अभिनव टाइम्स । केशवी नाम से पुकारते ही दौड़ी चली आने वाली गाय कुछ समय पहले लंपी से संक्रमित हो गई थी। जिसके बाद उसे गौशाला में उपचार और देखभाल के छोड़ा गया। स्वस्थ होने के बाद सोमवार रात को गाय को वापस नोखा मोहल्ले में लाया गया। गाय के आने पर मोहल्ले में एक उत्सव का माहौल हो गया। गाय को माला पहनाकर आरती उतारी गई। लोगों ने मिठाई खिलाकर मुंह मीठा करवाया और महिलाओं ने मंगल गीत गाए। मामला बीकानेर के नोखा का है। केशवी कन्हैयालाल करवा के घर के आसपास निराश्रित घूमती थी।
गाय की देखभाल में लगा था परिवार
राधे करवा ने बताया कि गाय मोहल्ले में ही रहती थी। संक्रमण की आशंका के चलते घर ले आए थे। जिसे सुबह 5 बजे उठकर सबसे पहले गाय को चारा देते थे, उसके बाद हल्दी और दलिया से बनाई रोटी खिलाते थे।
संक्रमित होने पर गौशाला भेजा था
केशवी गाय पर लंपी संक्रमण का असर दिखने लगा था। संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए फिटकरी से नहलाते थे, मच्छर मक्खियां नहीं आए उसके लिए स्प्रे भी करते थे। इसके अलावा नीम के पत्तों का धुंआ देते थे, इतना सब कुछ करने के बाद भी गाय लंपी से ज्यादा संक्रमित हो गई। जिस पशु चिकित्सकों की देखरेख में गंगा गौशाला भेजा था।
510 गाये हो चुकी पूरी तरह स्वस्थ
श्री गंगा गौशाला में स्थित लंपी सेंटर में अब तक 1050 लम्पी पीड़ित गौवंश आ चुके हैं। जिसमें से 369 गौवंश की निरंतर की सेवा के बावजूद मौत हो गई। 510 गाये लंपी संक्रमण को हराकर बिल्कुल स्वस्थ हो चुकी है। 42 गाय गौ सेवक वापास अपने घर पर ले गए। जिसमें 90 गाय जीवन और मौत का संघर्ष कर रही हैं।
बीमार गायों के लिए हेल्पलाइन नंबर
सतीश कुमार झंवर ने बताया कि कोई भी व्यक्ति हेल्पलाइन 9414008370 पर फोन करके बीमार गाय की जानकारी देते हैं गौशाला की एम्बुलेंस गाय को तुरंत रेस्क्यु करती है। राधेश्याम करवा, दामोदर भार्गव के नेतृत्व में सेवा कार्य निरंतर जारी है। चिकित्सा की जिम्मेदारी डॉ. खींवसिंह के नेतृत्व में चल रही है।
स्वस्थ होने के बाद 150 गाये शिफ्ट
गोपाल तापड़िया, दिलीप बैद ने बताया कि अब तक 150 गाये स्वस्थ होने पर नोखागांव के खेत में शिफ्ट कर दी गई है। अब उन गौवंश की जिम्मेदारी श्री गंगा गौशाला की होगी। नोखागांव परिसर में नये चारागृह, टयबवैल,ठाण, मजदूरों की व्यवस्था की जा रही है। गौशाला अध्यक्ष निर्मल भूरा ने सभी लोागों से तप मन धन से गौमाता को सहयोग की अपील की। श्री गंगा गौशाला बुरे वक्त में अपने कदम पीछे नहीं रखेगी। गौशाला के दरवाजा हमेशा गौवंश के लिए खुले रहेगें। कार्यलय संबंधी सभी काम ओमप्रकाश तिवाड़ी की देखरेख में चल रहे है।
गौशाला में ऐसे हो रहा इलाज
आयुर्वेद्धिक पाउडर, घाव के लिए बोरिक पाऊडर, जिंक ऑक्साईड, डीसीआर इंजेक्शन का पाउडर बनाकर घाव पर लगाया जा रहा है। घाव धोने के लिए पीपी काम में लिया जा रहा है। गौवंश को खाने में पका हुआ गवार, चापड़, मूंग चुरी दी जा रही है। फिलहाल यहां घाव की गाये अधिक आ रही है।