बिग बी को दिया था पहला फिल्मी ब्रेक
अभिनव टाइम्स | फिल्म निर्देशक, फिल्म लेखक, कहानीकार, पत्रकार और भी ना जाने कितनी प्रतिभाओं के धनी ख्वाजा अहमद अब्बास की आज पुण्यतिथि है। अहमद अब्बास 4 राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार से नवाजे जा चुके हैं। उनकी लिखी हुई फिल्म नीचा नगर कान्स में बेस्ट फिल्म जीतकर आने वाली पहली इंडियन फिल्म थी। उन्होंने करीब 40 फिल्मों में काम किया है।
उन्हें राज कपूर के लिए बेस्ट फिल्में लिखने के लिए भी जाना जाता है। उनका काॅलम द लास्ट पेज भारतीय पत्रकारिता के इतिहास में सबसे लंबे समय तक चलने वाले अखबारों में से एक है। साल 1969 में उन्हें भारत सरकार द्वारा पद्म श्री से सम्मानित किया गया था।
जन्म मिर्जा गालिब के छात्र अल्ताफ हुसैन के घर में हुआ था
ख्वाजा अहमद अब्बास का जन्म 7 जून,1914 को अमृतसर में मिर्जा गालिब के छात्र अल्ताफ हुसैन के घर में हुआ था। उनके पिता का नाम गुलाम-उस-सिबतैन और मां का नाम मसरूर खातून था। साल 1935 में उन्होंने अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएशन की पढ़ाई पूरी की थी। विश्वविद्यालय छोड़ने के बाद, अब्बास ने नई दिल्ली स्थित एक समाचार पत्र, नेशनल कॉल में पत्रकार के रूप में अपना करियर शुरू किया।
द लास्ट पेज कई दशकों तक छपता रहा
उनकी लेखनी कॉलेज की एक छोटी सी क्रांति से जन्मी थी। अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी की मैगजीन में जब उनकी कहानियों को छापने से रोक दिया गया था, तो उन्होंने खुद का अखबार अलीगढ़ ओपिनियन निकाला। इसके बाद उन्होंने 1935 में बॉम्बे क्रोनिकल (Bombay Chronicle) जॉइन किया। यहां वो बतौर फिल्म क्रिटिक काम किया करते थे।
अहमद अब्बास की दमदार लेखनी के कारण उनका अखबार में छपने वाला काॅलम द लास्ट पेज बहुत ही जल्दी अखबार के पहले पेज पर छपने लगा। उनके लेखनी में इतना दम था कि बॉम्बे क्रोनिकल के बंद हो जाने के बाद भी BLITZ में द लास्ट पेज कई दशकों तक छपता रहा।
अहमद अब्बास ने बाम्बे टॉकीज के लिए अपनी पहली फिल्म नया संसार लिखी
1936 से उन्होंने फिल्मी दुनिया में कदम रखा था। अहमद अब्बास ने बाम्बे टॉकीज के लिए अपनी पहली फिल्म नया संसार लिखी, जो कि बहुत पसंद की गई। इसके बाद उन्होंने बहुत सारी फिल्मी कहानियां लिखीं। साल 1941 से लेकर 1987 तक के कैलेंडर में ऐसा कोई साल नहीं था जब उनकी कोई फिल्म पर्दे पर ना हो।
फिल्मी लेखन के इस शानदार सफर में भी एक जर्नलिस्ट उनकी कलम में मौजूद रहा, जिनके लिखे फिल्मी किरदार समाज को आईना दिखाते थे। उन्होंने जागते रहो, आवारा, श्री 420, मेरा नाम जोकर, बॉबी और मेंहदी जैसी फिल्मों के लिए पटकथाएं लिखी हैं। ख्वाजा अहमद अब्बास की लिखी हुई फिल्म नीचा नगर कान्स में बेस्ट फिल्म जीतकर आने वाली पहली इंडियन फिल्म थी।
बिग बी को दिया था पहला फिल्मी ब्रेक
1945 में उन्होंने फिल्म धरती के लाल से निर्देशन में डेब्यू किया। 1951 में ख्वाजा अहमद अब्बास ने खुद की प्रोडक्शन कंपनी नया संसार की शुरुआत की थी। इस प्रोडक्शन कंपनी के बैनर तले उन्होंने अनहोनी, मुन्ना और राही जैसी फिल्मों का निमार्ण किया है। फिल्म सात हिंदुस्तानी भी इसी प्रोडक्शन कंपनी के बैनर तले बनी थी। इस फिल्म के जरिए ही अभिताभ बच्चन ने फिल्मों में डेब्यू किया था।
70 साल की जिंदगी में लगभग अंग्रेजी, हिंदी और उर्दू में 70 किताबें भी लिखीं
अहमद अब्बास ने 70 साल की जिंदगी में लगभग अंग्रेजी, हिंदी और उर्दू में 70 किताबें भी लिखी हैं। उनकी ऑटोबायोग्राफी, आई एम नॉट एन आइलैंड: एन एक्सपेरिमेंट इन ऑटोबायोग्राफी, 1977 में और फिर 2010 में प्रकाशित हुई थी।