15 जून से शुरू होगा आषाढ़ महीना
अभी ज्येष्ठ महीना खत्म होने में छ: दिन बचे हैं। इन दिनों में तीन महत्वपूर्ण पर्व आएंगे। जिनमें 10 तारीख को निर्जला एकादशी, 11 को त्रिविक्रम द्वादशी और 14 जून को ज्येष्ठ पूर्णिमा रहेगी। इन तीनों पर्वों में भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। साथ ही तीर्थ स्नान और दान करने की परंपरा भी ग्रंथों में बताई गई है। ज्येष्ठ मास में किए गए तीर्थ स्नान से जाने अनजाने में हुए पाप खत्म हो जाते हैं। साथ ही जरुरतमंद लोगों को जल दान करने से कई गुना पुण्य फल मिलता है।
निर्जला एकादशी (10 जून): ज्येष्ठ महीने के शुक्ल पक्ष की एकादशी को निर्जला एकादशी कहा जाता है। इस तिथि पर भगवान विष्णु के लिए व्रत किया जाता है। ज्येष्ठ महीने के दौरान इस व्रत को करने से हर तरह के पाप खत्म होते हैं। इस दिन जल दान करने से कई यज्ञों के फल जितना पुण्य मिलता है। विद्वानों का कहना है कि इस दिन व्रत और पूजा से मोक्ष मिलता है।
त्रिविक्रम द्वादशी (11 जून): त्रिविक्रम द्वादशी पर्व ज्येष्ठ महीने के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि पर होता है। ये व्रत भगवान विष्णु के निमित्त किया जाता है। इस तिथि पर मथुरा में श्रीकृष्ण पूजा और यमुना नदी में स्नान करने का विधान ग्रंथों में बताया है। इससे गोमेध यज्ञ का पुण्य मिलता है। इस दिन भगवान के वामन या त्रिविक्रम रूप की पूजा करने के साथ ही पानी का मटका और चीनी दान करने की भी परंपरा है। साथ ही शिव पुराण के मुताबिक तिल दान करने से उम्र बढ़ती है।
ज्येष्ठ पूर्णिमा (14 जून): ज्येष्ठ महीने के आखिरी दिन जब चंद्रमा ज्येष्ठा नक्षत्र में सूर्य के सामने वृश्चिक राशि में होता है तब ये पर्व मनाया जाता है। इस तिथि पर तीर्थ-स्नान और दान करने का महत्व ग्रंथों में बताया गया है। ये दिन भगवान की पूजा के साथ ही ऋषियों और पितरों को खुश करने के लिए भी खास माना जाता है। इस दिन किए गए तीर्थ-स्नान और तिल के दान से अश्वमेध यज्ञ का फल मिलता है।