राज्य के दो सौ से ज्यादा महात्मा गांधी स्कूल्स में एडमिशन का प्रोसेस शुक्रवार को पूरा हो गया। इस दौरान कुछ क्लासेज में तो उन स्टूडेंट्स का ही नंबर नहीं आया, जो पहले से उस स्कूल में पढ़ रहे हैं। वहीं कुछ क्लासेज में लॉटरी से नए स्टूडेंट्स को भी एडमिशन मिल गया है।
दरअसल, हिन्दी माध्यम के स्टूडेंट्स को ऑप्शन दिया गया कि वो चाहें तो उसी स्कूल में शुरू हो रहे अंग्रेजी माध्यम में एडमिशन लें या फिर निकटवर्ती हिन्दी माध्यम स्कूल में जाएं। बड़ी संख्या में ऐसे स्कूल्स भी थे, जहां पहले से हिन्दी माध्यम के स्टूडेंट्स आवंटित सीट्स से ज्यादा थे। बीकानेर के मुक्ता प्रसाद नगर में स्थित सरकारी स्कूल में ऐसा ही हुआ। वहां आठवीं क्लास में 35 सीट मिली लेकिन उसी स्कूल के 45 स्टूडेंट्स ने अंग्रेजी माध्यम में एडमिशन मांग लिया। ऐसे में नए एडमिशन तो दूर स्कूल में पहले से पढ़ रहे दस स्टूडेंट्स भी वेटिंग लिस्ट में आ गए। स्कूल प्रिंसिपल जुगल किशोर हर्ष ने बताया कि हर क्लास के लिए लॉटरी निकाली गई है। जो स्टूडेंट्स पहले से पढ़ रहे थे, वहां भी लॉटरी निकाली गई। ज्यादा स्टूडेंट्स होने के कारण नए बैच की स्वीकृति मांगी जाएगी, ताकि ऑप्शन देने वाले सभी स्टूडेंट्स को एडमिशन मिल जाएं।
पवनपुरी में हिन्दी से अंग्रेजी माध्यम में तब्दील सरकारी महात्मा गांधी अंग्रेजी माध्यम स्कूल में आठ क्लासेज के लिए लॉटरी होनी थी लेकिन शुक्रवार को यहां चार क्लास की ही लॉटरी निकली। दरअसल, चार क्लासेज में उतने ही आवेदन थे, जितनी सीट्स पहले से उपलब्ध थी। पवनपुरी स्कूल में 178 सीट्स थी। लॉटरी में इन सभी सीट्स पर एडमिशन हो गया है। वहीं एमएम स्कूल में 524, मुक्ता प्रसाद स्कूल में 255, भट्टड़ स्कूल में 202, सुजानदेसर में 123, सर्वोदय बस्ती में 317 स्टूडेंट्स के लिए सीट्स है। इनमें अधिकांश स्कूलों में कुछ क्लासेज ऐसी रही है, जहां सीट्स से कम आवेदन थे। ऐसे में सभी आवेदकों को एडमिशन दे दिया गया।
पहले से कम आवेदन
वैसे महात्मा गांधी स्कूल्स में जुलाई से पहले एडमिशन को लेकर जो जोश था, वो शुक्रवार को देखने को नहीं मिला। बीकानेर शहर के कुछ स्कूल्स में उतने ही आवेदन आए, जितनी सीट्स थी, ऐसे में लॉटरी निकालने की जरूरत ही नहीं पड़ी। बीकानेर के स्कूल्स में 1785 सीट्स के लिए दो हजार 47 स्टूडेंट्स के लिए आवेदन किया गया। वहीं जुलाई से पहले हुई भर्ती में हर स्कूल में आवंटित सीट से दो गुना फॉर्म थे।