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Friday, September 20

5 वर्षों में भारत ने जीत लिया आसमान, ISRO ने अंतरिक्ष में लिख दिया हिंदुस्तान…हिंदुस्तान

अभिनव न्यूज
पिछले 5 वर्षों के इतिहास में अंतरिक्ष के क्षेत्र में भारत ने तेज गति से प्रगति की है। वर्ष 2017 से 2022 के दौरान हिंदुस्तान ने अंतरिक्ष में बड़ी छलांग लगाई है। इस दौरान भारत ने 19 देशों के 177 विदेशी उपग्रहों को लांच करने का गौरव हासिल किया है।

इससे अंतरिक्ष में भारत का डंका बज रहा है। इंडियन स्पेस एंड रिसर्च आर्गेनाइजेशन (इसरो) ने अंतरिक्ष में देश के नए युग की धमाकेदार शुरुआत की है। इसरो की इस कौशल क्षमता को पूरी दुनिया सलाम ठोक रही है। अंतरिक्ष में लहराते भारत के इस परचम ने पूरा आसमान जीत लिया है, जहां सिर्फ हिंदुस्तान…हिंदुस्तान और हिंदुस्तान ही नजर आ रहा है।

इसरो के अंतरिक्ष निकाय ने अपने सभी पोलर सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल (पीएसएलवी) मिशनों से विदेशी उपग्रहों को लॉन्च करके लगभग 9.4 करोड़ डॉलर और 46 मिलियन यूरो विदेशी मुद्रा की कमई की है। इससे देश की अर्थव्यवस्था को मजबूत करने में भी सहायता मिली है। इसके लिए भारत सरकार ने वर्ष 2017 से 22 के लिए लगभग 55 हजार करोड़ रुपये का बजट तय किया था। भारत सरकार ने अंतरिक्ष क्षेत्र में निजी सेक्टर को सपोर्ट करने के लिए इन-स्पेस डिजिटल प्लेटफॉर्म को प्रोत्साहित किया। लिहाजा अब यह साइट 111 स्पेस स्टार्टअप में शामिल हो गई है।

इन देशों के उपग्रहों को किया लांच

 इसरो ने पिछले पांच वर्षों में 19 देशों के 177 विदेशी उपग्रहों को सफलतापूर्वक लॉन्च किया है। इन देशों में फ्रांस, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया, ब्राजील, कोलंबिया, फिनलैंड, इजरायल, इटली, जापान, लिथुआनिया, लक्ज़मबर्ग, मलेशिया, नीदरलैंड, कोरिया गणराज्य, सिंगापुर, स्पेन, स्विट्जरलैंड, यूनाइटेड किंगडम और संयुक्त राज्य अमेरिका जैसे देश शामिल हैं। इसरो के अनुसार उसने पीएसएलवी सैटेलाइट मिशन से करीब 1850 करोड़ रुपये की कमाई की है।

साथ ही इसरो ने वाणिज्यिक समझौतों और पीएसएलवी के तहत जियो सिंक्रोनस सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल मार्क-III के रूप में डब किए गए लॉन्च व्हीकल मार्क-III के लॉन्च को भी सफलतापूर्वक पूरा किया है, जिससे लगभग ₹1,100 करोड़ की कमाई हुई है। वहीं अपने LVM3 मिशन में अंतरिक्ष संगठन ने एक ही मिशन में 36 वन वेब उपग्रह भी लॉन्च किए। इसके अलावा पहली बार एक भारतीय कंपनी, स्काईरूट एयरोस्पेस, ने “प्रारंभ” नामक एक मिशन के हिस्से के रूप में इस साल 18 नवंबर को निजी तौर पर विकसित रॉकेट विक्रम एस-545 किलोग्राम को अंतरिक्ष में भेजा।

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