड़मेर पहुंची। टीम ने गुरु कृपा गौशाला सारणा व जानपालिया में बीमार गायों के सैंपल लिए, लेकिन अभी तक रिपोर्ट ही नहीं भेजी।
नौ लाख गोवंश, सर्वे सिर्फ सवा लाख का
जिले में करीब नौ लाख गोवंश है। विभाग अब तक सवा लाख गायों का सर्वे कर चुका है। यानी अस्सी फीसदी गोवंश का सर्वे नहीं हुआ है। इसकी वजह है विभाग के पास मैन पॉवर के साथ संसाधन की कमी। हालात यह है कि टीम के पास फील्ड में जाने के लिए गाड़ी तक नहीं है। बीडीओ व सरपंचों से गाड़ी का जुगाड़ करना पड़ रहा है। इतना ही नहीं सर्वे कर इतिश्री की जा रही है। वैक्सीनेशन नहीं होने के कारण संक्रमण की रफ्तार लगातार बढ़ रही है।
दफनाने की बजाय खुले में डाल रहे पशुओं के शव
लंपी स्किन से मर रहे गायों के शवों को दफनाया नहीं जा रहा है। हालांकि कई जगहों पर ग्रामीण व सरपंच मृत पशुओं को दफना रहे हैं। बाड़मेर शहर में सोन नाडी के पास पहाड़ों में मृत पशुओं के ढेर लगे हैं। पिछले दस दिनों से खुले में मृत पशुओं के शव डाले जा रहे हैं। कुत्ते दिन भर कंकालों को नोंच रहे हैं। संक्रमण फैलने की आशंका के बावजूद नगरपरिषद व पशुपालन विभाग ध्यान नहीं दे रहा है। कमोबेश ऐसी ही स्थिति ग्रामीण क्षेत्रों की है।
भामाशाह और जनप्रतिनिधि बने मददगार
जिले में महामारी का रूप ले चुकी लंपी स्किन डिजीज से गोवंश की अकाल मौतों के बाद भामाशाह व जनप्रतिनिधि मददगार बन रहे हैं। गो सेवा आयोग के अध्यक्ष मेवाराम जैन, पूर्व मंत्री व बायतु विधायक हरीश चौधरी, शिव विधायक अमीन खान, पचपदरा विधायक मदन प्रजापत, चौहटन विधायक पदमाराम मेघवाल ने विधायक कोष से राशि उपलब्ध करवाने के साथ क्षेत्र के भामाशाहों व सरपंचों को मदद के लिए प्रेरित किया है। इतना ही नहीं कई सरपंच व जनप्रतिनिधि अपने स्तर पर सेवाएं उपलब्ध करवा रहे हैं।