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Saturday, November 23

शिक्षा मंत्री के प्रस्ताव पर सरकार की मुहर से 10 लाख बेरोजगारों को मिलेगी राहत, पढ़ें पूरा मामला

अभिनव न्यूज, नेटवर्क।  रीट का पेपर लीक होने के बाद पिछली सरकार ने तृतीय श्रेणी शिक्षक भर्ती के लिए दो परीक्षाओं का फॉर्मूला लागू किया था। सत्ता बदलने के बाद अब शिक्षा मंत्री मदन दिलावर ने प्रथम श्रेणी व्याख्याता से तृतीय श्रेणी शिक्षक भर्ती तक के लिए एक परीक्षा कराने के संकेत दिए हैं। शिक्षा मंत्री के इस प्रस्ताव पर मुहर लगी तो दस लाख बीएड एवं बीएसटीसी डिग्रीधारियों तथा प्रथम, द्वितीय एवं तृतीय श्रेणी शिक्षक की तैयारी करने वाले अभ्यर्थियों को राहत मिलेगी।

दो परीक्षाओं से नौकरी में देरी

सरकार का मानना है कि शिक्षक भर्ती के लिए दो परीक्षाओं के फार्मूले से बेरोजगारों की परेशानी बढ़ती है। तृतीय श्रेणी शिक्षक भर्ती की तैयारी करने वाले अभ्यर्थियों को पहले रीट परीक्षा में सफल होने के बाद कर्मचारी चयन बोर्ड की मुख्य परीक्षा देनी होती है। दो परीक्षाओं की वजह से देरी से नौकरी मिलती है और जिसका असर स्कूलों की शिक्षण व्यवस्था पर पड़ रहा है।

वन टाइम रीट से थोड़ी राहत

पिछली सरकार के समय तृतीय श्रेणी शिक्षक भर्ती की तैयारी करने वाले अभ्यर्थियों को वन टाइम रीट पास करने के जरिए थोड़ी राहत दी गई। इससे हर भर्ती के समय रीट देने से अभ्यर्थियों को अब मुक्ति मिल गई है। यदि सरकार की ओर से अब फिर से रीट के अंकों के आधार पर नौकरी दी जाती है तो अभ्यर्थियों को दुबारा से तैयारी करनी होगी।

कई बार बदला तृतीय श्रेणी शिक्षक भर्ती का फॉर्मूला

2003 में भर्ती का जिम्मा जिला परिषदों से आरपीएससी को दिया।

2004 में आरपीएससी ने पहली बार शिक्षक भर्ती कराई।

2009 में निशुल्क अनिवार्य शिक्षा का अधिकार अधिनियम लागू हुआ।

2011 में रीट परीक्षा हुई।

2012 में आरपीएससी से जिला परिषदों को भर्ती के अधिकार दिए।

2016 में आरटेट को खत्म कर रीट के माध्यम से भर्ती कराई।

2022 से रीट को पात्रता परीक्षा घोषित किया। अब रीट व एक अन्य परीक्षा के आधार पर चयन होता है।

अंक निर्धारण में भी हुए बदलाव

2012 में आरटेट के 20 प्रतिशत अंक लिखित परीक्षा के अंकों में जोड़कर जिला स्तर पर मेरिट बनती थी।

2013 में आरटेट के 20 प्रतिशत अंक मेरिट में जोड़े गए।

2016 में 70 प्रतिशत रीट के अंक और 30 प्रतिशत स्नातक के अंकों को वेटेज दिया गया।

शिक्षक भर्ती के लिए एक ही फॉर्मला से परीक्षा कराए जाने से बेरोजगारों को सीधे तौर पर राहत मिलेगी। एक साथ तीनों ग्रेड की परीक्षाएं होने से कई तरह की दिक्कतों से परीक्षा एजेन्सियों को भी निजात मिल सकेगी।
राजकमल जाखड़, भर्ती मामलों के विशेषज्ञ, सीकर

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