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Thursday, December 5

7 लाख की हार्ट सर्जरी फ्री में हुई:10 डॉक्टर्स सहित 50 की टीम ने 8 घंटे की सर्जरी कर बच्चे की जान बचाई

उदयपुर | में 15 साल के हार्ट के मरीज की एक दुर्लभ हार्ट सर्जरी की गई। 15 साल के इस मरीज का हार्ट काफी कमजोर था। ऐसे में उदयपुर के गीतांजलि मेडिकल कॉलेज की टीम ने एक्मो मशीन और जर्मन टेक्नोलॉजी का प्रयोग करते हुए 10 डॉक्टरों समेत 50 की टीम ने इस दुर्लभ सर्जरी को अंजाम दिया। इस सर्जरी की खास बात यह रही कि मरीज को हार्ट अटैक आने और उसकी पोस्ट कार्डियक सर्जरी करने के बाद उसका एक्मो मशीन से ईलाज किया गया। यह राजस्थान का पहला मामला है। साथ ही खास ये रहा की 7 लाख की ये सर्जरी चिरंजीवी योजना के तहत फ्री में की गई।

दरअसल, उदयपुर के फलासिया के रहने वाले 15 साल का दिनेश रूमेटिक हार्ट डिसीज से ग्रसित था। 15 मई तो जब वे अस्पताल पहुंचे तो उनके अंदर हार्ट फेल के पूरे लक्षण थे। दिनेश को चलने-फिरने में ही सांस फूलने, पांव में सूजन, शरीर में कमज़ोरी, दिल की धड़कन तेज़ होने जैसे लक्षण थे। इसके चलते दिनेश कोई भी भारी काम नहीं कर पाता था।

ऑपरेशन से पहले हुआ र्काडियक अरेस्ट

अस्पताल ने जब रोगी की पूरी जांच की तो सामने आया कि मरीज के दिल के एक वाल्व में बहुत ज्यादा लीकेज है। रोगी के वाल्व का ऑपरेशन करने के लिए उसे भर्ती किया गया। वॉल्व बदला गया, लेकिन रोगी को भर्ती करने के बाद वार्ड में ही उसके ह्रदय की गति बहुत धीमी हो गई। सीपीआर के बाद रोगी में सुधार तो हुआ पर उसके प्लेटलेट काउंट काफी कम थे, ऐसे में रोगी की स्थिति को देखते हुए डॉक्टरों की टीम रोगी का ऑपरेशन करना चाह रही थी। मगर उम्र कम होने के चलते यह चिंता थी कि कहीं हार्ट फिर से न रुक जाए।

हार्ट की तीनों परतें आपस में चिपकी हुई थी

गीतांजलि हॉस्पिटल के सर्जरी विभाग के एचओडी डॉ. संजय गांधी ने बताया कि 10 डॉक्टरों समेत 50 लोगों की टीम ने 9 जून को ऑपरेशन के लिए जैसे ही रोगी की छाती को खोला तो देखा कि उसके हार्ट की तीनों परत आपस में चिपकी हुई थी। काफी सूजन थी। वहीं, ऑपरेशन से पहले मरीज को हार्ट अटैक आ गया। कुछ देर में उसे नॉर्मल कर ऑपरेशन किया गया। आम तौर पर वॉल्व बदलने के बाद रोगियों में समय के साथ हार्ट की पम्पिंग में सुधार आने लगता है। मगर इस रोगी के हार्ट की पम्पिंग बहुत धीमी थी। जैसे ही रोगी को हार्ट लंग मशीन से हटाने लगते तो रोगी का ह्रदय ब्लड पंप नही कर पा रहा था। काफी प्रयास के बाद भी कुछ नहीं हुआ तो डाॅक्टर्स की टीम की सलाह से रोगी को अत्याधुनिक तकनीकों से युक्त एक्मो मशीन पर लिया गया। 8 घंटे तक ऑपरेशन चला।

रोगी को ऑपरेशन के बाद एक्मो मशीन पर लेने का फ़ैसला किया गया। ये राजस्थान में पहली बार हुआ कि ऑपरेशन के बाद रोगी को तीन दिन तक इस मशीन पर रखा गया। इसके बाद मरीज की स्थिति में सुधार आने लगा। 16 जून तक दिनेश पूरी तरह स्वस्थ हो गया। डॉ. गांधी ने कहा कि एक्मो मशीन से हार्ट और फेंफड़ों का काम लिया जाता है। इस दौरान हार्ट रेस्ट पर होता है।

5 से 7 लाख की सर्जरी मुफ्त में हुई

मरीज के पिता एक किसान थे। मरीज गरीब परिवार से था। मगर सिर्फ 15 साल उम्र होने के चलते डॉक्टर्स ने रिस्क लेकर ईलाज किया। इस सर्जरी में 7 लाख का खर्च आता है। मरीज के पास ईलाज का पैसा नहीं था। ईलाज के बाद अस्पताल ने स्वास्थ्य विभाग से सम्पर्क किया और बताया कि सर्जरी कर दी गई है। इसके बाद मुख्यमंत्री चिरंजीवी योजना के तहत राेगी के पूरे ईलाज का खर्च उठाया गया। इस टीम में डॉ. संजय गाँधी, डॉ अनुभव बंसल, डॉ गुरप्रीत सिंह, कार्डियक एनेस्थेसिस्ट डॉ अंकुर गांधी, डॉ कल्पेश मिस्त्री, डॉ सुमित तंवरी, डॉ के. चरान, डॉ अर्चना देवतरा, ह्रदय रोग विशेषज्ञ डॉ कपिल भार्गव सहित कई डॉक्टर्स की टीम शामिल रही।

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