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Friday, September 20

जोधपुर: JNVU का चुनावी रण, ABVP-NSUI के ये चेहरे मैदान में, हनुमान बेनीवाल और रविंद्र भाटी के दांव पर सबकी नजरें

अभिनव न्यूज-

JNVU Jodhpur election: मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने ट्वीट कर छात्रसंघ चुनावों का ऐलान किया. तो जोधपुर के जय नारायण व्यास विश्वविद्यालय में भी छात्रसंघ के रण का आगाज़ हो गया. एबीवीपी और एनएसयूआई से ऐसे कई दावेदार है. जिन्हौने अपनी लड़ाई को और तेज कर दिया है.

3 साल अध्यक्ष रहे रविंद्र सिंह भाटी

कोरोना की वजह से साल 2020 और 2021 में छात्रसंघ चुनाव नहीं हुए. निवर्तमान छात्रसंघ अध्यक्ष रविंद्र सिंह भाटी ने बतौर अध्यक्ष तीन साल तक यूनिवर्सिटी के छात्रसंघ की कमान संभाली. अब छात्रसंघ चुनावों का ऐलान हुआ है तो JNVU में भी ABVP और NUSI में  टिकट के दावेदारों ने अपनी दौड़ तेज कर दी है.

मेह सूं पेला बधाउड़ा दिखे

मेह सूं पेला जे बधाउड़ा उड़ता दिखे. तो आ भली बात हे. बधाउड़ा एक प्रकार की डिड्डी होती है. जिसे राजस्थान में बारिश के संदेशवाहक के तौर पर माना जाता है. बधाउड़ा नाम के मुताबिक ये माना जाता है कि वो बधाई लेकर आए है. ठीक वैसे ही जब यूनिवर्सिटी परिसर की दीवारें कुछ चेहरों के पोस्टरों से अटी हो. बिन मांगे लोगों की मदद करते लोग दिखे. तो समझ लेना चाहिए कि ये छात्रसंघ चुनावों के संदेशवाहक है. जो खुद को जनसेवक के रुप में पेश कर रहे है. 

ABVP के 3 प्रमुख दावेदार

छात्रसंघ चुनाव में अध्यक्ष का पद सबसे अहम माना जाता है. वैसे कई लोग दावेदारी करते है. लेकिन प्रमुख नामों की बात करें तो एबीवीपी की तरफ से मोतीसिंह जोधा की दावेदारी काफी मजबूत मानी जा रही है. मोतीसिंह जैसलमेर जिले के फलसूंड निवासी है. संघ की पृष्ठभूमि से जुड़े है. संघ का प्रथम वर्ष भी कर चुके है. हालांकि किसान परिवार से आने वाले मोती सिंह की आर्थिक स्थिति उतनी मजबूत नहीं है. जो उनको जेएनवीयू के चुनावी रण में जीत दिला सके.

इसके अलावा लोकेंद्रसिंह भाटी भी दावेदारी कर रहे है. लोकेंद्र सिंह बाड़मेर के गोरड़िया गांव के रहने वाले है. उनके भाई गजेंद्र सिंह बाड़मेर महाविद्यालय के अध्यक्ष भी रह चुके है. वैसे तो वो वर्तमान समय में काफी सक्रिय दिख रहे है. लेकिन इसी साल फील्ड में नजर आए है. ऐसे में क्या वो युवाओं का भरोसा जीतने में कामयाब होंगे. इस पर संशय है.

एबीवीपी की तरफ से दो राजपूत चेहरों के अलावा एक जाट चेहरा भी सक्रिय है. राजवीर सिंह बांता काफी सक्रिय है. पाली के जैतारण इलाके से आने वाले राजवीर पिछले काफी समय से यूनिवर्सिटी में सक्रिय भी है. संगठन की ओर से होने वाले धरने प्रदर्शनों में भी वो एक सक्रिय चेहरे के तौर पर अक्सर नजर आते थे.

अगर एनएसयूआई किसी राजपूत चेहरे पर इस बार दांव खेलती है. तो एबीवीपी की तरफ से राजवीर जाट चेहरे के तौर पर बेहतर दांव हो सकता है.

NSUI से प्रमुख दावेदार

एनएसयूआई की तरफ से इस बार अरविंद सिंह अवाय और दीपक जाखड़ सबसे सक्रिय नजर आ रहे है. मृदु भाषी होने के साथ साथ बेहतर वक्ता के तौर पर अपनी पहचान रखने वाले अरविंद सिंह जैसलमेर के अवाय गांव के निवासी है. इलाके में सेठजी के नाम से जाने जाने वाले अरविंद सिंह भाटी के पिता गांव के सरपंच भी रह चुके है. अरविंद सिंह खुद ने बीते जिला परिषद चुनावों में भी चुनाव लड़ा था. लेकिन मात्र कुछ वोटों से चुनाव हार गए थे.

बताया जा रहा है कि मारवाड़ में बदले सियासी समीकरणों के बीच आगामी विधानसभा चुनावों को देखते हुए एनएसयूआई इस बार जेएनवीयू में राजपूत चेहरे पर दांव खेल सकती है. अगर ऐसा होता है तो अरविंद सिंह मजबूत दावेदार हो सकते है. 

इसके अलावा दीपक जाखड़ भी काफी सक्रिय है. जोधपुर शहर की मुख्य सड़कें उनके होर्डिंग्स से अटी पड़ी है. जाहिर सी बात है अध्यक्ष पद की दावेदारी के लिए ही प्रचार प्रसार में इतना पैसा खर्च किया जा रहा है. दीपक जाखड़ मारवाड़ के कद्दावर जाट नेता बद्रीराम जाखड़ के पौते है. बद्रीराम जाखड़ आर्थिक और सियासी दोनों रुप से मजबूत है. शायद बद्रीराम जाखड़ की वजह से ही यूनिवर्सिटी के अधिकतर जाट नेता इन दिनों दीपक जाखड़ के साथ दिखाई देते है.

इन दो प्रमुख चेहरों के अलावा हरेंद्र चौधरी भी एनएसयूआई की तरफ से अध्यक्ष पद के दावेदार के तौर पर खुद को पेश कर रहे है. 

क्या हनुमान बेनीवाल की होगी एंट्री

अगले साल राजस्थान में विधानसभा के चुनाव है. हनुमान बेनीवाल की सबसे ज्यादा नजर बाड़मेर, जोधपुर और नागौर जिलों पर है. ऐसे में मारवाड़ में युवाओं के सबसे बड़े सियासी संग्राम और सबसे बड़े विश्वविद्यालय के छात्रसंघ चुनावों में बेनीवाल एंट्री मार सकते है. सूत्रों के मुताबिक हनुमान बेनीवाल 2023 के विधानसभा चुनावों को देखते हुए छात्रसंघ चुनावों में  बड़ा दांव खेल सकते है. बेनीवाल अगर एंट्री करते है. तो जाट वोटबैंक का ध्रुवीकरण हो सकता है.

रविंद्र सिंह भाटी के रुख पर नजरें

आपको बता दें कि निवर्तमान छात्रसंघ अध्यक्ष रविंद्र सिंह भाटी निर्दलीय चुनाव जीते है. एबीवीपी पृष्ठभूमि से ताल्लुक रखने वाले रविंद्र सिंह भाटी पिछले तीन साल से अध्यक्ष पद पर है. अध्यक्ष पद पर रहते हुए कई बार छात्रों और विश्वविद्यालय कर्मचारियों के मुद्दों पर शासन प्रशासन से संघर्ष करते नजर आए. विश्वविद्यालय प्रशासन के खिलाफ भी कई बड़े धरने प्रदर्शन किए. रिटायर कर्मचारियों के मुद्दे पर जेल की सजा भी काटकर आए. लिहाजा इस बार के चुनावों में भी रविंद्र सिंह भाटी का समर्थन काफी अहम होगा. वो किसे समर्थन देते है. इस पर सबकी नजर रहेगी.

इसके अलावा एबीवीपी की ओर से रविंद्र सिंह राणावत, कुणालसिंह अड़बाला का समर्थन भी महत्व रखता है. दो गुटों में बंटी एबीवीपी में दूसरे गुट के नेता और पूर्व छात्रसंघ अध्यक्ष आनंद सिंह राठौड़ की भूमिका भी छात्रसंघ चुनावों में प्रभाव डालेगी.

एनएसयूआई भी आगामी विधानसभा चुनावों  को देखते हुए पूरा जोर लगाएगी. एनएसयूआई के प्रदेश अध्यक्ष का गृह जिला भी जोधपुर है. प्रदेश में कांग्रेस सरकार है. जोधपुर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का गृह जिला भी है. ऐसे में इस बार के चुनाव एनएसयूआई के लिए भी काफी अहम है.

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